Thursday, January 21, 2010

अजमल आमिर क़साब का इक़बालिया बयान-२
अज़ीज़ बर्नी

(कल का शेष)
दो महीने के बाद हम लोगों को मां-बाप से मिलने की मोहलत दी गयी। मैं माता-पिता के साथ एक महीने रहा। उसके बाद मैं मुज़फ्फराबाद में शादियां नाला स्थित लशकर के कैम्प में एडवांस टेªनिंग लेने के लिए पहंुचा। वहां मेरी तस्वीरें उतारी गयीं और कुछ फार्म भर गये। उसके बाद हमें दौरा-ए-खास की ट्रेनिंग के लिए चेलाबंदी पहाड़ी पर ले जाया गया। यह प्रशिक्षण तीन महीने का था जिसके दौरान पी.टी, हर प्रकार के हथियारों से फायर करने का अभ्यास, हथगोलों को प्रयोग करने की ट्रेनिंग, राॅकेट लांचर और मोर्टर तोप को चलाना सिखाया गया।
इस ट्रेनिंग का दैनिक शेड्यूल निम्नलिखित थाः
04.15 से 05.00 तक जागने का अलार्म और नमाज़
05.00 से 06.00 तक पी.टी का प्रशिक्षण अबु मुआविया
08.00 बजे नाश्ता
08.30 से 11.30 तक हर प्रकार के हथियारों के प्रयोग और उनके फायर करने की ट्रेनिंग, हथगोले प्रयोग करने की ट्रेनिंग, राॅकेट लांचर और मोर्टर ग्रीन जीरो, एस.के.एस , यूजी गन पिस्तौल, रिवाल्वर, हथगोले मोर्टर, राॅकेट लांचर आदि। ट्रेनर अबु मुआविया
11.30 से 12.00 तक विश्राम का समय
12.00 से 13.00 तक दोपहर का भोजन
13.00 से 14.00 नमाज
14.00 से 16.00 हथियारों का प्रयोग और उनसे फायर करने की प्रेक्टिस, भारत की खुफिया एजेंसियों के बारे में व्याख्यान।
16.00 से 18.00 तक पी.टी
18.00 õ2000 नमाज़ एवं अन्य कार्य
20.00 õ2100 डिनर
इस स्थान पर 32 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
इनमें 16 को एक गुप्त मिशन हेतु ज़कीउर्रहमान चाचा ने चयनित कर लिया। उन 16 में से 3 कैम्प से फरार हो गये। उपरोक्त चाचा ने उन 13 व्यक्तियों को मुरीदकेे कैम्प में काफा नामी एक व्यक्ति के पास भेजा, मुरीदके में हमें तैराकी के साथ-साथ उन हालात का सामना करने का प्रशिक्षण दिया गया जिनका सामना मछुआरों को समुद्र में करना होता है।
हम लोगों ने लाँच के द्वारा समुद्र में अभ्यास हेतु कई यात्राएं भी कीं। इस दौरान हमें भारत की गुप्तचर एजेंसियों की कार्यप्रणाली के सम्बंध में जानकारियां भी दी गईं। हमें भारतीय मुसलमानों पर किये जाने वाले अत्याचार की किलिपिंग्स भी दिखाई गईं।
इस प्रशिक्षण की समाप्ति के उपरांत हमंे सात दिन के लिए अपने पैतृक गांव जाने की अनुमति दी गई। मैं अपने परिवार के सदस्यों के साथ 7 दिन व्यतीत कर मुजफ़्फ़राबाद में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा के कैम्प चला गया।
हम 13 व्यक्ति इस प्रशिक्षण कैम्प में उपस्थित थे। इसके उपरांत ज़कीउर्रहमान चाचा के आदेश पर काफा नामी व्यक्ति हमें पुनः मुरीदके में प्रशिक्षण हेतु अपने साथ ले गया। समुद्री वातावरण के अनुकूल बनने और तैराकी का यह प्रशिक्षण पुनः एक माह तक चला।
इस प्रशिक्षण के दौरान हमें राॅ सहित सभी भारतीय गुप्तचर एजेंसियों के सम्बंध में व्याख्यान दिये गये। हमें इस बात का भी प्रशिक्षण दिया गया कि किस प्रकार हम सुरक्षा बलों से बच सकते हैं। हमें इस बात के कड़े निर्देश दिये गये थे कि हम भारत पहुंचने के बाद पाकिस्तान फोन नहीं करेंगे। इस प्रशिक्षण में सम्मिलित होने वालों के नाम निम्नलिखित हैं।
मौ0 अजमल उर्फ अबु मुजाहिद, इस्माईल उर्फ अबु उमर, अबु अली, अबु अक़सा, अबु उमैर, अबु शुऐब, अब्दुर्रहमान (बड़ा), अब्दुर्रहमान (छोटा), अफज़लुल्लाह, अबु उमर।
इस प्रशिक्षण के उपरांत 15 सितम्बर को ज़कीउर्रहमान उर्फ़ चाचा ने हम में से 10 का चयन करके 5 दस्ते बनाये जिनमें से हर एक में 2 लोग थे। मेरी टीम में, मैं और इस्माईल थे। हमारा कोड था वी.टी.एस.। हमें इंटरनेट पर गूगल अर्थ दिखाया गया। हमें इसी साइट पर मुम्बई का आज़ाद मैदान भी दिखाया गया और यह बताया गया कि हमको कहां उतरकर कैसे मुम्बई में दाख़िल होना है। हमें वी.टी. स्टेशन की फिल्म भी दिखाई गई जिसमें भीड़-भाड़ के समय यात्रियों को ट्रेन में चढ़ते एवं उतरते दिखाया गया था। हम लोगों को प्रातः 7 से 11 एवं सांय 7 से 11 बजे के मध्य गोली चलाने का आदेश दिया गया था। इसके उपरांत हमसे कहा गया था कि हम कुछ लोगों को बंधक बनाकर पास की किसी बिल्डिंग में घुसकर उसकी छत पर चढ़ जायेंगे और उसकी छत पर चढ़ने के बाद हम चाचा से सम्पर्क करेंगे। इसके बाद चाचा हमें भारतीय मीडिया के फोन नम्बर देगा, इन नम्बरों पर हम मीडिया के लोगों से सम्पर्क स्थापित करेंगे और चाचा द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार हम बंधकों की रिहाई के लिए मांगें प्रस्तुत करेंगे। यही कार्यप्रणाली हमारे प्रशिक्षकों ने तय की थी।
इस मुहिम के लिए 27 सितम्बर की तिथि रखी गई थी किन्तु किन्हीं कारणवश इसको रद्द कर दिया गया। हम कराची में ठहरे रहे। हमनें फिर समुद्र में स्पीड बोट में यात्रा करने का अभ्यास किया। हम वहां 23 नवम्बर तक रहे। दूसरी टीमों में शामिल व्यक्तियों के नाम निम्नलिखित हैं।
टीम सं0 2 अबु अक़सा, अबु उमर
टीम सं0 3 बड़ा अब्दुर्रहमान, अबुअली
टीम सं0 4 छोटा अब्दुर्रहमान, अफ़ज़लुल्लाह
टीम सं0 5 शुऐब, अबु उमर
23 नवम्बर को हमारी टीम सहित उपरोक्त सभी टीमों ने ज़कीउर्रहमान उर्फ चाचा एवं काफ़ा के साथ अज़ीज़ाबाद, कराची से प्रस्थान किया। हम लोगों को एक नज़दीकी समुद्री तट पर ले जाया गया। यहां पर हम एक लाँच में सवार हुए। लगभग 20-25 समुद्री मील चलने के उपरांत हमको समुद्र में एक बड़ी लाँच मिली। कुछ देर यात्रा करने के उपरांत हम लोगों को गहरे समुद्र में एक बड़े जहाज़ अलहुसैनी में सवार किया गया। जहाज़ में सवार होते समय हममें से प्रत्येक को थैले दिये गये, जिनमें 8 हथ गोले, 1 ए.के.47 रायफल, 200 गोलियां, 2 मैगज़ीन और सम्पर्क स्थापित करने हेतु एक-एक सेलफोन दिया गया।
फिर हम भारतीय तट की ओर चल पड़े। जब हम भारत की समुद्री सीमा में पहुंचे तो अलहुसैनी पर सवार अमले ने एक भारतीय लाँच का अपहरण कर लिया। इस लाँच में सवार मल्लाहों को अलहुसैनी में स्थानतरित कर दिया और अपहृत लाँच में हम लोग सवार हो गये। एक भारतीय मल्लाह को हमारे साथ रखा गया। बन्दूक की नोक पर वह हमें भारतीय तट की ओर लेकर चल पड़ा। 3-4 दिन की यात्रा के बाद हम मुम्बई तट के करीब पहुंच गये ! जब हम लोग मुम्बई के तट से कुछ ही दूर रह गये तो अफ़ज़लुल्लाह और इस्माईल ने भारतीय मल्लाह (तांडेल) को लाँच के तहख़ाने में मार दिया। फिर जैसा कि हमें निर्देश दिया गया था हम लोग रबर की छोटी छोटी नाव (डंगी) द्वारा बुधवारपैठ की जैटी (तट) पर पहुंच गये। बुधवारपैठ पर उतरने के उपरांत मैं और इस्माईल टैक्सी द्वारा वी.टी. स्टेशन के लिए रवाना हो गए। वी.टी.स्टेशन के हाॅल में पहुंचने के पश्चात मैं और इस्माईल सार्वजनिक शौचालय में घुस गये जहां हमने अपने थैलों से हथियार निकाले, उनको लोड किया और बाहर निकल कर यात्रियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाना प्रारम्भ कर दीं।
अचानक वर्दी पहने एक पुलिसकर्मी हमारी ओर लपका और उसने गोलियां चलाना प्रारम्भ कर दीं, जवाब में हमने उस पर हथगोला फैंका और उसपर गोलियां भी चलाईं। इसके पश्चात हम स्टेशन परिसर में घुस गये और यात्रियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाना आरम्भ कर दिया।
इसके पश्चात हम रेलवे स्टेशन से बाहर निकल आये और एक ऊँची छत वाली बिल्डिंग तलाश करने लगे, किन्तु हमें कोई उचित बिल्ंिडग नहीं मिली। तब हम एक पतली गली में घुसे और एक बिल्डिंग में घुस कर सीढ़ियों द्वारा ऊपर चले गये। तीसरी और चैथी मंजिल पर हमने बंधक बनाने के लिए लोगों को तलाश करना आरम्भ कर दिया किन्तु हमें पता चला कि यह एक रिहायशी मकान नहीं बल्कि एक अस्पताल है, तब हम बाहर आने लगे।
इस मौके पर पुलिस ने हम पर फायरिंग करना शुरू कर दी और हमने भी उनपर हथगोले फेंके। जब हम अस्पताल से वापस आ रहे थे तब अचानक हमने एक पुलिस की गाड़ी को अपने सामने से गुज़रते देखा। तब हम एक झाड़ी के पीछे छुप गये। एक और गाड़ी हमारे सामने से गुज़री और थोड़ी दूर जाकर रूक गई। उसमें से एक पुलिसकर्मी उतरा और उसने हम पर फायरिंग करना शुरू कर दी। एक गोली मेरे हाथ पर लगी और मेरी ए.के.47 रायफल गिर गई। मैं उसको उठाने के लिए झुका ही था कि दूसरी गोली मेरे उसी हाथ में घुस गई, मैं घायल हो गया। इस्माईल ने गाड़ी में बैठे अधिकारियों पर फायरिंग जारी रखी। वे लोग घायल हो गये और उनकी ओर से गोली चलना बंद हो गई।
हम लोगों ने कुछ देर प्रतीक्षा की फिर उस गाड़ी की ओर बढ़े, वहां 3 शव पड़े थे। इस्माईल ने तीनों शवों को हटाया और गाड़ी चलाना शुरू कर दी। मैं उसके करीब बैठा था। जब हम गाड़ी में आगे बढ़े तो कुछ पुलिस अधिकारियों ने हमें रोकने का प्रयास किया। इस्माईल ने उनपर गोली चला दी। जब हम आगे बढ़ रहे थे तब बड़े से मैदान के समीप हमारी गाड़ी में पंक्चर हो गया। इस्माईल ने ड्राइवर की सीट से उतरकर एक कार को रोका और उसमें सवार महिलाओं को बंदूक की नोक पर बाहर निकाल दिया। उसके पश्चात इस्माईल मुझे खींच कर कार में ले गया क्योंकि मैं घायल था। इसके बाद वह गाड़ी चलाने लगा। जब हम कार में यात्रा कर रहे थे तब हमको तट के समीप एक सड़क पर रोका गया और पुलिस ने हमारी ओर गोलियां चलाईं। पुलिस की फायरिंग में इस्माईल घायल हो गया। फिर पुलिस हमको अस्पताल ले गई। अस्पताल में मुझे ज्ञात हुआ कि इस्माईल जख्मों की ताब न लोकर मर गया।
मेरा बयान मेरे सामने पढ़ा गया और हिन्दी में समझाया गया और बिल्कुल सही ढंग से रिकार्ड किया गया है।

اجمل عامرقصاب کا اقبالیہ بیان-2
عزیز برنی..............................................قسط 82

