किताब जसवन्त सिंह की, दृष्टिकोण अरूण शोरी का-६
श्रृंदांजलि पेश करने का क्या अर्थ है? क्या उन्होंने नहीं कहा कि इस महान व्यक्ति को मेरी सादर श्रृंद्धांजलि प्रस्तुत है।मी लार्ड यह लोग पढ़ते बहुत हैं लेकिन सतही तौर पर और यही कठिनाई है। श्रृंद्धांजलि पेश करते समय मेरे मुवक्किल का सम्बन्ध कायद-ए-आज़म की बरतरी से नहीं बल्कि स्वयं की बरतरी से है। मी लार्ड यह शब्द केवल अवसर के अनुसार लिखे गये थे ताकि पाकिस्तानियों का रूख बदल सकें और उनको आसानी से नीचा दिखा सकें। लेकिन शब्दों को इस तरह तोड़ मरोड़कर कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है?
हिन्दुस्तान का अर्थ कैसे पाकिस्तान हो सकता है? किस तरह दूसरों की बुजुर्गी को स्वीकार करना अपने बड़े होने का ऐलान हो सकता है?क्या वर्ष में एक ही दिन जन्मदिन होता है और शेष 364 दिन पैदाईश के दिन नहीं होते हैं? हम्पटी-डम्पटी ने ज़ोर दिया और कहा कि इसलिए आपके पास एक वर्ष में 364 दिन जन्मदिन न होने के होते हैं।और केवल एक दिन जन्मदिन के लिए होता है और उस दिन आप अपनी शान दिखा सकते हैं। ऐलिस ने कहा कि मैं समझी नहीं।हम्पटी-डम्पटी ने अभिमानी मुस्कुराहट से कहा कि बिल्कुल तुम नहीं समझ सकतीं जब तक मैं न बताऊं मेरा आश्य तुम्हें हराने के तर्क से है।ऐलिस ने कहा इसका तो यह मतलब नहीं होता है।
हम्पटी-डम्पटी ने हीन समझने वाले भाव से कहा कि मैं जब कोई शब्द इस्तेमाल करता हूं तो उसका अर्थ केवल वही होता है जो मैं चाहता हूं न उससे अधिक और न उससे कम।ऐलिस ने कहा कि प्रश्न यह है कि तुम शब्दों के इतने अलग अर्थ कैसे बना सकते हो।हम्पटी-डम्पटी ने उत्तर दिया कि मालिक होना पड़ता है।क्या वकील अपने मुवक्किल के लिए इतने आगे तक जा सकते हैं? क्या उनको चिन्ता नहीं है कि इस तरह का कृत्य उनकी आस्था पर भी प्रभाव डाल सकता है?केतन पारिख के मामले में जब वकील ने इस तरह लगातार काफी दिनों तक बिना अपनी आस्था का विचार किये काम किया तब लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि देश में कानून की सबसे अच्छी समझ रखने वाले लोगों में से एक यह व्यक्ति अपनी योग्यता का इस्तेमाल और बड़े उद्देश्य (ब्ंनेम) के लिए क्यों नही करता है?
म्दवितबम च्तपदबपचसमएनचीवसक पकमवसवहल निचले दर्जे के नेताओं को अपने राज्यों में हार के नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए।लेकिन इस उसूल पर बड़े नेताओं को त्यागपत्र क्यों नहीं देना चाहिए?हम त्यागपत्र क्यों दें जब हमने नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है। और याद रहे हम जीतें या हारें हम हमारे हिन्दुत्व के दृष्टिकोण से नहीं हटेंगे।लेकिन हिन्दुत्व क्या है?‘‘जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं कहा है कि यह जीवन जीने का एक ढंग है’’ लेकिन क्या इस्लाम जीवन जीने का एक ढंग नहीं है? इसी तरह क्या ईसाई धर्म नहीं है? और वास्तव में हिप्पियों का नशे का आदी होना जीवन जीने का ढंग नहीं है।
ठपदकपदह ैजतंजमहलआपके सरगना एक दूसरे के विरूद्ध हैं? उनको एक साथ अपराध करने के लिए कहिये। उनको एक-दूसरे की उपस्थिति में छुरा घोंप दीजिए, हर एक जान जायेगा कि सभी ने उसको छुरा चलाते हुए देखा है और यही उनके हाथ-पांव बांध देगा और कोई भी लाभ प्राप्त करने के लिए दूसरे पर आरोप इसलिए नहीं लगायेगा कि स्वयं उसकी कारगुज़ारी सामने आ जायेगी।इन सबके बावजूद परिस्थितियां तेज़ी से बदल रही हैं कुछ भी करने के लिए समय बहुत थोड़ा रह गया है और यह सम्मिलित रूप से एक-दूसरे को बढ़ाने वाली सोसायटी को एक-दूसरे को बचाने वाले समाज में परिवर्तित कर रहे हैं।
