Thursday, January 22, 2009

इन्कुएरी न्याय के लिए या वोट के लिए......?


एनकाउंटर बटला हाउस पर केंद्रीय मंत्री श्रीमान अर्जुन सिंह का बयान के इस एनकाउंटर की जुडिशिअल इन्कुएरी कराइ जानी चाहिए, सरकार इस पर गौर कर रही है। उन के इस बयान से हम निश्चित हो गए हैं के इलेक्शन अब बस नज़दीक आ ही चुका है.....नहीं! हमें श्रीमान अर्जुन सिंह के बयान या सरकार की निय्यत पर कोई शक नहीं है, अगर एक केंद्रीय मंत्री ने यह बात कही है तो इस के महत्त्व को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता, किंतु क्या करें अभी कुछ दिनों पहले की ही तो बात है, एक और केंद्रीय मंत्री को अपने बयान पर काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। विरोध पक्ष तो हमलावर था ही, अपनों की सहायता से भी वो वंचित ही रहे। अब खुदा जाने अर्जुन सिंह के इस बयान के बाद उन का क्या अंजाम हो, भारतीय जनता पार्टी ने तो अपने कड़े तेवरों को जता ही दिया है। हो सकता है, इस बार सरकार और कांग्रेस पार्टी ऐसा व्योहार न करे जो उन्होंने केंद्रीय मंत्री (अल्पसंख्यकों के मामले) श्रीमान अब्दुर रहमान अंतुले के मामले में किया था। और यह भी हो सकता है के मुसलमानों को प्रभावित करने के लिए, उन का वोट पाने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सहायता से एक विशेष कार्यक्रम की व्यवस्थता में उप राष्ट्रपति की उपस्थिति में जानबूझ कर यह बयान सरकार की योजनानुसार ही दिया गया हो, इस लिए के इलेक्शन से पहले अब किसी भी इन्कुएरी का परिणाम आने की आशा तो है नहीं, क्यूँ न इन्कुएरी के फैसले की बात कह कर वाहवाही लूट ली जाए।

मैं ने २० जनवरी के अपने लेख में लिखा था के एनकाउंटर बटला हाउस का मामला तो हमारे सामने है ही, उसी दिन जब मैं अन्य दैनिकों का पाठ कर रहा था तो मैं ने "टाईम्स ऑफ़ इंडिया" के पहले पन्ने पर एनकाउंटर बटला हाउस के लिए इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को "अशोक चक्र" के अवार्ड के लिए मनोनीत किए जाने का समाचार पढ़ा और ठीक उसी समय जब अर्जुन सिंह दिल्ली के विज्ञान भवन में एनकाउंटर बटला हाउस की जुडिशिअल इन्कुएरी की बात कर रहे थे, एक सब से तेज़ चैनल बटला हाउस का समाचार प्रसार कर रहा था और वो आतिफ और साजिद को "इंडियन मुजाहिदीन "का मास्टर माइंड, दिल्ली के बम धमाकों का जिम्मेदार साबित करते हुए टेलीफोन पर हुई बात चीत को ड्रामाई अंदाज़ में पेश कर रहा था। हो सकता है यह उस की तेज़ी हो या फिर जैसे बहुत सारे संयोग हम ने २६ नवम्बर २००८ को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में देखे, यह भी ऐसा ही एक संयोग हो? वैसे डॉक्टर हरी कृष्ण के हवाले से अंसल प्लाजा फर्जी एनकाउंटर चश्म दीद गवाह के अनुसार इंसपेक्टर मोहन चंद शर्मा का कार्य करने का तरीका बयान कर रहे थे जो हम ने अपनी पिछली कड़ियों में आप के सामने पेश की, अगर वो सत्य है (झूठा होने की कोई वजह भी दिखाई नहीं देती) और केंद्रीय मंत्री श्रीमान अर्जुन सिंह एनकाउंटर बटला हाउस की इन्कुएरी की बात भी कर रहे हैं तो फिर २६ जनवरी के उस कारनामे के लिए अशोक चक्र अवार्ड दिए जाने का अर्थ!

ऐसे ही अनगिनत प्रशन हैं, जिन्हें अर्जुन सिंह के इस बयान के बाद उठाया जायेगा, अगर सरकार वास्तव में गंभीर है तो उसे दो बातों का यकीन दिलाना होगा , एक तो यह के इन्कुएरी वोट डालने के समय से पहले पूर्ण हो जायेगी और उस का परिणाम आजायेगा। दूसरे यह के अपराधियों को दंड अवश्य दिया जाएगा और उस का अंजाम पिछले इन्कुएरी कमिशनों की रिपोर्ट की तरह नहीं होगा।

इस लिए आज हम ने इस शीर्षक को सिर्फ़ अपने लेख तक सीमित न रखते हुए दस्तावेज़ का शीर्षक इस लिए बना लिया के अब हम यह इशु जनता के हवाले कर रहे हैं ताके वो अपनी राय जता सकें।

2 comments:

Aleem Khan said...

जनाब अज़ीज़ बर्नी साहब अस्सलाम वा लैकुम
मैं आपका नियमित पाठक हूँ । मैं आपको सुनने के लिए लखनऊ से फैजाबाद गया था और आपको पहली बार सुन कर मैं बड़ा परभावित हुआ और अब मैं भी लिखने की कोशिश कर रहा हूँ । मैंने भी ब्लॉग पर लिखना शुरू किया है ।
मेरा मानना है कि मौजूदा हालात में मुसलमानों कि तमाम परेशानी का हल सिर्फ़ एक ही है और वह है हुकूमत में हिस्सेदारी । जैसे कि आप ने देखा ही नही लिखा भी है कि किस तरह से कांग्रेस और सपा जैसी दीगर पार्टियाँ मुसलमानों को केवल वोट बैंक कि तरह इस्तेमाल करती है । हम समझते हैं कि जब हमारी भी अलग पार्टी होगी जैसे कि यादव और दलितों कि है और हमारी पार्टी कि सरकार होगी तो वह पॉलिसी भी हमारे फेवर में बनाएगी । तभी मुसलामानों का पूर्ण विकास होगा । इस नाचीज़ का मश्वारह है कि अगर आप अपनी कलम का इस्तेमाल मुसलमानों को सियासी बेदार करने के लिए भी करें तो शायद हिन्दुस्तान के हालात बेहतर हो ।

मैं इस देश के लिए और अपनी कौम के लिए कुछ करना चाहता हूँ जिसमें मैं आपकी मदद चाहता हूँ कि मैं कैसे काम करूं । हाँ मैं बता दूँ कि मैं अभी तालिबे इल्म हूँ ।

अल्लाह हाफिज़

आपको फैन
मोहम्मद अलीम खान

saahir said...

assalam o alaikum aziz burney sahab, aaj hi main aapka RASHTRIYA SAHARA paper padha, aapke bekhauf aur bebak khabaron ki aaj ke halat ko bahot hi jyada zaroorat hai, aaj ke halaat ko agar dekhenge to uska nichod ye hai ke muslim community hi badnaam ho rahi hai, sachhai ko samane aana hi hoga, main solapur me rahta hun mera naam Mohammed sadique hai aur main ek talib-e-ilm hun, main hamesha se apne community ke liye koshish me rahta hun mujhe agar madad lagegi to main aapse contact karne ki koshish karunga insha allah

allah hafiz