(گزشتہ سے پیوستہ)
دو مہینے کے بعد ہم لوگوں کو والدین سے ملنے کی مہلت دی گئی۔ میں والدین کے ساتھ ایک مہینے رہا۔ اس کے بعد میں مظفر آباد میں شاویاں نالا میں واقع لشکر کے کیمپ میں ایڈوانس ٹریننگ کے لیے پہنچا۔ وہاں میری تصاویر اتاری گئیں اور کچھ فارم بھرے گئے۔ اس کے بعد ہمیں دورہ
¿ خاص کی ٹریننگ کے لیے چیلا بندی پہاڑی پر لے جایا گیا۔ یہ ٹریننگ تین مہینے کی تھی، جس کے دوران پی ٹی، ہر طرح کے ہتھیاروں سے فائر کرنے کی پریکٹس، ہتھ گولوں کے استعمال کرنے کی ٹریننگ، راکٹ لانچر اور مارٹر توپ کو چلانا سکھایا گیا۔ اس ٹریننگ کا روزانہ کا شیڈول مندرجہ ذیل تھا:۔
(4:15-5:00)۔ بیداری کا الارم اور نماز
(5:00-6:00)۔ پی ٹی کی ٹریننگ۔ ٹرینر- ابومعاویہ
(8:00)۔ ناشتہ
(8:30-11:30)۔ہر طرح کے ہتھیاروں کے استعمال اور ان سے فائر کرنے کی تربیت، ہتھ گولے استعمال کرنے کی ٹریننگ، راکٹ لانچر اور مارٹر، گرین زیرو، ایس کے ایس، یوزی گن پستول، ریوالور، ہتھ گولے، مارٹر، راکٹ لانچر وغیرہ۔ ٹرینر- ابومعاویہ
(11:30-12:00)۔ آرام کا وقفہ
(12:00-13:00)۔ لنچ
(13:00-14:00)۔ نماز
(1400:16:00)۔ ہتھیاروں کا استعمال اور ان سے فائر کرنے کی پریکٹس، ہندوستان کی خفیہ ایجنسیوں کے بارے میں لکچر
(16:00-18:00)۔ پی ٹی
(18:00-20:00)۔ نماز اور دیگر کام
(20:00-21:00)۔ ڈنر
اس جگہ32 افرادکو ٹریننگ دی جا رہی تھی۔ ان میںسے 16 کو ایک خفیہ مشن کے لیے ذکی الرحمن چاچا نے منتخب کر لیا۔ ان 16 میں سے 3 کیمپ سے فرار ہو گئے۔ مذکورہ چاچا نے ان 13 افراد کو مریدکے کیمپ میںکافا نام کے ایک شخص کے پاس بھیج دیا۔ مریدکے کیمپ میں ہمیں تیرنے کے ساتھ ساتھ، ان حالات سے مقابلہ کرنے کی ٹریننگ دی گئی، جن کا مچھیاروں کو سمندر میں سامنا کرنا پڑتا ہے۔
ہم لوگوں نے لانچ کے ذریعہ سمندر میں کئی تجرباتی سفر بھی کیے۔ اس دوران ہمیں ہندوستان کی خفیہ ایجنسیوں کے طریق کار کے بارے میں اطلاعات فراہم کی گئیں۔ ہمیں ہندوستانی مسلمانوں پر ہونے والے مظالم کی کلپنگس بھی دکھائی گئیں۔
اس تربیت کی تکمیل کے بعد ہمیں سات دنوں کے لیے اپنے آبائی وطن جانے کی اجازت دی گئی۔ میں اپنے اہل خانہ کے ساتھ 7 دن رہ کر مظفر آباد میں واقع لشکر طیبہ کے کیمپ چلا گیا۔
ہم 13 افراد اس ٹریننگ کیمپ میں موجود تھے۔ اس کے بعد ہمیں ذکی الرحمن چاچا کے احکام پر کافا نام کا شخص مریدکے کیمپ میں ایک بار پھر ٹریننگ کے لیے اپنے ساتھ لے گیا۔ سمندری ماحول سے آگہی اور تیرنے کی یہ ٹریننگ پھر سے ایک ماہ تک چلی۔
اس ٹریننگ کے دوران ہمیں ’را‘ سمیت تمام انڈین خفیہ ایجنسیوں کے بارے میں لیکچر دیے گئے۔ ہمیں اس بات کی بھی ٹریننگ دی گئی کہ کس طرح سیکورٹی دستوں سے ہم بچ سکتے ہیں۔ ہم لوگوں کو اس بات کے سخت احکام دیے گئے تھے کہ ہم ہندوستان پہنچنے کے بعد پاکستان ٹیلی فون نہیں کریں گے۔ اس ٹریننگ میں شامل ہونے والوں کے نام مندرجہ ذیل ہیں:۔
محمداجمل عرف ابو مجاہد، اسمٰعیل عرف ابوعمر، ابو علی، ابواقصیٰ، ابو عمیر، ابوشعیب، عبدالرحمن (بڑا)، عبدالرحمن (چھوٹا)، افضل اﷲ اور ابوعمر
اس ٹریننگ کے بعد 15ستمبر کو ذکی الرحمن عرف چاچا نے ہم میں سے 10 کو منتخب کر کے 5 دستے بنائے، جن میں سے ہر ایک میں 2 افراد تھے۔ میری ٹیم میں‘ میں اور اسمٰعیل تھے۔ ہمارا کوڈ تھا ’وی ٹی ایس‘ ہمیں انٹرنیٹ پر ’گوگل ارتھ‘ دکھائی گئی۔ ہمیں اسی سائٹ پر ممبئی کا آزاد میدان دکھایا گیا اور یہ بتایا گیا کہ ہمیں کہاں اتر کر، کیسے ممبئی میں داخل ہونا ہے۔ ہمیں وی ٹی اسٹیشن کی فلم بھی دکھائی گئی، جس میں رش کے وقت عوام کو ٹرین میں چڑھتے اور اترتے ہوئے دکھایا گیا تھا۔
ہم لوگوں کو صبح 7 سے 11 اور شام کو 7 سے 11 بجے کے دوران گولی چلانے کا حکم دیا گیا تھا۔ اس کے بعد کہا گیا تھا کہ ہم کچھ لوگوں کو یرغمال بنا کر پاس کی کسی بلڈنگ میں گھس کر اس کی چھت پر چڑھ جائیں گے اور اس کی چھت پر چڑھنے کے بعد ہم چاچا سے رابطہ قائم کریں گے۔ اس کے بعد چاچا ہمیں انڈین میڈیا کے ٹیلی فون نمبر دے گا۔ ان نمبروں پر ہم میڈیا کے لوگوں سے رابطہ قائم کریں گے اور چاچا کے بتائے ہوئے احکام کے مطابق ہم یرغمالیوں کی رہائی کے لیے مطالبات پیش کریں گے۔ یہی طریق کار ہمارے تربیت دہندگان نے طے کیا تھا۔
اس مہم کے لیے 27ستمبر کی تاریخ رکھی گئی تھی، لیکن کسی وجہ سے اس کو منسوخ کر دیا گیا۔ ہم کراچی میں ہی ٹھہرے رہے، ہم نے پھر سمندر میں اسپیڈ بوٹ میں سفر کرنے کے تجربے کیے۔ ہم وہاں 23نومبر تک رہے۔ دوسری ٹیموں میں شامل لوگوں کے نام درج ذیل ہیں:۔
ٹیم نمبر 2: ابواقصیٰ، ابوعمر
ٹیم نمبر 3: بڑا عبدالرحمن، ابوعلی
ٹیم نمبر 4: چھوٹا عبدالرحمن، افضل اﷲ
ٹیم نمبر 5: شعیب، ابوعمر
23نومبر کو ہماری ٹیم سمیت مذکورہ ٹیمیں ذکی الرحمن عرف چاچا اور کافا کے ہمراہ عزیزآباد (کراچی) سے روانہ ہوئیں۔ ہم لوگوں کو ایک قریبی ساحل پر لے جایا گیا، یہاں پر ہم ایک لانچ میں سوار ہو گئے۔ تقریباً 20-25 بحری میل چلنے کے بعدہمیں سمندر میں ایک بڑی لانچ ملی، کچھ دیر سفر کرنے کے بعد ہم لوگوں کو گہرے سمندر میں ایک بڑے جہاز الحسینی میں سوار کیا گیا۔ جہاز میںسوار ہوتے وقت ہم میں سے ہر ایک کو تھیلے دیے گئے، جن میں 8 ہتھ گولے، 1 اے کے 47 رائفل،200 گولیاں 2 میگزین اور رابطہ قائم کرنے کے لیے 1-1 سیل فون دیا گیا۔
پھر ہم ہندوستانی ساحل کی طرف چل پڑے، جب ہم ہندوستان کی آبی سرحد میں پہنچے، تو الحسینی پر سوار عملے نے ایک ہندوستانی لانچ کو اغوا کر لیا، اس لانچ میں سوار ملاحوں کو الحسینی میں منتقل کر دیا گیا اور مغویہ لانچ میں ہم لوگ سوار ہو گئے۔ ایک ہندوستانی ملاح کو ہمارے ساتھ رکھا گیا، بندوق کی نوک پر وہ ہمیں ہندوستان کے ساحل کی طرف لے چلا، 3 یا 4 دن سفر کرنے کے بعد ہم ممبئی کے ساحل کے نزدیک پہنچ گئے۔ جب ہم لوگ ممبئی کے ساحل سے کچھ ہی دور رہ گئے تو افضل اﷲ اور اسمٰعیل نے ہندوستانی ملاح (تانڈیل) کو لانچ کے تہہ خانے میں ہلاک کر دیا۔ پھر جیسی ہم سب کو ہدایت دی گئی تھی، ہم لوگ ربر کی چھوٹی چھوٹی ناﺅوں (ڈنگی) کے ذریعہ بدھوار پیٹھ کی جیٹی (ساحل) پر پہنچ گئے۔ بدھوار پیٹھ پر اترنے کے بعد میں اور اسمٰعیل ٹیکسی کے ذریعہ وی ٹی اسٹیشن کے لیے روانہ ہو گئے۔ وی ٹی اسٹیشن پر پہنچنے کے بعد میں اور اسمٰعیل عوامی بیت الخلا میں داخل ہوئے جہاں ہم نے اپنے تھیلوں میں سے ہتھیار نکالے، ان کو لوڈ کیا اور باہر نکل کر مسافروں پر اندھا دھند گولیاں چلانا شروع کر دیں۔
اچانک یونیفارم میں ملبوس ایک پولس والا ہماری طرف بڑھا اور اس نے گولیاں چلانا شروع کر دیں۔ جواب میں ہم نے اس پر ہتھ گولہ پھینکا اور اس پر گولیاں بھی چلائیں، اس کے بعد ہم اسٹیشن کے اندر داخل ہوئے اور مسافروں پر بے دریغ گولیاں چلانا شروع کر دیں۔
بعد ازاں ہم ریلوے اسٹیشن سے باہر نکل آئے اور ایک اونچی چھت والی بلڈنگ تلاش کرنے لگے، لیکن ہمیں کوئی مناسب عمارت نہیں ملی، تب ہم ایک پتلی گلی میں داخل ہو گئے اور ایک بلڈنگ میں گھس کر سیڑھیوں سے اوپر چلے گئے۔ تیسری اور چوتھی منزل پر ہم نے یرغمال بنانے کے لیے لوگوں کو تلاش کرنا شروع کیا، لیکن ہمیں پتہ چلا کہ وہ ایک رہائشی مکان نہیں، بلکہ ایک اسپتال ہے تب ہم باہر آنے لگے۔
اس موقع پر پولس نے ہم پر فائرنگ کرنا شروع کر دی اور ہم نے بھی ان پر ہتھ گولے پھینکے۔ جب ہم اسپتال سے واپس آرہے تھے تو اچانک ہم نے ایک پولس کی گاڑی کو اپنے سامنے سے گزرتے پایا تب ہم ایک جھاڑی کے پیچھے چھپ گئے۔ ایک اور گاڑی ہمارے سامنے سے گزری اور تھوڑی دور جاکر رک گئی۔ اس میں سے ایک پولس افسر اترا اور اس نے ہم پر فائرنگ کرنا شروع کر دی۔ ایک گولی میرے ہاتھ پر لگی اور میری AK47 رائفل گر گئی۔ میں اس کو اٹھانے کے لیے جھکا ہی تھا کہ دوسری گولی میرے اسی ہاتھ میں پیوست ہو گئی، میں زخمی ہو گیا۔ اسمٰعیل نے گاڑی میں بیٹھے افسروں پر فائرنگ جاری رکھی، وہ لوگ زخمی ہو گئے اور ان کی جانب سے گولی چلنا بند ہو گئی۔
ہم لوگوں نے تھوڑی دیر انتظار کیا اور پھر اس گاڑی کی طرف بڑھے، وہاں تین نعشیں پڑی تھیں۔ اسمٰعیل نے تینوں نعشوں کو ہٹایا اور گاڑی چلانا شروع کر دی، میں اس کے پہلو میں بیٹھا تھا۔ جب ہم گاڑی میں آگے بڑھے تو کچھ پولس افسروں نے ہمیں روکنے کی کوشش کی۔ اسمٰعیل نے ان پر گولی چلا دی اور ہم آگے بڑھ گئے تب بڑے سے میدان کے پاس ہماری گاڑی میں پنکچر ہو گیا۔ اسمٰعیل نے ڈرائیور کی سیٹ سے اتر کر ایک کار کو روکا اور بندوق کی نوک پر اس میں سوارخواتین و مسافروں کو اتار دیا۔ اس کے بعد اسمٰعیل گھسیٹ کر مجھے کار میں لے گیا کیونکہ میں زخمی تھا اور پھر وہ گاڑی چلانے لگا۔ جب ہم سفر کر رہے تھے، تب ہمیں ساحل کے قریب ایک سڑک پر روکا گیا اور پولس نے ہماری سمت میں فائرنگ کی۔ پولس کی فائرنگ میں اسمٰعیل زخمی ہو گیا۔ پھر پولس نے ہمیں وین سے نکالا اور اسپتال لے گئی۔ جہاں مجھے پتہ چلا کہ اسمٰعیل نے زخموں کی تاب نہ لاتے ہوئے دم توڑ دیا۔
میرا بیان میرے سامنے پڑھا گیا اور مجھے ہندی میں سمجھایا گیا اور یہ صحیح طور پر ریکارڈ کیا گیا ہے۔

Wednesday, January 20, 2010

اجمل عامرقصاب کا اقبالیہ بیان

عزیز برنی

گزشتہ دو روز میں ہم نے شائع کیا ڈیوڈ کولمین ہیڈلی کی چارج شیٹ کا اہم جز.... اور اب ہم شائع کرنے جا رہے ہیں 26نومبر2008کو ممبئی کے راستے ہندوستان پر ہوئے دہشت گردانہ حملے کے تنہا زندہ گرفتار دہشت گرد اجمل عامر قصاب کا اقبالیہ بیان ۔حالانکہ اب ہمیں یہ سوچنا پڑے گا کہ کیا اب بھی اجمل عامر قصاب کو اس دہشت گردانہ حملے کا تنہا زندہ گرفت میں آیا دہشت گرد قرار دیں،کیونکہ اب تو ڈیوڈ ہیڈلی اور تہور حسین رانا جیسے نام بھی سامنے آچکے ہیں اور اب شاید یہ فہرست اور طویل ہوتی جائے، تاہم ہیڈلی کی چارج شیٹ اور قصاب کا اقبالیہ بیان ایک ساتھ سامنے رکھنے کے پیچھے ہمارا مقصد ہے ہندوستان کے خلاف اس سازش کی تہہ تک پہنچنا، لہٰذا انتظار کیجئے،شاید کچھ ایسی باتیں سامنے آئیں کہ آپ ہی نہیں حکومت ہند اور اس سازش کو رچنے والے بھی سوچنے کے لئے مجبور ہوں۔

زندہ بچ جانے والے واحد دہشت گرد کی زبانی دل دہلا دینے والے ان واقعات کو آپ کے سامنے پیش کیا جا رہا ہے، جو اس نے پولس کے سامنے بیان کیے ہیں۔

دہشت گردی کے ملزم محمد اجمل عامر قصاب کا بیان :

عمر : 21 سال

پیشہ : مزدوری

گھر کا پتہ : فرید کوٹ، تحصیل دیپال پور، ضلع اوکاڈا، صوبہ پنجاب،(پاکستان)

میں اپنی پیدائش سے ہی مندرجہ بالا پتے پر رہ رہا ہوں۔ میں نے کلاس چہارم تک گورنمنٹ پرائمری اسکول میں تعلیم حاصل کی ہے۔

2000 میں اسکول چھوڑنے کے بعد میں لاہور چلا گیا۔ لاہور میں میرا بھائی گلی نمبر 54، روم نمبر 12 میں یادگار مینار کے پاس توحیدآباد میں رہتا ہے۔ 2005 تک میں مختلف مقامات پر محنت و مشقت کرتا رہا، اس دوران میں اپنے آبائی وطن بھی آتا جاتا رہا۔ 2005 میں میرا اپنے والد سے جھگڑا ہو گیا، جس کے بعد میں نے گھر چھوڑ دیا اور علی ہجویری کے دربار لاہور میں قیام پذیر ہوا۔

اس جگہ گھر سے بھاگ کر آنے والے لڑکوں کو رکھا جاتا ہے اور وہاں سے ان کو مختلف مقامات پر کام کرنے کے لیے بھیجا جاتا ہے۔ ایک روز وہاں شفیق نام کا ایک شخص آیا اور مجھے اپنے ساتھ لے گیا۔ وہ کیٹرنگ ہاﺅس چلاتا تھا۔ وہ جہلم (زہلم) کا رہنے والا تھا۔ میں اس کے ساتھ یومیہ اجرت پر کام کرنے لگا۔ مجھے روزانہ 20 روپے ملتے تھے۔ کچھ عرصہ بعد مجھے روزانہ 200 روپے ملنے لگے۔ میں نے اس کے یہاں 2007 تک کام کیا۔

جس زمانے میں‘ میں شفیق کے یہاں کام کر رہا تھا، اس وقت میری ملاقات مظفر لعل خان سے ہوئی، جس کی عمر 22 سال تھی۔ وہ پاکستان کے صوبہ سرحد کے ضلع اور تحصیل اٹک کے رومیہ گاﺅں کا رہنے والا تھا۔ ہم دونوں خاطر خواہ کمائی نہیں کر پا رہے تھے، اس لیے ہم دونوں نے رہزنی اور ڈکیتی کرنے کا پروگرام بنایا، تاکہ ہم لوگ ایک بڑی رقم حاصل کر سکیں۔ اس کے بعد ہم لوگوں نے کام کاج چھوڑ دیا اور ہم لوگ راولپنڈی گئے، وہاں ہم بنگلہ دیشی کالونی میں ایک فلیٹ کرائے پر لے کر رہنے لگے۔ مظفر نے ایک ایسے گھر کی نشاندہی کی جہاں ہم بڑا ہاتھ مار سکتے تھے۔

اس نے پورے علاقے کا سروے کر کے ایک نقشہ تیار کیا، اب ہمیں آتشی ہتھیاروں کی ضرورت تھی۔ مظفر نے کہا کہ وہ اپنے آبائی وطن سے آتشیں ہتھیار خرید سکتا ہے، لیکن ان کو وہاں سے لانے میں بہت خطرہ ہے کیونکہ گاﺅں میں مستقل چھاپے پڑتے رہتے ہیں۔