ज्ीम क्मंक ीवतेम ैजतंजमहलजार्ज फर्नांडीज़ के सामाजिक विचार और अमल वाले रिसाले ‘दी अदर साइड’ (ज्ीम व्जीमत ैपकम) का ताज़ा अंक आखिरी चाल को बताता है और यह हमारे सन्दर्भाें के तकाज़ों के लगभग अनूकूल है।रिसाला लिखता है कि जब आपको मालूम हो चले कि आप एक मुर्दा घोड़े की सवारी कर रहे हैं तो बेहतर तरीका यह होगा कि उस घोड़े को छोड़कर दूसरे घोड़े पर सवार हो जाया जाये जबकि हमारे राजनीतिक दलों में इससे भी ज्यादा आगे की चाल पर अमल होता है।1-गीता की कसम खाकर घोड़े को मरा हुआ मत बताओ।
क्या हमारी इल्हामी पुस्तकें ऐसी शिक्षा नहीं देती हैं कि जो कुछ सच है वह है आत्मा न कि शरीर और आत्मा न तो पैदा होती है और न मरती है।2-एक मजबूत चाबुक (ॅीपच) खरीदो।3-जो भी घोड़े को मरा हुआ कहे उस पर इसका प्रयोग करो और सच भी है कि जो गीता पर सन्देह करे वह हमारे दृष्टिकोण से इंकार करता है।4-यह घोषणा कर दो कि घोड़ा मरा नहीं है इसलिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है।5-प्रेस में यह समाचार और घोषणा कर दो कि घोड़े से सम्बन्धित एक कमेटी बनाई जायेगी और आवश्यकता पड़ने पर उसे फिर से जीवित करने के लिए परामर्श भी देगी लेकिन कमेटी के सदस्यों के नाम गुप्त रहेंगे।6-इल्हामी पुस्तकों के जायज़े की एक मुहिम आरम्भ करो जो बताए कि किस तरह हमारे बुजुर्गाें ने मरे हुए घोड़ों की सवारी की है और जो कोई भी हमारे बुजुर्गाें पर शक करेें वह हमारे मौलिक दृष्टिकोण से इंकार करता है और उसकी सज़ा उपरोक्त बिन्दु-3 में दर्ज है।7-थोड़ी देर प्रतीक्षा करें घोड़े की अयाल हिलती है और नाकरात्मक सोच रखने वाले भी पाते हैं कि घोड़ा जिन्दा है और ठीक भी है।8-रफ्तार बढ़ाने के लिए कई मुर्दा घोड़ों की लगाम ठीक करो।9-नौजवान घुड़सवारों की तलाश करो।
10-उनको प्रशिक्षण दो कि वह केवल घोड़ों की सवारी करेंगे न कि जोकी(श्रवबामल) बनेंगे।11-जो भी नौजवान घुड़सवारों को बोझ बताए उसका स्पष्ट अर्थ यह है कि वह घोड़ों को हतोत्साहित कर रहा है और जोकी(श्रवबामल) का ध्यान हटाना चाहता है तो उसके लिए व्हिप का उल्लेख बिन्दु-3 में किया गया है।12- इसका हिसाब लगाओ कि मरे हुए घोड़ों को खिलाने की आवश्यकता न पड़े और बहुत कम में ही वह ऊर्जा प्राप्त कर लें और उनका प्रदर्शन न केवल सकारात्मक हो बल्कि बेहिसाब हो और उसे शून्य से विभाजित कर दो जो कि असीमित (प्दपिदपजम) होता है जिसे आर्यभट्ट ने स्वयं साबित किया है।13-दौड़ने और जीतने के फिर से अर्थ बयान करो क्योंकि जो घोड़ा दुनिया की बेचैनी और अफरातफरी वाले माहौल में बगैर हिले एक जगह खड़ा रहे वह ही असल ैजपीजी च्तंहलंद है और हमारी इल्हामी पुस्तकों ने स्पष्ट रूप से ैजपीजी च्तंहलंद को ही असली विजेता होने की घोषणा की है।
14-और अन्त में मुर्दा घोड़ों को सरंक्षक के पद पर बैठा दो।15-जो उन पर सन्देह करे वह हमारे बुनियादी दृष्टिकोण से ही इंकार नहीं करता है बल्कि वह हमारे नेताओं के संगठन से भी इंकार करता है तो ऐसे व्यक्ति के लिए बिन्दु-3 में दर्ज व्हिप ;ॅीपचद्ध नहीं है बल्कि निष्कासन है, और यह साबित करेगा कि घोड़े मुर्दा नहीं हैं वह लात मार सकते हैं।
Friday, September 18, 2009
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