Wednesday, January 6, 2010
कहीं देर न हो जाए!
लिखते-लिखते क़लम रूक गया और फिर मैंने कई दिन तक न लिखने का इरादा कर लिया। कारण यह नहीं है कि मैं उस विषय को छोड़ देना चाहता हूं, जिस पर लिख रहा था और ऐसा भी नहीं कि नई जानकारियों की कुछ कमी है या सामने लाने के लिए अब हमारे पास नया कुछ भी नहीं है। दरअसल दिक्कत तो यह है कि महत्वपूर्ण सामग्री इतना अधिक है कि उसे कुछ लेखों में समेट देना मुशिकल हो रहा है और यह भी नहीं चाहता कि पाठकों की रूचि कायम न रहे, वह बोझल मन के साथ पढ़ें और किनारे रख दें। जबकि मैं समझता हूं कि इस समय लिखा जानेवाला एक-एक शब्द सुरक्षित रखे जाने योग्य है, चर्चा का विषय बनाए जाने योग्य है। जलसे, जलूस के माध्यम से एक अभियान बनाये जाने योग्य है। कारण यह नहीं कि लिखने वाला कोई प्रमुख व्यक्ति या अखबार है, बल्कि जो कुछ लिखा जा रहा है, वह इतना महत्वपूर्ण है कि यह आनेवाली पीढ़ियों के अध्ययन में भी रहना चाहिए और वर्तमान पीढी़ के लोगों को भी इसे अपने शोद्य का विषय बना लेना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि हम भ्रम का शिकार रहें और एक समय ऐसा आये कि जब हम हक़ीक़त से अवगत हों तो इतनी देर हो चुकी हो कि जैसे नवाब वाजिद अली शाह को अपनी जूतियां पहनने का अवसर भी नहीं मिला था, हमें भी अपनी आज़ादी की सुरक्षा का अवसर न मिले। हम बहुत हद तक अफगानिस्तान और इराक को खो चुके हैं, ईरान खतरे में है, लीबिया भयभीत है, फलस्तीन नष्ट हो चुका है, पाकिस्तान नष्ट हो रहा है और अब हमारा प्रिय भारत आतंकवाद के रास्ते खतरे में है। हमने एक बार भारत की गुलामी का दौर देखा है, हम दूसरी बार ऐसी कोई कल्पना भी नहीं कर सकते, इसलिए बेशक यह एक भूमिका ही सही, मगर मैं इस विषय पर एक गंभीर चर्चा चाहता हूं, इसीलिए अगला ‘‘दस्तावेज़’’ इसी विषय पर पाठकों की सेवा में पेश करने का इरादा है। जी हां, मेरे इस सिलसिलेवार लेख ‘‘अज़ाद भारत का इतिहास’’ की अगली दोनों क़िस्तें-72 और 73 अगले ‘‘दस्तावेज़" के तहत पेश की जायेंगी और उस समय तक मैं लिखने के बजाए पढ़ने में अधिक समय लगाऊंगा ताकि राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई के रास्ते भारत पर हुए आतंकवादी हमले की जांच की कड़ियां जोड़ते हुए कुछ और जानकारियां सामने लाई जा सकें।
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1 comment:
‘‘अज़ाद भारत का इतिहास’’ की अगली दोनों क़िस्तें-72 और 73 अगले ‘‘दस्तावेज़" के तहत पेश की जायेंगी
waiting for the same.
thanks
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