ہتھیاروں کی تلاش کے دوران عیدالاضحی کے دن ہم نے راولپنڈی کے راجا بازار علاقے میں لشکر طیبہ کا اسٹال دیکھا۔ ہم نے سوچا کہ اگر ہم ہتھیار حاصل کر بھی لیں تو ان کو چلا نہیں سکیں گے، اس لیے ہم لوگوں نے ہتھیار چلانے کی تربیت حاصل کرنے کے لیے لشکر طیبہ میں شامل ہونے کا فیصلہ کیا۔

اس بارے میں معلومات حاصل کرنے کے بعد ہم لشکر طیبہ کے دفتر پہنچ گئے۔ وہاں ہماری ایک شخص سے ملاقات ہوئی، ہم نے اس سے کہا کہ ہم لشکر میں شامل ہونا چاہتے ہیں۔ اس نے ہم سے کچھ سوالات کیے اور ہمارے نام و پتے نوٹ کرنے کے بعد ہم سے اگلے دن آنے کو کہا۔

اگلے دن ہم لوگ پھر لشکر کے دفتر پہنچ گئے اور اسی آدمی سے ملے۔ وہاں ایک دوسرا آدمی بھی موجود تھا۔

اس نے ہمیں 200 روپے اور کچھ رسیدیں دیں۔

پھر اس نے ہمیں کرد میں واقع ’مرکز طیبہ‘ کہے جانے والے مقام کا پتہ دے کر وہاں جانے کو کہا، جہاں لشکر طیبہ کا تربیتی کیمپ واقع ہے۔ ہم لوگ وہاں بس سے پہنچے۔ ہم لوگوں نے وہ رسیدیں گیٹ پر دکھائیں، جو ہمیں دی گئی تھیں۔ ہمیں داخلے کی اجازت مل گئی۔ داخلہ دروازے پر دو فارم بھرے گئے، جن میں ہمارے بارے میں تفصیلات درج کی گئیں۔ اس کے بعد ہمیں کیمپ کے اصل علاقے میں لے جایا گیا۔ اس جگہ ہمیں پہلے 21 دن کی تربیت کے لیے منتخب کیا گیا، جس کو ’دورہ صفہ‘ کہا گیا۔ دوسرے ہی دن سے ہم لوگ ٹریننگ حاصل کرنے لگے۔ روزانہ کا معمول اس طرح تھا:

4:15 جاگنے کا الارم اور صبح کی نماز

8:00 ناشتہ

8:30-10:00 قرآن اور حدیث پر مفتی سعید کا لیکچر

10:00-12:00 آرام

12:00-13:00 دوپہر کا کھانا

13:00-14:00 نماز

14:00-16:00 آرام

16:00-18:00 پی ٹی اور کھیل کود۔ انسٹرکٹر- فضل اﷲ

18:00-20:00 نماز اور دیگر کام

20:00-21:00 رات کا کھانا

اس ٹریننگ کے مکمل ہونے کے بعد ہمیں ٹریننگ کے دوسرے دور ائمہ کے لیے منتخب کیا گیا۔ یہ تربیت بھی 21 دن کی تھی۔ اس کے بعد ہمیں ایک سواری کے ذریعہ بٹل گاﺅں کے منسیرا نامی علاقے میں لے جایا گیا، یہاں پر ہمیں ہر طرح کے ہتھیار چلانے کی 21 روزہ تربیت دی گئی۔ یہاں کا یومیہ پروگرام یہ تھا:

4:15-5:00 جاگنے کا الارم اور نماز

5:00-6:00 پی ٹی۔ انسٹرکٹر -ابو عباس

8:00 ناشتہ

8:30-11:30 ہتھیار چلانے کی تربیت۔ ٹرینر- عبدالرحمن (ہتھیار : اے کے47، گرین زیرو، ایس کے ایس، یوزی گن، پستول اور ریوالور۔)

11:30-12:00 آرام

12:00-13:00 لنچ کا وقفہ

13:00-14:00 نماز

14:00-16:00 آرام

16:00-18:00 پی ٹی

18:00-20:00 نماز اور دیگر کام

20:00-21:00 ڈنر

اس تربیت کے مکمل ہونے کے بعد ہمیں بتایا گیا کہ اب ہمیں ایڈوانس ٹریننگ دی جائے گی، لیکن اس سے پہلے ہمیں دو مہینے خدمت میں گزارنے ہوں گے۔ (خدمت ایک طرح کا رضاکارانہ کام ہے، جو تربیت پانے والوں کو ان کی مرضی کے مطابق دیا جاتا ہے۔) ہم خدمت پر راضی ہو گئے۔

........................(جاری)

अजमल आमिर क़साब का इक़बालिया बयान
अज़ीज़ बर्नी

पिछले दो दिनों में हमने प्रकाशित किया डेविड कोलमैन हेडली के आरोप पत्र के प्रमुख अंश..... और अब हमप्रकाशित करने जा रहे हैं 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई के रास्ते भारत पर हुए आतंकवादी हमले के एक मात्रजीवित गिरफतार आतंकवादी अजमल आमिर क़साब का इक़बालिया बयान। यद्यपि अब हमें यह सोचना पड़ेगाकि क्या अब भी अजमल आमिर क़साब को उस आतंकवादी हमले का एक मात्र जीवित पकड़ में आया आतंकवादीकहें, क्योंकि अब तो डेविड हेडली और तहव्वुर हुसैन राना जैसे नाम भी सामने चुके हैं और अब शायद यह सूचिऔर लम्बी हो जाए। फिर भी हेडली के आरोप पत्र और क़साब का इक़बालिया बयान एक साथ सामने रखने के पीछेहमारा उद्देश्य है भारत के विरुद्ध इस साज़िश की तह तक पहुंचना, इसलिए प्रतीक्षा कीजिए, शायद कुछ ऐसी बातेंसामने आएं कि आप ही नहीं भारत सरकार और इस साज़िश को रचने वाले भी सोचने के लिए विवश हों।
जीवित रह जाने वाले एकमात्र आतंकवादी की ज़बानी दहला देने वाली इन घटनाओं को आपके सामने प्रस्तुतकिया जा रहा है जो उसने पुलिस के सामने बयान की हैं।
आतंकवाद के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर क़साब का बयानः आयु 21 साल, पेशाः मज़दूरी, घर का पताःफरीद कोट, तहसील दीपालपुर, ज़िला ओकाड़ा, राज्य पंजाब, पाकिस्तान।
मैं अपने जन्म से ही उपरोक्त पते पर रहा हूं। मैंने कक्षा चैथी तक सरकारी प्राइमरी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की है।
2000 में स्कूल छोड़ने के बाद मैं लाहौर चला गया। लाहौर में मेरा भाई गली . 54, कमरा .12 में यादगारमिनार के पास तौहीदाबाद में रहता है। 2005 तक मैं विभिन्न स्थानों पर मज़दूरी करता रहा। इस बीच मैं अपनेपैतृक गांव भी आता-जाता रहा। 2005 में मेरा अपने बाप से झगड़ा हो गया, जिसके बाद मैंने घर छोड़ दिया औरअली हजू़री के दरबार लाहौर में रहने लगा।
इस जगह घर से भाग कर आने वाले लड़कों को रखा जाता है और वहां से उनको विभिन्न स्थानों पर कार्य करने केलिए भेजा जाता है। एक दिन वहां शफ़ीक़ नाम का एक व्यक्ति आया और मुझे अपने साथ ले गया। वह कैटरिंगहाउस चलाता था। वह झेलम का रहने वाला था। मैं उसके साथ दैनिक वेतन पर कार्य करने लगा। मुझे प्रतिदिनरूपये मिलते थे। कुछ समय बाद मुझे प्रतिदिन 200 रूपये मिलने लगे, मैंने उसके यहां 2007 तक कामकिया।
जिस समय मैं शफ़ीक़ के यहां कार्य कर रहा था, उसी समय मेरी मुलाक़ात मुज़फ्फर लाल ख़ान से हुई जिसकीआयु 22 वर्ष थी। वह पाकिस्तान के सूबा--सरहद के ज़िला और तहसील अटक के रोमिया गांव का रहने वालाथा। हम दोनों अच्छी कमाई नहीं कर पा रहे थे। इसलिए हम दोनों ने लूटपाट और डकैती का प्रोग्राम बनाया ताकिहम लोग एक बड़ी रक़म कमा सकें। उसके बाद हम लोगों ने कामकाज छोड़ दिया।
उसके बाद हम लोग रावलपिंडी गए और वहां हम बंगलादेशी कालोनी में एक फ्लैट किराए पर लेकर रहने लगे।अफज़ल ने एक ऐसे घर की निशानदही की, जहां हम बड़ा हाथ मार सकते थे।
उसने पूरे क्षेत्र का सर्वे करके एक नक़्शा तैयार किया। अब हमको आग्नेयअस्त्रों की आवश्यकता थी। अफज़ल नेकहा कि वह अपने पैतृक गांव से आग्नेयअस्त्र ख़रीद सकता है परन्तु उनको वहां से लाने में बहुत ख़तरा है क्योंकिगांव में लगातार छापे पड़ते रहते हैं।
हथियारों की तलाश के दौरान बक़रा ईद के दिन हमने रावलपिंडी के राजा बाज़ार क्षेत्र में लशकर--तैयबा कास्टाॅल देखा। हमने सोचा कि अगर हम हथियार प्राप्त कर भी लें तो उनको चला नहीं सकेंगे। इसलिए हम लोगों नेहथियार चलाने की टेªनिंग लेने के लिए लशकर--तैयबा में शामिल होने का निर्णय लिया।
इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद हम लशकर--तयबा के कार्यालय पहुंच गए। वहां हमारी एक व्यक्ति सेभेंट हुई, हमने उससे कहा कि हम लशकर में शामिल होना चाहते हैं। उसने हमसे कुछ प्रश्न किए और हमारे नामपते नोट करने के बाद अगले दिन आने को कहा।
अगले दिन हम लोग फिर लशकर--तैयबा के कार्यालय पहुंच गए और उसी व्यक्ति से मिले। वहां एक दूसरा व्यक्तिभी मौजूद था।
उसने हमको 200 रूपये और कुछ रसीदें दीं।
फिर उसने हमको कुरदके में स्थापितमर्कज़--तैयबाकहे जाने वाले स्थान का पता देकर वहां जाने को कहा, जहां लशकर--तैयबा का टेªनिंग कैम्प स्थित है। हम लोग वहां बस से पहंुचे। हम लोगों ने वे रसीदें गेट परदिखाई जो हमको दी गई थी। हमको प्रवेश करने की अनुमति मिल गई। प्रवेश द्वार पर दो फार्म भरे गए जिनमेंहमारे बारे में जानकारी नोट की गई। उसके बाद हम को कैम्प के असल इलाक़े में ले जाया गया। उस जगह हमेंपहले 21 दिन की टेªनिंग के लिए चुना गया जिसको दौरा--सूफा कहा गया। दूसरे ही दिन से हम लोग ट्रेनिंग प्राप्तकरने लगे। प्रतिदिन का कार्यक्रम निम्नलिखित थाः
4.15 जागने का अलार्म और सुबह की नमाज़।
8.00 बजे नाशता।
8.30 से 10.00 तक कुरान और हदीस पर मुफ्ती सईद का लैक्चर।
10.00 से 12.00 तक विश्राम।
12.00 से 13.00 तक दोपहर का भोजन।
13.00 से 14.00 नमाज़।
14.00 से 16.00 तक विश्राम।
16.00 से 18.00 पी.टी और खेलकूद, इंस्ट्रक्टर फ़ज़लुल्लाह।
18.00 से 20.00 नमाज़ और दूसरे कार्य।
20.00 से 21.00 रात्रि भोजन।
इस ट्रेनिंग के पूरे होने के बाद हम को टेªनिंग के दूसरे दौरा--अमा के लिए चुना गया।
यह टेªनिंग भी 21 दिन की थी। उसके बाद हमें एक सवारी द्वारा बटल गांव के मंसेरा नामी क्षेत्र में ले जाया गया।यहां पर हम को हर प्रकार के हथियार चलाने की 21 दिन की ट्रेनिंग दी गई। यहां का प्रतिदिन का प्रोग्रामनिम्नलिखित थाः
4.15 से 5.00 जागने का अलार्म और नमाज़।
05.00 से 6.00 पी.टी इस्ट्रक्टर अबुअब्बास।
8.00 बजे नाशता
08.30 से 11.30 तक हथियार चलाना,
टेªनर अब्दुर्रहमान। हथियार .के-47, ग्रीन ज़ीरो, एस.के.एस, यूज़ी गन, पिस्तौल और रिवाल्वर।
11.30 से 12.00 तक विश्राम।
12.00 से 13.00 तक दोपहर का भोजन।
13.00 से 14.00 तक नमाज़
14.00 से 16.00 तक आराम
16.00 से 18.00 तक पी.टी
18.00 से 20.00 नमाज़ और अन्य कार्य
20.00 से 22.00 डिनर
यह प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात हमें बताया गया कि अब हमें एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी लेकिन इससे पहले हमें दोमहीनें ख़िदमत में गुज़ारने होंगे। (ख़िदमत एक प्रकार का स्वयंसेवी कार्य है जो प्रशिक्षण लेने वालों को उनकीइच्छानुसार दिया जाता है।) हम ख़िदमत पर राज़ी हो गए।
....................................(जारी)

120

Tuesday, January 19, 2010

ہیڈلی کے خلاف ایف بی آئی کی چارج شیٹ-2
عزیز برنی


ہیڈلی نے پاکستان کے سفر کے دوران لشکر ممبرA، Person Aاور لشکر طیبہ سے وابستہ افراد سے ملاقات کی اور سروے (E)رپورٹ نتائج سے آگاہ کیا تھا۔ انہیں تصاویر اور ویڈیو فلم بھی پیش کی تھی۔
ہندوستان میں ہیڈلی کی سرگرمیاں ستمبر 2006 میں شروع ہوئی تھیں۔ لشکر ممبر A اور Person A نے اسے ہندوستان میں قیام کرنے کی ہدایت دی اور ایک عمارت میں دفتر کھولنے کا مشورہ دیا تھا۔ ممبئی اور ہندوستان میں اس درمیان مختلف مقامات کی تصاویر اور ویڈیو گرافی کرنے اور تاج محل ہوٹل ممبئی کی خصوصی طور پر فلم بندی کی ہدایت دی گئی تھی۔
نومبر 2006 میں ہیڈلی نے فرسٹ ورلڈ کا دفتر کھولا تھا، جس کا مقصد اپنی سرگرمیوں کو پوشیدہ رکھنا تھا۔ ستمبر 2006 میں ہیڈلی نے لشکر طیبہ کے ہندوستان اور ممبئی کے اہم مقامات کی تصاویر حاصل کیں اور ویڈیو فلم بنائی تھی۔ اس کے بعد ہیڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا جہاں اس نے لشکر ممبر A,B اور Person A سے ملاقات کی تھی اور انہیں سروے کے دوران حاصل تصاویر اور ویڈیو فلم دے دی تھی۔ فروری 2007 کے سفر میں ہیڈلی کو خصوصی طور پر تاج محل ہوٹل کی دوسری منزل کی ویڈیو گرافی کے لئے کہا گیا تھا، جس پر کانفرنس روم اور بال روم واقع ہے۔
فروری 2007 میں ہیڈلی نے لشکر کے لئے سروے کیا اور تاج محل ہوٹل کی اور خصوصی طور پر دوسری منزل کی ویڈیو (F)گرافی کی گئی۔ اوبرائے ہوٹل کو بھی خصوصی اہمیت دی گئی تھی۔ ستمبر 2007 میں جب ہیڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا تو لشکر ممبر A اور person A نے الگ الگ مقامات کے دوران تاج محل ہوٹل کی دوسری منزل کا خصوصی طور پر کانفرنس روم کا جائزہ لینے اور مستقبل میں ہونے والی کانفرنس کی تفصیل اکٹھا کرنے کی ہدایت دی تھی۔
ستمبر 2003 میں اپنا کام مکمل کرکے ہیڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا۔ اس نے تصاویر اور ویڈیو لشکر ممبر A اور Person (G)A کے حوالے کردیں۔ ایک ملاقات کے دوران تاج محل ہوٹل پر حملے کی ریہرسل بھی کی گئی۔ Person A سے ملاقات میں اسے 2 ہزار ڈالر ہندوستانی کرنسی میں دئے گئے تاکہ وہ ہندوستان میں خرچ کرسکے۔
مارچ 2008 میں ہیڈلی نے لشکر ممبر A اور B سے ملاقات کی۔ اس موقع پر لشکر طیبہ کے دیگر اراکین بھی موجود تھے۔ اس دوران ممبئی میں ساحل پر اتر نے کے مقامات پر تبادلہ خیال کیا گیا۔ لشکر ممبر A اور دیگر ساتھیوں نے ہیڈلی کو بوٹ میں سفر کا مشورہ دیا تھا۔ اسے ممبئی میں اخراجات کے لئے مزید ایک ہزار ڈالر ہندوستانی کرنسی میں دیئے گئے۔ مارچ یا اپریل 2008 میں اسے GPS سسٹم دیا گیا اور اسے آلہ کے استعمال کے طریقہ سے آگاہ کیا گیا تاکہ وہ لینڈنگ سائٹ کو ریکارڈ کرلے۔ اپریل 2008 میں ہیڈلی نے ممبئی ہاربر کا دورہ کیا اور GPS آلہ کو استعمال کیا گیا۔ سفر میں ویڈیو ریکارڈنگ کی گئی اور دیگر مقامات کا سی ایس ٹی بھی گیا۔
ان سرگرمیوں کے بعد ہیڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا اور وہاں اس نے لشکر ممبر A اور Person A سے الگ الگ ملاقاتیں (H)کیں اور سروے رپورٹ پیش کی۔ اس نے لینڈنگ سائٹ کے بارے میں اپنی سفارش بھی پیش کی تھی، جس کا استعمال حملہ آور کرسکتے تھے۔ اس نے سروے کی تصاویر اور ویڈیو اور جی پی ایس لشکر ممبر A کو دے دی تھیں ۔
جولائی 2008 سے ہیڈلی کی سرگرمیاں ہندوستان میں شروع ہوئی تھیں۔ لشکر ممبر A نے ہیڈلی کو ہدایت دی کہ GPS آلہ کے ساتھ مزید سروے کیا جائے۔ جی پی ایس اسے واپس کردیا گیا۔ لشکر ممبر A اور B نے تاج محل ہوٹل اور لینڈنگ کے مقامات کے دورہ کے لئے سروے کرنے کی ضرورت پر زور دیا۔ اس کے ساتھ تاج محل سے ایک پولس اسٹیشن تک ویڈیو فلم تیار کرنے کے لئے کہا گیا۔ لشکر ممبر A،B نے الگ الگ مشورہ دیا کہ قلابہ میں واقع شبد ہاﺅس نامی یہودی کمیونٹی سینٹر کی فلم تیار کرلے۔
جون 2008 میں Person A نے ہیڈلی کو مزید ڈیڑھ ہزار ڈالر مہیا کرائے، جو کہ ہندوستانی کرنسی میں تھے تاکہ ممبئی (I)فرسٹ ورلڈ کا دفتر بنایا جائے اور دہلی میں ایک نیا کاروبار شروع کیا جائے تاکہ ہیڈلی کی مستقبل کی سرگرمیاں پوشیدہ رکھی جاسکیں۔
جولائی 2008 میں ہیڈلی نے تاج محل ہوٹل، شبد ہاﺅس، سی ایس ٹی، لیوہڈ کیفے اور بوٹ حملے اترنے والے مقامات کا جائزہ لیا۔ اس کے کے لئے GPS کا استعمال کیا گیا تھا۔ جولائی 2008میں سروے شروع کیا گیا Person A نے تہور رانا کے ذریعہ پیغامات روانہ کرکے ہیڈلی سے رابطہ رکھا تھا۔
جولائی 2008 کے سروے کے بعد ہیڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا اور لشکر ممبر A اور بی اور Person A سے ملاقات کی (J)اور اہم مقامات کی تصاویر ان کے حوالے کیں۔
جولائی اور اگست 2008 میں لشکر ممبر Bاور دیگر نے پاکستان میں متعدد نوجوانوں کو ٹریننگ دی تاکہ انہیں مختلف سرگرمیوں میں استعمال کیا جاسکے۔ خصوصی طور پر ممبئی پر حملے میں ان کا استعمال کیا جاتا تھا۔ انہیں مختلف شعبوں اور کام کاج کی تربیت دی گئی۔
ممبئی پر حملے کے دوران حملہ آوروں سے لشکر ممبر Aاور C,B نے ٹیلی فون پر رابطہ رکھا اور اس وقت پر یہ لوگ پاکستان میں قیام پزیر تھے۔ حملہ آوروں کو مشورہ دیا گیا کہ وہ زیادہ سے زیادہ جانی نقصان پہنچائیں، یرغمال بنائیں، گرینڈز پھینکیں۔ لشکر ممبر نے اجمل عامر قصاب کے بدلے یرغمال بنائے گئے افراد کو چھوڑ نے کی کوشش کی تھی۔
نومبر 2008حملے کے بعد Person A نے ہیڈلی کو مشورہ دیا کہ اس سے رابطہ نہ کریں، جب تک کہ تمام غیر ضروری (K)اشیا ہٹا نہ دی جائےں۔ جون 2008 میں القاعدہ نے شہاب میڈیا کے ذریعہ اسلام آباد میں ڈنمارک کے سفارت خانہ پر حملے کی ذمہ داری قبول کی تھی اور وارننگ دی کہ پیغمبر اسلام کے کارٹون شائع کرنے پر مزید حملے کئے جائےں گے۔
اگست 2008 میں القاعدہ نے ایک ویڈیو ریلیز کیا اور اس میں مصطفیٰ ابو الیزید اور دیگر افراد نے کہا کہ کارٹون شائع کرنے پر مزید حملے ہوں گے۔
الیاس کشمیری حرکت الجہاد اسلامی کا ایک طاقتور لیڈر ہے۔ 2007 کے آغاز میں کشمیری کی سرگرمیاں پاکستان کے قبائلی (FATA) علاقے میں شروع ہوئیں۔ کشمیری القاعدہ سے مسلسل رابطہ رہا اور خصوصاً یزید عرف شیخ سعد المصری سے اچھے تعلقات تھے۔
عبدالرحمن ہاشم سید پاکستان کا شہری تھا اور سابق فوجی تھا جن کا تعلق الیاس کشمیری اور لشکر ممبر A سے تھا۔ (K)
اکتوبر 2008 اور 13 اکتوبر 2009 کے درمیان الیاس کشمیری، عبدالرحمن ہاشم سید اور ڈیوڈ کولمین ہیڈلی امریکہ کے باہر مختلف خطرناک سرگرمیوں میں مصروف رہے جس میں ڈنمارک میں Jyllands Posten اور اس کے دو ملازمین پر حملے کے معاملات میں ملوث رہے۔ اکتوبر 2008 میں لشکر ممبر A اور ہیڈلی کی پاکستان میں ملاقات ہوئی تھی اور اخبار Jyllands Posten پر حملے کے معاملے پر تبادلہ خیال کیا گیا۔ ہیڈلی نے لشکر ممبر A کے ساتھ ہونے والی بات چیت کو تحریر کرلیا۔
اکتوبر 2008 میں لشکر ممبر A نے ہیڈلی کو ڈنمارک اور اخبار کے بارے میں تفصیلات فراہم کیں۔
دسمبر 2008اور جنوری 2009 میںغور کرنے کے بعد تہوررانا کے ساتھ ہےڈلی نے ممبئی پر حملے کی منصوبہ بندی کی اور نومبر 2008میں شہر پر حملہ کیا ۔ہےڈلی نے رانا کو jyllands Posten پر حملہ کا مشورہ دیا اور اخبار کے بارے میں تفصیلات کی معلومات کے لئے ڈنمارک کے سفر کے لئے کہا گیا۔ہےڈلی نے رانا کی اجازت کے بعد فرسٹ ورلڈ کے نمائندے کے طور پر کوپن ہےگن کا دورہ کیا تاکہ وہاں دفتر کھولا جاسکے اور اخبار میں اشتہار دینے کے لئے اخبار کے آفس میں جایا جائے۔ شکاگو سے روانگی سے قبل ہےڈلی اور رانا نے بزنس کارڈ بنالیا ۔ہےڈلی کو امیگرینٹ لا سینٹر کے نمائندے کے طورپر پےش کیا گیا ۔
دسمبر 2008اور جنوری 2009کے آغاز میں ہےڈلی شکاگو میں تھا ۔اس نے وہاں سے ای- میل کئے اور عبدالرحمن ہاشم سیّد سے ای- میل وصول کئے۔ اس درمیان وہ حملہ کی منصوبہ بندی کرتے رہے اور ہیڈلی کے ڈنمارک دورہ کے سلسلہ میں بھی رابطہ میں رہے تاکہ وہ سروے کے بعد رپورٹ پےش کرے۔
جنوری 2009 میں ہےڈلی شکاگو سے کوپن ہےگن روانہ ہوا ۔اسے کوپن ہےگن اور آرہس شہر میں اخبار کے دفاتر کی تفصیل حاصل کرنی تھی۔
20جنوری 2009کو ہیڈلی اخبار ہٰذا کے دفتر میں فرسٹ ورلڈ کا اشتہار دینے کے بہانے داخل ہوگیا اور اس نے دفتر اور اطراف کے علاقے کی ویڈیو گرافی کرلی۔23جنوری 2009کو ہےڈلی آرہس میں واقع اخبار کے دفتر میں داخل ہوا اور دفتر کے بارے میں تفصیلات حاصل کیں۔
29جنوری کو تہوررانا نے اخبار میں اشتہار دینے کے بہانے ایک ای- میل روانہ کیا اور ہےڈلی کواپنا نمائندہ بتایا تھا
جنوری 2009میں ہےڈلی نے پاکستان کا دورہ کیا اور لشکر کے ممبرA اور عبدالرحمن ہاشم سیّد سے الگ الگ ملاقات کی اور اخبار پر حملہ کے تعلق سے تبادلہ خیال کیااور ویڈیو ٹےپ اور سروے رپورٹ پےش کی تھی۔مارچ 2009میں لشکر ممبرAنے ہےڈلی کو مطلع کیا کہ لشکر نے اخبار پر حملہ کا منصوبہ ملتوی کردیا ہے کےونکہ ممبئی حملہ کے بعد اس پر کافی دباﺅ بن گیا ہے۔
جنوری 2009میں عبدالرحمن ہاشم سیّد نے ہےڈلی کو القاعدہ کا ویڈیو پاکستان میں پےش کیا تھا۔
فروری 2009میں عبدالرحمن ہاشم سیّد ،ہےڈلی کو پاکستان کے خطہ وزیرستان میں الیاس کشمیری سے ملانے لے گیا۔اس میٹنگ کے دوران کشمیری نے اس بات کا اظہار کیا کہ اس نے کوپن ہےگن کے بارے میں تیار کیا گیاویڈیو ٹےپ دیکھا ہے .... اور کہا کہ اس کا خیال ہے کہ کارروائی میں ٹرک بم کا استعمال کیا جائے۔اس نے کہا کہ کارروائی میں حصہ لےنے کے لئے مین پاور فراہم کی جائے اور اس حملہ میں لشکر کی شمولیت ضروری نہےں ہے۔
مئی 2009میں عبد الرحمن ہاشم سید اورہےڈلی ایک بار پھر کشمیری سے ملاقات کے لئے وزیرستان گئے ۔اس میٹنگ کے دوران یورپےن تعلقات کا بھی ذکر ہوا، جواس حملہ کے لئے رقم، اسلحہ اور مین پاور حملہ کے لئے فراہم کرسکتے تھے۔ کشمیری نے ہےڈلی کو ان یورپےن سے ملنے کا مشورہ دیا۔
جولائی 2009میں عبدالرحمن ہاشم سید کو پاکستانی انتظامیہ نے گرفتار کرلیا۔ ہےڈلی نے پاکستان میں ساتھیوں سے رابطہ کیا کہ معلوم کرسکے کہ وہ ہاشم کے لئے کام کرسکتا ہے۔
جولائی 2009میں ہےڈلی نے شکاگو سے ایک پےغام کشمیری کو روانہ کیا، جس میں ہاشم کی گرفتاری اور یورپےن رابطہ سے ملاقات میں ناکامی کا ذکر کیا گیا تھا۔ کشمیری نے جواب دیا کہ ڈنمارک میں منصوبہ پر عمل کیا جائے گا اور وہ کشمیر ی کے یورپین رابطے سے رابطہ کرنے کی کوشش کرے جن کے ٹےلی فون نمبرپہلے ہی دئے جاچکے ہےں۔
جولائی میں اور اگست 2009کے آغاز میں ہےڈلی یورپ کے دیگر مقامات کے لئے شکاگو کے لئے روانہ ہوا، ان میں کوپن ہےگن بھی شامل تھا۔ اس سفر کے دوران ہےڈلی نے سروے کیا او ر 13ویڈیو ٹےپ تیار کےںاور اس سفر کے دوران ہےڈلی مسلسل کشمیری کے یورپین رابطہ میں رہا۔
جولائی 2009میں ہےڈلی نے شکاگو میں رانا کو القاعدہ کا ایک ویڈیو حوالے کیا ۔5اگست 2009کو ہےڈلی امریکہ واپس آگیا اور اس نے اٹلانٹا میں ایرپورٹ پر کسٹم اور بارڈر پٹرول انسپکٹر سے جھوٹ کہا کہ وہ یورپ کے سفر پر فرسٹ ورلڈ کے لئے بزنس کی غرض سے گیا تھا۔22اگست 2009کو ہےڈلی نے شکاگو سے عبدالرحمن ہاشم سید کے ساتھ گفتگو کی ۔(جو پولس حراست سے رہائی پر تھا)ہاشم نے پاکستان کے حالات پر بات چیت کے ساتھ مشورہ دیا کہ کشمیر سے ڈنمارک پلان کو تکمےل تک پہنچانے کے لئے رابطہ کرے۔ستمبر2009میں عبدالرحمن ہاشم نے پاکستان سے ہےڈلی سے رابطہ کیا اور ای -میل پر پےغام روانہ کئے اورکشمیر ی کے ڈرون حملہ میں ممکنہ موت پر تشویش کا اظہار کیا اور کوپن ہےگن میں اخبار کے دفتر پر حملہ کے منصوبہ پر گفتگو کی ۔2009کے موسم گرما میں رانا اور ہےڈلی نے اس بات پر اتفاق کیاکہ رانا کو ملا فنڈ کوپن ہیگن میں اخبار کے دفتر پر حملہ کے لئے استعمال کیا جائے، لےکن 3اکتو بر 2009کو شکاگو ایئرپورٹ پر ہےڈلی کو گرفتار کرلیا گیا، جب وہ 13ویڈیو کے ساتھ عبدالرحمن ہاشم کے ساتھ ملاقات کے لئے پاکستان جارہا تھا۔“

हेडली के खि़लाफ एफ.बी.आई की चार्जशीट -2
अज़ीज़ बर्नी

(कल का शेष)

(E) हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा के दौरान लश्कर सदस्यों A,
Person A और लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े व्यक्तियों से भेंट की और सर्वे रिपोर्ट के परिणाम से अवगत कराया था। उन्हें चित्र और वीडियो फिल्म भी पेश की थी।भारत में हेडली की गतिविधियां सितम्बर 2009 में आरंभ हुई थीं। लश्कर सदस्य A, Person A ने उसे भारत में ठहरने का निर्देश दिया और एक भवन में कार्यालय खोलने का सुझाव दिया था। मुम्बई और भारत में इस बीच विभिन्न स्थानों के चित्र और वीडियोग्राफी करने तथा ताजमहल होटल मुम्बई की विशेष रूप से फिल्म बनाने का निर्देश दिया गया था। नवम्बर 2006 में हेडली ने फस्र्ट वल्र्ड का कार्यालय खोला था, जिसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों को गुप्त रखना था। सितम्बर 2006 में हेडली ने लश्कर-ए-तैय्यबा के भारत और मुम्बई के प्रमुख स्थानों के चित्र प्राप्त किए और वीडियो फिल्म बनाई थी। उसके बाद हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की जहां उसने लश्कर सदस्य A, B और Person A से मुलाक़ात की थी और उन्हें सर्वे के दौरान प्राप्त चित्रों और वीडियो फिल्म पेश कर दी थी। फरवरी 2007 की यात्रा में हेडली को विशेष रूप से ताजमहल होटल की दूसरी मंज़िल की वीडियोग्राफी करने के लिए कहा गया था, जिस पर कान्फ्ऱेंस रूम और बालरूम स्थित हैं। (F) फरवरी 2007 में हेडली ने लश्कर के लिए सर्वे किया और ताजमहल होटल की और विशेष रूप से दूसरी मंजिल की वीडियो ग्राफी की गई। ओबेराॅय होटल केा भी विशेष महत्व दिया गया था। सितम्बर 2007 में हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की तो लश्कर सदस्य A, और Person A ने अलग-अलग स्थानों के साथ ताजमहल होटल की दूसरी मंजिल का, विशेष रूप से कान्फ्ऱेंस रूम का परीक्षण और भविष्य में होने वाली कान्फ्ऱेंस का विवरण इकट्ठा करने का निर्देश दिया था। (G)सितम्बर 2003 में अपना काम पूरा करके हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की उसने चित्र और वीडियो लश्कर सदस्य A, Person A के हवाले कर दिए। एक मुलाक़ात के दौरान ताजमहल होटल पर हमले का अभ्यास दिखाया गया। Person A से मुलाक़ात में उसे 2 हज़ार डाॅलर की भारतीय करंसी पेश की गई ताकि वह भारत में ख़र्च कर सके। मार्च 2008 में हेडली ने लश्कर सदस्य A और B से मुलाक़ात की इस अवसर पर लश्कर-ए-तैय्यबा के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। इस दौरान मुम्बई में तट पर उतरने के स्थानों पर विचार विमर्श किया गया। लश्कर सदस्य A और अन्य साथियों ने हेडली को बोट में यात्रा का सुझाव दिया था। उसे मुम्बई में ख़र्च के लिए और एक हज़ार डाॅलर भारतीय करंसी में दिए गए। मार्च या अप्रैल 2008 में उसे GPS सिस्टम दिया गया और उस उपकरण के प्रयोग के तरीक़े से अवगत कराया गया ताकि वह लेंडिंग साइट को रिकाॅर्ड कर ले। अप्रैल 2008 में हेडली ने मुम्बई हार्बर की यात्रा की और GPS उपकरण का प्रयोग किया गया। यात्रा में वीडियो रिकाॅर्डिंग की गई और अन्य स्थान सीएसटी भी गया। (H) इन गतिविधियों के बाद हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की और वहां उसने लश्कर सदस्य A और Person A से अलग-अलग मुलाक़ातें कीं और सर्वे रिपोर्ट पेश कीं। उसने लंेडिंग साइट के बारे में अपनी सिफारिश भी पेश की थी, जिसका प्रयोग हमलावर कर सकते हैं। उसने सर्वे के चित्र और वीडियो और GPS सिस्टम लश्कर सदस्य A को दे दी थीं। जुलाई 2008 से हेडली की गतिविधियां भारत में आरंभ हुई थीं। लश्कर सदस्य A ने हेडली को निर्देश दिया था कि GPS उपकरण के साथ और सर्वे किया जाए। जीपीएस उसे वापस कर दिया गया। लश्कर सदस्य A और B ने ताजमहल होटल और लेंडिंग के स्थानों का दूसरा सर्वे करने की आवश्यकता पर बल दिया। उसके साथ ताजमहल से एक पुलिस स्टेशन तक वीडियो फिल्म तैयार करने के लिए कहा गया। लश्कर सदस्य A, B ने अलग-अलग सुझाव दिया कि कोलाबा स्थित शबद हाऊस नामक यहूदी कम्यूनिटी संेटर की फिल्म तैयार कर ले।(I) जून 2008 में Person A ने हेडली को और डेढ़ हज़ार डाॅलर उपलब्ध कराए जोकि भारतीय करंसी में थे ताकि मुम्बई फस्र्ट वल्र्ड का कार्यालय बनाया जाए और दिल्ली में एक नया व्यवसाय आरंभ किया जाए ताकि हेडली की भविष्य की गतिविधियों को गुप्त रखा जा सके। जुलाई 2008 में हेडली ने ताजमहल होटल, शबद हाउस, सीएसटी, लीविड कैफ़े और बोट कर्मियों के उतरने वाले स्थानों का परीक्षण किया। इसके लिए GPS का प्रयोग किया गया था। जुलाई 2008 में सर्वे आरंभ किया गया। Person A ने तहव्वुर राना द्वारा संदेश भेज कर हेडली से संपर्क रखा था। (J)जुलाई 2008 के सर्वेक्षण के बाद हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की और लश्कर सदस्य A और B और Person A से भेंट की और प्रमुख दस्तावेज़ उनके हवाले कर दिए।जुलाई और अगस्त 2008 में लश्कर सदस्य बी और अन्य ने पाकिस्तान में विभिन्न युवकों को प्रशिक्षण दिया ताकि उन्हें विभिन्न गतिविधियों में प्रयोग किया जा सके। विशेष रूप से मुम्बई पर हमलें में उनका प्रयोग किया जाना था। उनको विभिन्न क्षेत्रों और काम का प्रशिक्षण दिया गया। मुम्बई पर हमले के दौरान हमलावरों से लश्कर सदस्य A और B, C ने टेलीफोन पर सम्पर्क रखा और उस समय यह लोग पाकिस्तान में ठहरे हुए थे। हमलावरों को सुझाव दिया गया कि वह अधिक से अधिक जानों का नुक़्सान पहुंचाएं, बंधक बनाएं, ग्रिनेड फैंकंे। लश्कर सदस्य ने बंधक बनाए गए व्यक्तियों के बदले अजमल आमिर क़साब को छुड़ाने की योजना बनाई थी।(K) नवम्बर 2008 के हमले के बाद person A ने हेडली को सुझाव दिया कि उससे सम्पर्क न करे जब तक कि सभी अनावश्यक वस्तुएं न हटा दी जाएं। जून 2008 में अलक़ाएदा ने शहाब मीडिया द्वारा इस्लामाबाद में डेन्मार्क के दूतावास पर हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार की थी और वारनिंग दी थी कि पैग़म्बरे इस्लाम के कार्टून प्रकाशित करने पर और हमले किए जाएंगे। अगस्त 2008 में अलक़ाएदा ने एक वीडियो जारी किया और उसमें मुस्तफ़ा अबू अलयज़ीद और अन्य लोगों ने कहा कि कार्टून प्रकाशित करने पर और हमले होंगे। इलियास कश्मीरी हरकतुल जिहाद-ए-इस्लामी का एक शक्तिशाली नेता है। 2007 के आरंभ में कश्मीरी की गतिविधियां पाकिस्तान के ट्राइब (FATA) क्षेत्र के शुरू हुईं। कश्मीरी अलक़ाएदा के साथ निरंतर सम्पर्क में रहा और विशेषरूप से यज़ीद उर्फ शेख़ साद अल-मिस्री से अच्छे संबंध थे। (k) अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद पाकिस्तानी नागरिक था और भूतपूर्व सैनिक था जिसका संबंध इलियास कश्मीरी और लश्कर सदस्य A से था। अक्तूबर 2008 और 13 अक्तूबर 2009 के बीच इलियास कश्मीरी, अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद और डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका के बाहर विभिन्न ख़तरनाक गतिविधियों में व्यस्थ रहे जिसमें डेनमार्क में Jyllands Posten और उसके दो कर्मियों के मामले में लिप्त रहे। अक्तूबर 2008 में लश्कर सदस्य । और हेडली की पाकिस्तान में मुलाक़ात हुई थी और अख़्बार श्रलससंदके च्वेजमद पर हमले के मामले में विचार विमर्श किया गया। हेडली ने लश्कर सदस्य A के साथ होने वाली बातचीत को लिख लिया। अक्तूबर 2008 में लश्कर सदस्य A ने हेडली को डेनमार्क और अख़बार के बारे में विवरण उपलब्ध कराए। दिसम्बर 2008 और जनवरी 2009 में विचार करने के बाद तहव्वुर राना के साथ हेडली ने मुम्बई पर हमले की योजना बनाई और नवम्बर 2008 में शहर पर हमला किया। हेडली ने राना को Jyllands Posten पर हमले का सुझाव दिया और अख़बार के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए डेनमार्क की यात्रा के लिए कहा गया। हेडली ने राना की अनुमति के बाद फस्र्ट वल्र्ड के प्रतिनिधि के रूप में कोपनहेगेन की यात्रा की ताकि वहां कार्यालय खोला जा सके और अख़बार में विज्ञापन देने के लिए अख़बार तक पहुंचा जाए। शिकागो से प्रस्थान से पूर्व हेडली और राना ने बिज़नेस कार्ड बना लिया। हेडली को इमिग्रेंट लाॅ सेंटर के प्रतिनिधि के रूप में पेश किया गया। दिसम्बर 2008 और जनवरी 2009 के आरंभ में हेडली शिकागो में था। ई-मेल भेजे और अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद से ई-मेल प्राप्त किए, इस बीच वह हमले की योजनाबंदी करते रहे और हेडली की डेनमार्क यात्रा के सिलसिले में भी सम्पर्क में रहे ताकि वह सर्वे के बाद रिपोर्ट पेश करें।जनवरी 2009 में हेडली शिकागो से कूपनहेगन रवाना हुआ। उसे कूपनहेगन और आरहेस शहर में अख़बार के कार्यालय का विवरण प्राप्त करना था। 20 जनवरी 2009 को हेडली इस अख़बार के कार्यालय में फस्र्ट वल्र्ड का विज्ञापन देने के बहाने दाख़िल हो गया और उसने कार्यालय और उसके आस-पास के क्षेत्र की वीडियोग्राफी कर ली। 23 जनवरी 2009 को हेडली आरहेस स्थित समाचारपत्र के कार्यालय में दाख़िल हुआ और कार्यालय के बारे में विवरण प्राप्त कर लिए। 29 जनवरी को तहव्वुर राना ने अख़बार में विज्ञापन देने के बहाने एक ई-मेल भेजा और हेडली को अपना प्रतिनिधि बताया था। जनवरी 2009 में हेडली ने पाकिस्तान की यात्रा की और लश्कर के सदस्य A और अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद से अलग-अलग भेंट की और समाचारपत्र पर हमले के संबंध में विचार-विमर्श किया और वीडियो टेप और सर्वे रिपोर्ट पेश की थी। मार्च 2009 में लश्कर सदस्य A ने हेडली को सूचित किया कि लश्कर ने समाचारपत्र पर हमले की योजना स्थगित कर दी है क्येांकि मुम्बई हमले के बाद उस पर काफी दबाव बन गया है। जनवरी 2009 में अब्दुर्रहमान हाशिम सय्यद ने हेडली को अलक़ाएदा का वीडियो पाकिस्तान में पेश किया था। फरवरी 2009 में अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद ने हेडली को पाकिस्तान के क्षेत्र वज़ीरिस्तान में इलियास कश्मीरी से मिलाने ले गया। इस मीटिंग के दौरान कश्मीरी ने इस बात को व्यक्त किया कि उसने कोपनहेगन के बारे में तैयार किया गया वीडियो टेप देखा है और कहा कि उसका विचार है कि कार्यवाही में ट्रक-बम इस्तेमाल किया जाए। उसने कहा कि कार्यवाही में भाग लेने के लिए मेनपावर उपलब्ध कराई जाए और इस हमले में लश्कर का शामिल होना आवश्यक नहीं है। मई 2009 में अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद और हेडली एक बार फिर कश्मीरी से मुलाक़ात के लिए वज़ीरिस्तान गए। इस मीटिंग के दौरान योरीपिय संबंध का भी उल्लेख किया, जो इस हमले के दौरान पैसा, हथियार और मेनपाॅवर उपलब्ध कर सकते थे। कश्मीरी ने हेडली को इन यूरोपीय संबंधों से मिलने का सुझाव दिया।जुलाई 2009 में अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद को पाकिस्तानी प्रशासन ने गिरफ़्तार कर लिया। हेडली ने पाकिस्तान में साथियों से सम्पर्क किया ताकि मालूम कर सकें कि वह हाशिम के लिए काम कर सकता है। जुलाई 2009 में हेडली ने शिकागो से एक संदेश कश्मीरी को भेजा जिसमें हाशिम की गिरफ़्तारी और यूरोपीय संबंधों से मुलाक़ात में असफलता का उल्लेख किया गया था। कश्मीरी ने जवाब दिया कि डेनमार्क में योजना पर अमल किया जाएगा और वह कश्मीरी के यूरोपीय संबंधों से सम्पर्क करने की कोशिश करे जिनके टेलीफोन नं॰ पहले ही दिए जा चुके हैं। जुलाई में और अगस्त 2009 के आरंभ में हेडली यूरोप के अन्य स्थानों के के लिए शिकागो के लिए रवाना हो गया। उनमें कूपनहेगन भी शामिल था। इस यात्रा के दौरान हेडली ने सर्वे किया और 13 वीडियो टेप तैयार कीं। और इस यात्रा के दौरान हेडली निरंतर कश्मीरी के यूरोपीय सम्पर्क में रहा। जुलाई 2009 में हेडली ने शिकागो में राना को अलक़ाएदा का एक वीडियो हवाले किया। 5 अगसत 2009 को हेडली अमेरिका वापस आ गया और उसने अटलांटा में एयरपोर्ट पर कस्टम और बार्डर पैट्रोल इंस्पेक्टर से झूठ कहा कि वह यूरोप की यात्रा पर फस्र्ट वल्र्ड के लिए बिज़नेस के उद्देश्य से गया था। 22 अगस्त 2009 को हेडली ने शिकागो से अब्दुर्रहमान हाशिम सैय्यद के साथ बातचीत की। (जो पुलिस हिरासत से रिहाई पर था) हाशिम ने पाकिस्तान के हालात पर बातचीत के साथ सुझाव दिया कि कश्मीरी से डेनमार्क योजना को पूरा करने के लिए सम्पर्क करे। सितम्बर 2009 में अब्दुर्रहमान हाशिम ने पाकिस्तान से हेडली से सम्पर्क किया और ई-मेल पर संदेश रवाना किए और कश्मीरी की ड्रोन हमले में सम्भावित मृत्यु पर चिंता प्रकट की और कूपनहेगन में समाचारपत्र के कार्यालय पर हमले की योजना पर बात की। 2009 के गर्मी के मौसम में राना और हेडली ने इस बात पर सहमति जताई कि राना को मिला फंड कूपनहेगन में समाचार पत्र के कार्यालय पर हमले के लिए प्रयोग किया जाए। लेकिन 3 अक्तूबर 2009 को शिकागो एयरपोर्ट पर हेडली को गिरफ़्तार कर लिया गया जब वह 13 वीडियो के साथ अब्दुर्रहमान हाशिम से मुलाक़ात के लिए पाकिस्तान जा रहा था।’’................................................................

Monday, January 18, 2010

हेडली के खिलाफ एफ . बी .आई की चार्जशीट
अज़ीज़ बर्नी

gsMyh dk vkjksi i= ftlds vk/kkj ij f'kdkxks dh vnkyr esa dsl ntZ fd;k x;k vkSj vtey vkfej d+lkc dk bd+ckfy;k c;ku ftlds vk/kkj ij eqEcbZ dh vnkyr esa dk;Zokgh tkjh gSA x`g ea=h ihñ fpnEcje us laln esa c;ku fn;k] bl le; og nksuksa esjs lkeus gSaA eSa pkgrk gwa fd ikBd vkSj gekjs ns'k dh xqIrpj ,tsafl;ka ,d lkFk bu nksuksa dh rqyuk djsa] blfy, fd 26 uoEcj 2008 dks eqEcbZ ds jkLrs Hkkjr ij gq, vkradoknh geys dk xgjk laca/k bu nksuksa c;kuksa ;k iqfyl tkap fjiksVZ ls gSA ,d lQyrk dk Js; eqEcbZ iqfyl ds flj gS] ftlus 10 vkradokfn;ksa esa ls ,d vkradoknh vtey vkfej d+lkc dks thfor idM+us esa lQyrk izkIr dh vkSj nwljh dke;kch dk Js; ,QchvkbZ ds flj gS] ftlus gsMyh dks f'kdkxks eas fxj¶+rkj fd;kA vtey vkfej d+lkc vkSj gsMyh nksuksa us vius&vius vankt+ esa eqEcbZ ij gq, vkradoknh geys dks foLrkj ls c;ku fd;k gSA vc gesa ns[kuk ;g gS fd ;g dkaLizslh&F;ksjh tks nksuksa }kjk c;ku dh xbZ] D;k ,d gh fn'kk esa tkrh gS\ ;k nksuksa dgkfu;ksa esa dqN fojks/kkHkkl gSA ge ,d lkFk nksuksa dks j[k nsrs gSaA gsMyh ds vkjksi i= ij tukc chñje.k lkgc us cgqr dke fd;k gSA blfy, igys ge 'kq:vkr mlh ls djrs gSaA

^^14 tuojh dks QsMªy C;wjks vkWQ bUosfLVxs'ku ¼,QchvkbZ½ us iwohZ bfyU;wl fMoht+u (Northern Distt. Court of Illinios) dh ft+yk vnkyr ds tt gSjh Mh ysfuu oScj ds lkeus y'dj&,&rS¸;ck f'kdkxks lsy ls tqMs MsfoM dksyeSu gsMyh vkSj rgOoqj gqlSu jkuk ds fo#) 26@11 ds eqEcbZ geys ds ekeys esa vkjksi i= nkf[+ky fd;kA mlds fo#) MsuekdZ ds Mp v[+ckj ds dk;kZy; ij geys dk "kM+;a= jpus dk Hkh vkjksi yxk;k x;kA bl v[+ckj us 2005 esa iSx+Ecj&,&bLyek dk dkVwZu izdkf'kr fd;k FkkA

vkjksi i= esa eqEcbZ ds vkradoknh geys dks y'dj&,&rS¸;ck vkSj gjdrqy ftgkn bLykeh dh la;qDr dk;Zokgh d+jkj fn;k x;k gSA muesa y'dj ds pkj lnL;ksa vkSj estj vCnqjZgeku gkf'ke lS¸;n mQZ ik'kk ds uke Hkh 'kkfey gSaA ;g yksx ,d vksj gsMyh vkSj jkuk vkSj ot+hfjLrku ds bfy;kl d'ehjh ds chp rhljh dM+h jgs Fks tksfd gjdrqy ftgkn&,&bLykeh ds 313 fczxsM dk izeq[k FkkA vkjksi i= esa ikfdLrku ds y'dj&,&rS¸;ck ds pkjksa lnL;ksa dh igpk;u t+kfgj ugha dh xbZ gS] ftuds b'kkjs ij gsMyh dke djrk FkkA

muds y'dj&,&rS¸;ck ds lnL;ksa dk mYys[k A, B, C vkSj D ls fd;k x;k gSA buesa ls fdlh dks Hkh lg vkjksih ugha cuk;k x;k gSA u gh ,QchvkbZ us mudh fxj¶+rkjh vkSj ikfdLrku ls muds izR;kiZ.k dh ekax dh xbZ gS] rkfd f'kdkxks dksVZ esa eqd+nek pyk;k tk,] tgka blh izdkj dk eqd+nek py jgk gSA blls ladsr fey ldrk gS fd pkj vfpfUgr y'dj&,&rS¸;ck ds lnL; mu 7 lnL;ksa esa 'kkfey gSa ftuds fo#) ikfdLrkuh vnkyr esa eqd+nek py jgk gS vkSj mu ij eqEcbZ geys esa fyIr gksus dh lkft+'k dk vkjksi yxk;k x;k gSA ;g yksx fQygky ikfdLrku esa dsl dk lkeuk dj jgs gSaA ,QchvkbZ us blh izdkj dk dsl muds f[+kykQ+ f'kdkxks esa pykus dh bPNk O;Dr ugha dh gSA

Hkkjrh; tkapdrkZvksa dks bu pkjksa dh igpku dk gj gky esa irk yxkuk pkfg,A bl vkjksi i= esa egRoiw.kZ izek.k ik, tkrs gSaA ^y'dj lnL; A' ikfdLrku dk ukxfjd gSA y'dj&,&rS¸;ck ds lkFk mldk lEidZ gS vkSj y'dj ds vU; lnL;ksa dk ekxZn'kZu djrk gSA gsMyh vkSj vU; dks Hkh bldk lg;ksx izkIr FkkA ^y'dj lnL; B' ikfdLrku dk ukxfjd gS] mldh ft+Eesnkjh vkradoknh geyksa ds fy, izf'k{k.k nsuk gSA ^y'dj lnL; C ikfdLrkuh ukxfjd gS vkSj y'dj&,&rS¸;ck dk dekUMj gSA ^y'dj lnL; D ikfdLrkuh ukxfjd gS vkSj y'dj dk ,d dekUMj gSA eqEcbZ ij geykojksa dk y'dj lnL; A, B, C ds lkFk VsyhQksu ij lEidZ jgk tksfd ml le; ikfdLrku esa FksA

fo'ks"k ckr ;g gS fd geys ds nkSjku geykojksa dks dk;Zokgh] ca/kdksa dh gR;k djus vkSj fxzusM QSadus tSls funsZ'k fn, tkrs jgs FksA y'dj lnL; A us ca/kdksa ds cnys vtey d+lkc dks izkIr djus dh ;kstuk cukbZ FkhA vkjksi i= esa Person A dk mYys[k ikfdLrkuh ukxfjd ds :i esa fn;k x;k gSA geys ds fy, y'dj&,&rS¸;ck dh lkft+'k vkSj QaM bdV~Bk djus dh dk;Zokgh esa fyIr FkkA mls y'dj dk lnL; ugha crk;k x;k gSA vkjksi i= ds v/¸;u ls irk pyrk gS fd laHko gS fd Person A estj ¼fjVk;MZ½ vCnqjZgeku gkf'ke lS¸;n mQZ ik'kk gksA

blds ckjs esa dgk tkrk gS fd tqykbZ 2006 esa gsMyh dks mlus 25 gt+kj MkWyj Hkkjr esa [+kpZ djus ds fy, fn, FksA flrEcj 2007 esa 2 gt+kj MkWyj Hkkjrh; djalh vkSj twu 2008 esa Ms<+ gt+kj MkWyj Hkkjrh; djalh ds :i esa fn, FksA ekpZ 2008 esa y'dj lnL; A us mls ,d gtkj MkWyj Hkkjrh; djalh eas fn, FksA

eqEcbZ geyksa ds ekeyksa ds fdlh Hkh ikfdLrkuh dks lg;ksxh ugha fn[k;k x;k gSA bfy;kl d'ehjh vkSj estj vCnqjZgeku dks Mp v[+ckj ds dk;kZy; ij geys ds ekeys esa vkjksih cuk;k x;k gSA ,QchvkbZ us bu vfHk;qDrksa dks ikfdLrku ls ekaxus vkSj izR;kiZ.k ds ckn vesfjdk esa dsl pykus ds ekeys dks lqjf{kr j[kk gSA

pktZ'khV ds vuqlkj MsuekdZ ij geys dh ;kstuk y'dj vkSj gjdrqy ftgkn&,&bLykeh us la;qDr :i ls rS;kj dh FkhA ekpZ 2009 esa y'dj&,&rS¸;ck us Lo;a dks bl ;kstuk ls vyx dj fy;kA D;ksafd eqEcbZ ij geys ds ekeys esa ikfdLrku iz'kklu }kjk dqN lnL;ksa ds fo#) dk;Zokgh dh xbZ FkhA

;g ;kstuk iw.kZr% gjdrqy ftgkn&,&bLykeh dh FkhA Qjojh 2008 ds vkjaHk esa tc gsMyh vkSj bfy;kl d'ehjh dh ot+hfjLrku esa eqykd+kr gqbZ FkhA ml volj ij estj vCnqjZgeku Hkh mifLFkr FkkA bfy;kl d'ehjh us mls crk;k fd mlus MsuekdZ ij geys ds fy, yksxksa dh O;oLFkk dj yh gS vkSj y'dj dk 'kkfey gksuk t+:jh ugha gSA

gsMyh us flrEcj 2006] Qjojh 2007] flrEcj 2007] vizSy 2008] tqykbZ 2008 vkSj ekpZ 2009 esa 6 ckj Hkkjr dh ;k=k dhA igyh 5 ;k=k;sa eqEcbZ geys ds flyflys esa fooj.k vkSj ohfM;ks fjdkWfMZax ds mn~ns'; ls dh x;hA ekpZ 2009 dh ;k=k Hkfo"; esa geys dh ;kstukcanh ds fy, dh xbZ FkhA flrEcj 2007 esa ikfdLrku ;k=k ds nkSjku y'dj lnL; A us rktegy gksVy ij geys dk vH;kl fn[kk;k FkkA vizSy vkSj tqykbZ 2008 esa Hkkjr dh 2 ;k=kvksa esa lnL; A vkSj lnL; B us mls GPS fn;k Fkk vkSj dgk fd cksV esa ;k=k ds nkSjku vkSj mrjrs le; laHkkfor :i ls fjdkWfMZax dj yh tk,A nksuksa ;k=kvksa ds chp gsMyh vius lkFk GPS midj.k yk;k FkkA vkSj nksuksa ckj GPS dks okil ikfdLrku ys x;k Fkk vkSj Hkkjrh; dLVe us bldh tkap ugha dhA

rgOoqj jkuk dks Hkkjr esa vkradokn ds fy, lgk;rk miyC/k djkus vkSj MsuekdZ esa geys dh ;kstuk cukus tsls nks pj.kksa esa lgvkjksih cuk;k x;k gSA MsuekdZ ij geys dh ;kstuk cukus ds fy,] bfy;kl d'ehjh vkSj estj vCnqjZgeku dks Hkh lgvkjksih cuk;k x;k gSA eqEcbZ geys ds lHkh ekeyksa esa gsMyh ,d ek= vkjksih gS vkSj fdlh dks Hkh lgvkjksih ugha cuk;k x;k gSA

vkjksi i= ds izeq[k fcanq&ch-jeu

gsMyh us ikfdLrku esa vk;ksftr gksus okys y'dj&,&rS¸;ck ds izf'k{k.k f'kfoj esa f'kjdr dh tksfd Qjojh 2002] vxLr 2002] vizSy 2003] vxLr 2003 vkSj fnlEcj 2003 esa vk;ksftr gqvk FkkA vkradoknh geys dh rS;kjh vkSj ;kstuk cukus ds fy, gsMyh us y'dj ds ofj"B lnL;ksa ls lg;ksx fd;kA

f'kdkxksa esa QLVZ oYMZ ,fexzs'ku lfoZl ¼QLVZ oYMZ½ ,fexzs'ku ykW lsaVj ds uke ls O;olk; djrh gSA tcfd f'ko ikdZ] VksjsaVks vkSj dbZ LFkkuksa ij dk;kZy; gSaA rgOoqj gqlSu jkuk QLVZ oYMZ dk ekfyd gS vkSj fct+usl dh ns[kHkky djrk gSA mlds gsMyh ds lkFk ?kfu"B laca/k gSaaA

vkjksi i= eas ^^y'dj ds lnL; A** dk gokyk nsrs gq, mls ikfdLrkuh ukxfjd d+jkj fn;k gS vkSj mlds y'dj&,&rS¸;ck ds lkFk ?kfu"B laca/k Fks vkSj gsMyh rFkk vU; O;fDr;ksa ds lkFk lEidZ esa FkkA ,d O;fDr dks ^^y'dj dk lnL; A^ d+jkj fn;k x;k gS tksfd y'dj&,&rS¸;ck ds yksxksa dks vkradoknh geyksa ds fy, VsfDudy izf'k{k.k nsrk gSA y'dj&,&rS¸;ck lnL; C vkSj D dekUMj vkSj ikfdLrkuh ukxfjd FksA

¼B½ ,d vU; O;fDr ''Person A'' Hkh ikfdLrkuh Fkk vkSj mlus y'dj&,&rS¸;ck dh ;kstukcanh vkSj QaM miyC/k djkus esa fgLlk fy;k FkkA

2005 ds chp vkSj 3 vDrwcj 2009 dks fxj¶+rkjh rd gsMyh us y'dj lnL;ksa D vkSj A,B,C ds lkFk lkft+'k jph Fkh vkSj vKkr yksxksa dks fofHkUu izdkj dk izf'k{k.k fn;k x;k ftlesa foLiksBd inkFkks± dk iz;ksx vkSj gfFk;kjksa dk iz;ksx 'kkfey FkkA lHkh LFkkuksa] ifCyd VªkaLiksVZ flLVe vkSj egRoiw.kZ izfr"Bkuksa dks Hkkjr esa fu'kkuk cukus dh Vsªfuax nh xbZA bl ckr dk funsZ'k fn;k x;k Fkk fd geys esa grkkgr gksa vkSj xaHkhj :i ls ?kk;y gksaA izfr"Bkuksa dh rckgh ds lkFk&lkFk Hkkjh tku o eky ds uqD+lku dk lkeuk gksA 2005 ds var esa y'dj lnL; A, y'dj lnL; B vkSj y'dj lnL; D us gsMyh ls dgk fd og Hkkjr dh ;k=k djs vkSj y'dj&,&rS¸;ck }kjk fu'kkuk crk, tkus okys LFkkuksa dk ijh{k.k djsA

(B) Hkkjr dh ;k=k ds nkSjku ikfdLrku ds lkFk laca/k vkSj vius /keZ dks xqIr j[ksA

Qjojh 2006 esa ¶+ykMsfYQ+;k] isUlksokfd;k esa gsMyh us viuk uke cny djds nkÅn xhykuh ls MsfoM dksyeSu gsMyh j[k fy;k rkfd y'dj&,&rS¸;ck ds lkFk mlds laca/k dks xqIr j[kk tk lds vkSj Lo;a dks Hkkjr esa vesfjdh ukxfjd ds :i esa is'k dj lds tksfd u eqfLye vkSj u gh ikfdLrkuh gSA

2006 olar _rq esa y'dj lnL; A vkSj y'dj lnL; B us gsMyh ls eqEcbZ esa ,fexsz'ku dk;kZy; [kkyus ls lacaf/kr fopkj foe'kZ fd;k rkfd mldh xfrfof/k;ksa dks Nqik;k tk ldsA

twu 2006 esa gsMyh us f'kdkxks dh ;k=k dh rkfd rgOoqj gqlSu jkuk ls Hkkjr esa laHkkfor LFkkuksa ij geys vkSj eqEcbZ esa QLVZ oYMZ dk;kZy; [kksyus dh vuqefr ekaxh tk, rkfd xfrfof/k;ksa dks Nqik;k tk,A jkuk us QLVZ oYMZ ds ,d O;fDr dks gsMyh ds nLrkost+ rS;kj djus dk funsZ'k fn;k rkfd gsMyh dh xfrfof/k;ksa dks xqIr j[kk tk,A jk.kk us gsMyh dks Hkkjr ds fy, oht+k izkIr djus ds ckjs esa Hkh lq>ko fn;kA Hkkjr dks oht+k izkfIr ds fy, fn, x, vkosnu esa gsMyh us vius tUe ds uke] firk dk lgh uke rFkk ;k=k ds mn~ns'; dks x+yr

2006 twu esa gsMyh dks 25 gt+kj MkWyj miyC/k djk, x, ftldk iz;ksx vU; ekeyksa rFkk eqEcbZ dk;kZy; dh LFkkiuk ds fy, fd;k tk ldsA

flrEcj 2006] Qjojh 2007] flrEcj 2007] vizSy 2009 vkSj tqykbZ 2008 esa gsMyh us eqEcbZ dh ;k=k dh ftldk mn~ns'; eqEcbZ ds izeq[k LFkkuksa dks fpfUgr djuk Fkk rkfd y'dj ds geys dks vatke rd igqapk;k tk ldsA QLVZ oYMZ ds lkFk laca/kksa }kjk viuh ;k=k dks xqIr j[kk tk ldsA gsMyh ds izLFkku ls iwoZ lnL; A, Person A vkSj vU; O;fDr;ksa us gsMyh dks eqEcbZ rFkk Hkkjr ds vU; LFkkuksa dh ohfM;ksxkzQ+h djus dk lq>ko fn;k FkkA

-------------------------¼tkjh½

ہیڈلی کے خلاف ایف بی آئی کی چارج شیٹ
عزیز برنی

ہیڈلی کی چارج شیٹ جس کی بنیاد پر شکاگو کی عدالت میں مقدمہ درج کیا گیا اور اجمل عامر قصاب کا اقبالیہ بیان ،جس کی بنیاد پر ممبئی کی عدالت میں کارروائی جاری ہے ۔ وزیرداخلہ پی چدمبرم نے پارلیمنٹ میں بیان دیا، اس وقت وہ دونوں میرے سامنے ہیں۔ میں چاہتا ہوں کہ قارئین اور ہمارے ملک کی خفیہ ایجنسیاں ایک ساتھ ان دونوں کا موازنہ کریں، اس لئے کہ 26نومبر 2008کو ممبئی کے راستے ہندوستان پر ہوئے دہشت گردانہ حملے کا گہرا تعلق ان دونوں بیانات یا پولس جانچ رپورٹ سے ہے ۔ایک کامیابی کا سہرا ممبئی پولس کے سر ہے، جس نے 10 دہشت گردوں میں سے ایک دہشت گرد اجمل عامر قصاب کو زندہ پکڑنے میں کامیابی حاصل کی اور دوسری کامیابی کا سہرا ایف بی آئی کے سر ہے،جس نے ہیڈلی کو شکاگو میں گرفتار کیا۔ اجمل عامر قصاب اور ہیڈلی دونوں نے اپنے اپنے انداز میں ممبئی پر ہوئے دہشت گردانہ حملے کی تفصیل بیان کی ہے۔ اب ہمیں دیکھنا یہ ہے کہ یہ کانسپریسی تھیوری جو دونوں کے ذریعے بیان کی گئی، کیا ایک ہی سمت میں جاتی ہے؟یا دونو ں کہانیوں میں کچھ تضاد ہے۔ ہم ایک ساتھ دونوں کو رکھ دیتے ہیں،ہیڈلی کی چارج شیٹ پر جناب بی رمن صاحب نے بہت کام کیا ہے، لہٰذا پہلے ہم شروعات اسی سے کرتے ہیں ۔
”14 جنوری کوفےڈرل بےوروآف انوسٹی گےشن (اےف بی آئی)نے مشرقی الینوس ڈوےژن(Northern District Court Of lllinios) کی شمالی ضلع عدالت کے جج ہےری ڈی لےنن وےبر کے سامنے لشکر طےبہ شکاگو سیل سے وابستہ ڈیوڈ کولمین ہےڈلی اورتہور حسےن رانا کے خلاف 26/11کےممبئی حملے کے معاملہ مےں چارج شےٹ داخل کی ۔ اس کے خلاف ڈنمارک کے ڈچ اخبار کے دفتر پرحملے کی سازش رچنے کابھی الزام عائد کےا گےا اس اخبار نے 2005 مےں پےغمبر اسلام کا کارٹون شائع کےاتھا۔
چارج شےٹ مےں ممبئی کے دہشت گردانہ حملے کولشکر طےبہ اورحرکت الجہاد اسلامی کی مشترکہ کارروائی قرار دےا گےاہے ۔ان مےں لشکر کے چارممبران اورمےجرعبدالرحمن ہاشم سےد عرف پاشا کے نام بھی شامل ہےں۔ےہ لوگ اےک طرف ہےڈلی اوررانا اوروزےر ستان کے الےاس کشمےری کے درمےان ثالث رہے تھے جوکہ حرکت الجہاد اسلامی کے 313 برےگےڈ کا سربراہ تھا۔ چارج شےٹ مےں پاکستان کے لشکر طےبہ کے چاروں ممبران کی شناخت ظاہر نہےں کی گئی ہے جن کے اشارے پرہےڈ لی کام کرتاتھا۔
ان کے لشکر طےبہ کے ممبران کاحوالہ A,B,C, اورD سے دےاگےاہے ۔ان مےں سے کسی کو بھی معاون ملزم نہےں بتاےاگےاہے۔ نہ ہی اےف بی آئی نے ان کی گرفتاری اور پاکستان سے ان کی حوالگی کامطالبہ کےاہے تاکہ شکاگو کورٹ مےں مقدمہ چلاےاجائے ۔ جہاں اسی قسم کامقدمہ چل رہا ہے۔ اس سے اشارہ مل سکتاہے کہ چارغےر شناخت لشکر طےبہ کے ممبران ان 7 ممبران مےں شا مل ہےں، جن کے خلاف پاکستانی عدالت مےں مقدمہ چل رہا ہے اور ان پر ممبئی حملے کی سازش مےں ملوث ہونے کاا لزام لگاےا گےاہے ۔ ےہ لوگ فی الحال پاکستان مےں مقدمہ کاسامنا کررہے ہےں۔ اےف بی آئی نے اسی قسم کامقدمہ ان کے خلاف شکاگو مےں چلانے کااظہار نہےں کےاہے ۔
ہندوستانی تفتےش کاروں کو ان چاروں کی شناخت کاہرحال مےں پتہ لگانا چاہئے ۔ اس چارج شےٹ ہی مےں اہم ثبوت پائے جاتے ہےں۔ ’لشکر ممبرA‘پاکستان کا شہری ہے۔ لشکرطےبہ کے ساتھ اس کا رابطہ ہے اور لشکر کے دےگر ممبران کے رہنمائی کرتا ہے۔ ہےڈلی اوردےگر کوبھی اسکی مدد حاصل تھی۔ ’لشکر ممبر B‘پاکستان کاشہری ہے، اس کی ذمہ داری دہشت گردانہ حملوںکے لئے تربےت دےنا ہے ۔ ’لشکرممبرC ‘پاکستانی شہری ہے اور لشکر طےبہ کاکمانڈر ہے۔’لشکر ممبر D‘پاکستانی شہری ہے اور لشکر کااےک کمانڈر ہے۔ممبئی پر حملہ آوروں کا لشکر ممبر A,B,C کے ساتھ ٹےلی فون پر رابطہ رہا جو کہ اس وقت پاکستان مےں مقےم تھے ۔
اہم ترےن بات ےہ ہے کہ حملے کے دوران حملہ آوروںکوکارروائی ،ےرغمالےوں کوقتل کرنے اور گرےنڈز پھےنکنے جےسی ہداےات دی جاتی رہی تھےں۔ لشکر ممبر A نے ےرغمالےوں کے بدلے اجمل قصاب کوحاصل کرنے کی منصوبہ بندی کی تھی۔ چارج شےٹ مےںA)۔Person) کاحوالہ پاکستانی شہری کے طورپر دےاگےاہے ۔ حملے کے لئے لشکر طےبہ کی سازش اورفنڈ جمع کرنے کی کارروائی مےں ملوث تھا۔ اسے لشکر کارکن نہےں بتاےاگےا ہے۔ چارج شےٹ کاجائزہ لےنے سے پتہ چلتا ہے کہ امکان ہے کہ (A۔Person) مےجر (رےٹائرڈ ) عبدالرحمٰن ہاشم سےد عرف پاشاہو۔
اس کے بارے مےں کہاجاتا ہے کہ جولائی 2006 مےں ہےڈلی کو اس نے 25 ہزار ڈالر ہندوستان مےں اخراجات کےلئے دےئے تھے ۔ ستمبر 2007 مےں 2 ہزار ڈالر ہندوستانی کرنسی اور جون 2008 مےں ڈےڑھ ہزار ڈالر ہندوستانی کرنسی کی شکل مےں دےئے تھے۔ مارچ 2008 مےںلشکر ممبر A نے اسے اےک ہزار ڈالر ہندوستانی کرنسی مےں دیے تھے۔
ممبئی حملوں کے معاملہ مےں کسی بھی پاکستانی کومعاون نہےں دکھاےا گےاہے ۔ الےاس کشمےری اورمےجر عبدالرحمٰن کوڈچ اخبار کے دفتر پرحملے کے معاملے مےں ملزم قراردےاگےا ہے ۔ اےف بی آئی نے ان ملزمےن کوپاکستان سے مانگنے اور حوالگی کے بعد امرےکہ مےں مقدمہ چلانے کے معاملے کومحفوظ رکھاہے۔
چارج شےٹ کے مطابق ڈنمارک پرحملہ کامنصوبہ لشکر اور حرکت الجہاد اسلامی نے مشترکہ طورپر تےارکےاتھا۔ مارچ 2009 مےں لشکر طےبہ نے خودکو اس منصوبے سے الگ کرلےا ۔ کےونکہ ممبئی پرحملے کے معاملے مےں پاکستان انتظامےہ کے ذرےعہ چند ممبر ان کے خلاف کارروائی کی گئی تھی۔
ےہ منصوبہ خالص حرکت الجہاد اسلامی کاتھا۔ فروری 2008 کے آغاز مےں جب ہےڈلی اورالےاس کشمےری کی وزےرستان مےں ملاقات ہوئی تھی۔اس موقع پر مےجر عبدالرحمٰن بھی موجود تھا۔ الےاس کشمےری نے اسے بتاےاکہ اس نے ڈنمارک پرحملے کےلئے لوگوں کا انتظام کرلےا ہے اورلشکر کی شمولےت ضروری نہےں ہے۔
ہےڈلی نے ستمبر 2006 ،فروری 2007 ،ستمبر 2007،اپرےل 2008،جولائی 2008 ،اورمارچ2009 ،مےں6 مرتبہ ہندوستان کادورہ کےا ۔
پہلے5 دورے ممبئی حملے کے سلسلے مےں تفصےلات اوروےڈےو رےکارڈ نگ کے مقصدسے کئے گئے ۔مارچ 2009 کا دورہ مستقبل مےں حملے کی منصوبہ بندی کےلئے کےاگےا تھا۔ ستمبر 2007 مےں پاکستان دورے کے دوران لشکر ممبر A نے تاج محل ہوٹل پرحملے کی رےہرسل دکھائی تھی۔ اپرےل اورجولائی 2008 مےں ہندوستان کے 2 دورے مےں ممبر A اورممبر B نے اسے جی پی اےس دےاتھا اور کہاکہ بوٹ مےں سفرکے دوران اوراترتے وقت ممکنہ طورپر رےکارڈنگ کرلی جائے ۔ دونوں دورے کے درمےان ہےڈلی اپنے ساتھ GPS آلہ لاےا تھا اور دونوں مرتبہ GPS کوواپس پاکستان لے گےاتھا اورہندوستانی کسٹمزنے اسکی جانچ نہےں کی ۔
تہور رانا کو ہندوستان مےں دہشت گردی کے لئے مدد فراہم کرنے اورڈنمارک مےں حملے کی منصوبہ بندی جےسے دومعاملات مےں معاون ملزم بناےاگےا ہے۔ ڈنمارک پرحملے کی منصوبہ بندی ،الےاس کشمےری اورمےجر عبدالرحمٰن کوبھی معاون ملزم قرار دےا گےاہے۔ ممبئی حملے کے سبھی معاملات مےں ہےڈلی واحد ملزم ہے اور کسی کوبھی معاون ملزم نہےں بناےاگےاہے۔
چارج شیٹ کے اہم نکات-بی رمن
ہیڈلی نے پاکستان میں منعقد ہونے والے لشکر طیبہ کے ٹریننگ کیمپ میں شرکت کی، جو کہ فروری 2002، اگست 2002، اپریل 2003، اگست 2003 اور دسمبر 2003 میں منعقد ہوا تھا۔ دہشت گردانہ حملے کی تیاری اور منصوبہ بندی کے لئے ہیڈلی نے سینئر لشکر کے ممبران سے تعاون کیا۔
شکاگو میں فرسٹ ورلڈ امیگریشن سروس (فرست ورلڈ) امیگریشن لاءسینٹر کے نام سے کاروبار کرتی ہے جبکہ شیو پارک، ٹورنٹو اور کئی مقامات پر دفاتر ہیں۔ تہور حسین رانا فرسٹ ورلڈ کا مالک ہے اور بزنس کی دیکھ بھال کرتا ہے۔ اس کے ہیڈلی کے ساتھ گہرے مراسم ہے۔
چارج شیٹ میں ”لشکر ممبر A“ کا حوالہ دیتے ہوئے اسے پاکستانی شہری قرار دیا ہے اور اس کے لشکر طیبہ کے ساتھ گہرے تعلقات تھے اور ہیڈلی اور دیگر افراد کے ساتھ رابطہ میں تھا۔ ایک شخص کو ”لشکر ممبر A“ قرار دیا گیا ہے جو کہ لشکر طیبہ کے ممبران کو دہشت گردانہ حملہ کے لئے ٹیکنیکل تربیت دیتا ہے۔ لشکر طیبہ ممبرC اور Dکمانڈر ہیں اور پاکستانی شہری تھے۔
(B) ایک دوسرا شخص "Person A" بھی پاکستانی تھا اور اس نے لشکر طیبہ کی منصوبہ بندی اور فنڈ فراہمی میں حصہ لیا تھا۔
2005 کے درمیان اور 3 اکتوبر 2009کو گرفتاری تک ہیڈلی نے لشکر ممبران D اور A,B,C کے ساتھ سازش رچی تھی اور نامعلوم افراد کو مختلف قسم کی تربیت دی گئی جس میں دھماکہ خیز اشیاءکا استعمال اور ہتھیاروں کا استعمال شامل تھا۔ تمام مقامات، عوامی ٹرانسپورٹ سسٹم اور اہم تنصیبات کو ہندوستان میں نشانہ بنانے کی ٹریننگ دی گئی۔ اس بات کی ہدایت دی گئی تھی کہ حملے میں ہلاکت ہو اور شدید طور پر زخمی ہوں۔
تنصیبات کی تباہی کے ساتھ ساتھ بھاری جانی ومالی نقصانات کا سامنا ہو۔ 2005 کے اواخر میں لشکر ممبر A،لشکر ممبر B اور لشکر ممبر Dنے ہیڈلی سے کہا کہ وہ ہندوستان کا دورہ کرے اور لشکر طیبہ کے ذریعہ نشانہ بتائے جانے والے مقامات کا جائزہ لے۔
(B)ہندوستان کے دورے کے دوران پاکستان کے ساتھ تعلق اور اپنے مذہب کو پوشیدہ رکھے۔
فروری 2006 میں فلاڈیلیفا، پینسواکیا میں ہیڈلی نے اپنا نام تبدیل کرکے داﺅد گیلانی سے ’ڈیوڈ کولمین ہیڈلی‘ رکھ لیا تاکہ لشکر طیبہ کے ساتھ اس کے تعلق کوپوشیدہ رکھا جاسکے اور خود کو ہندوستان میں امریکی شہری کے طور پر پیش کرسکے جو کہ نہ مسلم اور نہ ہی پاکستانی ہے۔
2006 کے موسم بہار میں لشکر ممبر A اور لشکر ممبر D نے ہیڈلی سے ممبئی میں امیگریشن دفتر کھولنے کے تعلق سے تبادلہ خیال کیا تا کہ اس کی سرگرمیوں کو چھپایا جاسکے۔
جون 2006 میں ہیڈلی نے شکاگو کا دورہ کیا تا کہ تہور حسین رانا سے ہندوستان میں ممکنہ مقامات پر حملے اور ممبئی میں فرسٹ ورلڈ آفس کھولنے کی اجازت طلب کی جائے تاکہ سرگرمیوں کو چھپایا جاسکے۔ رانا نے فرسٹ ورلڈ کے ایک شخص کو ہیڈلی کے دستاویزات تیار کرنے کی ہدایت دی تاکہ ہیڈلی کی سرگرمیوں کو پوشیدہ رکھا جائے۔ رانا نے ہیڈلی کو ہندوستان کے لئے ویزا حاصل کرنے کے بارے میں بھی مشورہ دیا۔ ہندوستان کو ویزا حاصل کرنے کے لئے دی گئی درخواست میں ہیڈلی نے اپنے پیدائشی نام، والد کا صحیح نام اور سفر کے مقصد کو غلط ڈھنگ سے پیش کیا تھا۔
جون 2006 میں ہیڈلی کو 25 ہزار ڈالر مہیا کرائے گئے، جس کا استعمال دیگر معاملات اور ممبئی دفتر کے قیام کے لئے کیا جاسکے۔
ستمبر 2006، فروری 2007، ستمبر 2007 ، اپریل 2009 اور جولائی 2008 میں ہیڈلی نے ممبئی کا دورہ کیا جس کا مقصد ممبئی کے اہم مقامات کی نشاندہی کرنا تھا تاکہ لشکر کے حملے کو تکمیل تک پہنچایا جاسکے۔ فرسٹ ورلڈ کے ساتھ تعلقات کے ذریعہ اپنے سفر کو پوشیدہ رکھا جاسکے۔ ہیڈلی کی روانگی سے قبل ممبر A،A Pesone اور دیگر افراد نے ہیڈلی کو ممبئی اور ہندوستان کے دوسرے مقامات کی ویڈیو گرافی کرنے کا مشورہ دیا تھا۔
........................(جاری)

Sunday, January 17, 2010

لو!اٹھ گیا سوال CIAپر پارلیمنٹ میں
عزیز برنی


اب یہ سوال بھی پارلیمنٹ میں اٹھنے لگا ہے کہ کیا ممبئی میں ہوئے دہشت گردانہ حملہ کا امریکی خفیہ ایجنسی سی آئی اے سے کوئی تعلق ہے۔ اور کچھ شکوک و شبہات کا اظہار مرکزی کابینہ وزیر ولاس راو(CIA) مکھ نے بھی کیا ہے، جس سے ظاہر ہوتا ہے کہ کم ازکم دو تاج ہوٹل کے ملازمین تو حملہ آوروں میں شامل تھے۔ ہم کسی بھی اگر مگر کے بغیر اور آج کچھ بھی اپنی جانب سے کم زیادہ کےے بغیر ان تازہ انکشافات کو ہو بہو قارئین کی خدمت میں پیش کردینا چاہتے ہیں، اس کے بعد ہماری گفتگو کا سلسلہ جاری رہے گا۔



سی پی آئی( ایم) کی لیڈر برنداکرات نے ہندوستانی پارلیمنٹ میں مختلف اطلاعات کے حوالے سے کہا کہ امریکی شہری ڈیوڈ ہیڈلی امریکی خفیہ ایجنسی سی آئی اے کے لئے سرگرم تھا اور امریکی حکومت کی مدد کے سبب ہیڈلی نے پاکستان کا متعدد بار مسلسل دورہ کیا ( اس بارے میں مرکزی وزیر مملکت برائے خارجہ ششی تھرورنے راجیہ سبھا میں روشنی ڈالی)



ہندوستانی اداکار راہل بھٹ کے ساتھ ہیڈلی کے دوستانہ تعلقات تھے۔ بھٹ کے مطابق ہیڈلی نے دعویٰ کیاتھا کہ امریکی فوج کے ساتھ اس کے تعلقات ہیں۔



ہیڈلی نے راہل بھٹ سے امریکی فوج کی ڈیلٹا فورس اور سی آئی اے کی اہم خفیہ فورس اسپیشل ایکٹیو یٹی ڈویژن کے بارے میں بھی بتایا تھا۔ جو کہ سیاسی کارروائیوں اور نیم فوجی آپریشن کو انجام دیتی ہیں۔(ایک ہندوستانی روزنامہ کو راہل بھٹ نے اس بات کا امکان ظاہر کیاکہ ہیڈلی سی آئی اے، آئی ایس آئی کا ایجنٹ ہے)



ہیڈلی ایک ٹریننگ جم سے سرگرم رہا جو کہ امریکی قونصل خانہ بریج کینڈی کے نزدیک واقع تھا ۔ ( مہیش بھٹ اور ہیڈلی کے معاملات)امریکی قونصل خانہ کے افسران وعملہ سے اس کے دوستانہ تعلقات تھے اور امریکی قونصل خانہ کے افسران اسے اس کے پہلے نام سے پکار تے تھے، جب بھی ان کی جم میں اس سے ملاقات ہوتی تھی۔ دیگر سفید فام نے بھی ہیڈلی کے گھر میں اس کے ساتھ قیام کیا تھا۔



احمد آباد بم دھماکوں کے مشتبہ ملزم کین ہے ووڈنے بھی امریکی فوج سے ٹریننگ حاصل کی اور اس کا تعلق ایک انتہاپسند عیسائی تنظیم سے تھا۔



( مہیش بھٹ اور ہیڈلی کے معاملات)

ٹائمز آف انڈیا کے مطابق ہیڈلی ہندوستان میں خود کو ہمیشہ سی آئی اے کے ایجنٹ کے طورپر متعارف کراتا تھا۔

(کیا ہیڈلی امریکی ایجنٹ ہے؟)

ممبئی دہشت گردانہ حملوں کا مشتبہ ملزم ہیڈلی خود کو سی آئی اے کے ایجنٹ کے طورپر پیش کرتا تھا۔2008 میں امریکی شہری کین ہے ووڈ کی اطلاع کے مطابق وہ امریکی سفارت خانہ کی مدد سے ہندوستان سے فرار ہونے میں کامیاب ہو اتھا۔ دہشت گردی کے معاملے میں اس کے خلاف تحقیقات جاری تھی۔کین ہے ووڈ کے کمپیوٹر کا استعمال ایک دہشت گردانہ ای-میل کے لئے کیاگیا جو کہ احمد آباد میں جولائی 2008 کے بم دھماکوں سے چند منٹ قبل ملا تھا۔

اطلاعات کے مطابق ہے ووڈ کے تعلقات ہندوستان میں سرگرم خطرناک دہشت گرد عبدالسبحان قریشی عرف توفیق بلال اور توقیر کے ساتھ پائے گئے ہیں۔ہے ووڈ ستمبر2008 میں ہندوستان لوٹ آیا تھا (احمد آباد دھماکے: کین ہے ووڈ کی ہندوستان آمد ۔ سی اُنی کرشنن: ٹائمز آف انڈیا)

ہندوستان میں ہے ووڈ کمبیل وائٹ نامی فرم کے لئے کام کرتاتھا، جس کے بارے میں کہاجاتا ہے کہ وہ سی آئی اے (CIA)کے لئے مبینہ طورپر سرگرم تھا۔ ہے ووڈ کانام فرم کے ملازمین کی فہرست میں شامل نہیں تھا۔

انڈین ایکسپریس کی 14اگست 2008 کی رپورٹ کے مطابق کمپنی کا دفتر سانپاڑہ ریلوے اسٹیشن کمپلیکس کے گراو ¿نڈ فلور پر کرایے کے دو کمروں پر مشتمل تھا۔ ان کمروں کو اربیزونا میں واقع کرسچن فیلوشپ منسٹریز کے تحت پوٹر ہاو ¿س کی عبادت کیلئے بھی استعمال کیاجاتاتھا۔

ہے ووڈ کے گجرات دھماکوں کے بعد فرار ہونے کی وجہ سے مختلف شکوک پیدا ہوئے تھے۔ ہے ووڈ امریکہ کی مدد سے اسی طرح فرار ہونے میں کامیاب ہوا، جس طرح ہماری خفیہ ایجنسی RAWکے سابق(غدار) ایجنٹ فرار ہوجاتے ہیں۔

اس واقعہ سے ہمیں پتہ چلاکہ ہماری خفیہ ایجنسیوں میں ایسے ایجنٹ اور مخبر موجو د ہیں، جو غیرملکی ایجنسیوں کے لئے کام کرتے ہیں اور انہیں خفیہ اطلاع دے دیتے ہیں۔

اس حقیقت سے انکار نہیں کیا جاسکتا ہے کہ ہے ووڈ ایک ’بوگس مشنری‘ کے طورپر سرگرم تھا جو کہ اور بھی زیادہ تشویش ناک ہے۔ ”ہندوستان میں نام نہادامریکی مشنریاں اور دیگر گروپ کی سرگرمیوں پر ہمیشہ تنازع رہاہے کیونکہ یہ لوگ دوہرا کام کرتے ہیں اور مشنری کے ساتھ سی آئی اے کے اس منصوبے کے لئے بھی سرگرم رہتے ہیں، جس کے تحت ہندوستان کو کمزور کرنا ہے۔

چند سال قبل تہلکہ نے اس حقیقت پر سے پردہ ہٹا یا تھا کہ لگ بھگ 100نام نہاد امریکی گروپ بوگس مشنری کے طورپر کام کررہے ہیں، بلکہ یہ تنظیمیں بش کے سی آئی اے نیٹ ورک سے وابستہ تھےں۔

اس کے پےش نظر سی آئی اے اور سیمی کے درمیان رابطہ پر ذہن میں سوال پیدا ہوتاہے کہ کیا سیمی سی آئی اے کے آپریشن کا حصہ ہے ؟ کیا ہندوستان میں اسلامی دہشت گردی سی آئی اے۔ آئی ایس آئی کے تعلقات کا نتیجہ ہے؟

”آئی ایس آئی اور سی آئی اے کے درمیان کئی دہائیوں سے بہترتعلقات ہیں اور پاکستان کو ہندوستان میں جس طرح کی مخالفت کا سامنا کرنا پڑتاہے اور ہندوستان کو کمزور اور غیر مستحکم کرنے کے لئے ان کی سرگرمیاں جاری ہیں۔خصوصی طورپر جب ایک کمزور اور کٹھ پتلی وزیر اعظم اور ان کی حکومت برسراقتدار ہے۔

اور اب مہاراشٹر کے سابق وزیراعلیٰ و موجودہ مرکزی وزیر ولاس راو ¿ دیش مکھ کے حوالہ سے:

مہاراشٹر کے سابق وزےراعلیٰ ولاس راو ¿ دےش مکھ نے کہا کہ فوج کے ساتھ خوںرےز گولی باری مےں زندہ پکڑے گئے8بندوق برداروںمےں سے 2 برطانےہ مےںپےداپاکستانی تھے۔ ’دی ڈےلی ٹےلی گراف‘ کو ےہ بھی معلوم ہواہے کہ دہشت گرد شمالی انگلےنڈ مےںمقبول عربی وےب سائٹ اوربرطانوی نےوز پےپر کی وےب سائٹ کے ذرےعہ بےن الاقوامی تاثرات پر بھی نظررکھے ہوئے تھے۔

گورڈن براو ¿ن نے کہا کہ ےہ کہناابھی جلد بازی ہوگی کہ حملے مےںکےا برطانےہ مےںپےداکوئی شخص ملوث تھا، جبکہ محکمہ داخلہ کے دفتر نے کہا کہ کسی برطانوی کے ملوث ہونے کی کوئی اطلاع نہےںہے۔ ممبئی کے اےک ہوٹل پردہشت گردوںکا قبضہ جب تےسری رات مےںداخل ہوا، کمانڈوز اوردہشت گردوںکے درمےان اےک دن کی لڑائی کے بعد بھی تاج محل ہوٹل سے گولےوں اوردھماکوںکی آوازےں سنی گئیں۔

رپورٹس کے مطابق حفاظتی دستے کے افسران نے کہا کہ تمام ےرغمال لوگوں کو آزاد کرانے کے بعد بھی تےن ےا چاربندوق بردارہوٹل کے اندر تھے۔اس دوران اسکاٹ لےنڈ ےارڈ پولس اورممبئی پولس مل کر مارے گئے لوگوںکی شہرےت کی شناخت کررہے تھے۔

کمانڈوز کے اےک لےڈر نے بتاےا کہ کس طرح برطانوی تعلق کا شک پےداہوا۔ جب تفتےش کاروںنے پکڑے گئے اےک اسلامی انتہاپسند کے پاس سے بلےک بےری فون کی جانچ کی، جس کا استعمال انہوںنے انٹرنےٹ پر نظررکھنے کےلئے کےا۔

ہندوستان کے جنوبی کمانڈ کے سربراہ جنرل نوبل تھمبوراج نے ٹےلی گراف کو بتاےا کہ اس مےں انگرےزی مےڈےاکاکافی مواد تھا، نہ صرف لندن بلکہ شمالی انگلےنڈ مےں مضبوط اردو اورعربی سائٹس کا بھی مواد تھا۔ ہم نے اس کی جانچ شروع کردی ہے اورجلد ہی ہم اسکاٹ لےنڈ ےارڈ کو مہےا بھی کرادےں گے۔ جنرل تھمبوراج نے کہا کہ کم از کم پانچ دہشت گردوں نے برطانوی وےب سائٹس پر نظررکھنے کےلئے بلےک بےری کااستعمال کےا۔

دہشت گردوں کے ذرےعہ بلےک بےری کا استعمال، تاکہ بےن الاقوامی تاثرات پر نظررکھی جاسکے اورپولس کے روےہ کو بھی جاناجاسکے، ےہ بتاتاہے کہ حملہ کس طرح منظم تھا۔

اےک رپورٹ کے مطابق حملہ کرنے والوںمےں تاج محل ہوٹل کے 2ملازمےن تھے، مزید 2وہاںپرمہمان کے طورپرٹھہرے ہوئے تھے تاکہ ان کو حملے کامنصوبہ بنانے مےں مدد ملے اورحفاظتی دستوںپرعمارت سے واقفےت کے سبب سبقت بھی حاصل کرنے مےںمددملے۔

گزشتہ شب اےک بندوق بردارنے تاج محل ہوٹل کے اندر کمانڈوز کو دورہی روکے رکھا اورجہاں سے دن بھرگولےوںاوردھماکوںکی آوازےں آتی رہیں۔ گورڈن براو ¿ن سے جب پوچھاگےاکہ کےا حملے سے برطانےہ کا کوئی ممکنہ تعلق ہے توانہوںنے جواب دےاانہوںنے ہندوستانی وزےراعظم سے بات کی ہے اوراس دوران کسی بھی دہشت گردکے برطانےہ سے تعلق کے کوئی ثبوت کی بات نہےں کہی، لےکن ےہ سچ ہے کہ اس معاملہ مےں کافی تفتےش ہونی ہے۔

کمانڈوز کے ذرےعہ اوبرائے ہوٹل سے آزاد کرائے گئے لوگوںمےں 93برطانوی شہری تھے۔ان مےں لندن کے اےک وکےل مارک اےبل (Mark Abell) تھے، جنہوں نے ٹےلی گراف سے اپنے حالات کے بارے مےںہوٹل کے کمرے سے بات کی تھی اور کہا تھاکہ وہ جلد ہی گھرجانے والے ہےںاوراپنی بےوی سے ملنے والے ہےں۔

کمانڈوز نے خوفناک منظرکا ذکرکےا ۔اوبرائے مےںجہاں24لاشےں ملی تھیں، وہےں تاج محل کے اندر50لاشےں ملیں۔

ممبئی مےںواقع ےہودی سےنٹرپرقبضہ تب ختم ہوا جب خصوصی فورسز عمارت مےںداخل ہوئیں۔ ہندوستانی کمانڈوز جب تک ےہاں داخل ہوتے اورےرغمال لوگوں کوآزاد کراتے دہشت گردوں نے 5لوگوںکا، جن میں اےک ربّی اوراس کی بےوی بھی شامل ہیں، قتل کردےا تھا۔

اےک برطانوی اخبارنویسArdreas Liverasحملے مےںمارے گئے جب کہ کم از کم 7زخمی ہوگئے تھے۔ ان مےںNorthumberland کے ٹےچرMichael Murphy بھی تھے اور29سالہ Harnish Patel بھی تھے جن کو تےن گولےاں لگی تھیں۔مسٹر پٹےل لےوپولٹ کےفے مےںتھے جب حملہ ہوا تھا۔ اےک بندوق بردار آےا اوراس نے گولےوںکی بوچھار کردی۔

لندن اےئرپورٹ پرواپس آئے برطانوی سےاحوںنے کہا کہ انہوںنے واپس آنے کی امےدچھوڑدی تھی۔

ہندوستانی حفاظتی دستوں کوکئی الزامات کاسامنا کرناپڑا۔ اےک برطانوی افسرنے کہا کہ کم از کم ان لوگوںکو اےک مرکزی کمانڈ کا قےام کرناچاہےے، جوپوری طرح کنٹرول رکھتی ہو۔اس کے برعکس وہ آئے اورگولےاں چلاتے ہوئے داخل ہوئے، ےہ غلط طرےقہ تھا۔ ان کے پاس ہوٹلوں کے نقشے تک نہےں تھے جب کہ دہشت گردوںنے سہولتوں کا فائدہ اٹھاتے ہوئے خاطرخواہ جاسوسی کی۔ ہندوستانی خصوصی دستے کے اےک اعلیٰ افسرنے کہا کہ اس دوران کئی کمانڈسےنٹرس تھے جودوسرے کوکم تردکھانے کی کوشش کررہے تھے، جس سے آپرےشن مےںتاخےربھی ہوئی اورگڑبڑی بھی۔ اور اےسا لگتاہے کہ تفصےلی اورباقاعدہ منصوبہ بندی کی کمی تھی۔