मैं हर दिन एक पूरे पृष्ठ का लेख लिखता हूं और सिलसिला बना रहता है, मगर कई बार जब मुझे केवल कुछ पंक्तियां लिखनी होती हैं तो यह सिलसिला टूट जाता है, इसलिए कि बहुत सोचना होता है, बहुत अध्ययन करना होता है, वह चंद पंक्तियां लिखने के लिए और यह बात बस इतनी ही नहीं है, बल्कि अतिसंभव प्रयास रहता है कि यह कुछ पंक्तियां पूर्ण रूप से निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित दिखाई दें। यदि तनिक भी यह भाव चला गया कि मैं किसी देश, संस्था या घटना के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रस्त हूं तो लेख अर्थहीन हो जाएगा। मैंने जब बटला हाऊस के संदिग्ध एन्काउन्टर के बारे में लिखना आरंभ किया तो बहुत सी आवाज़ें उठीं, परन्तु मैं लिखता रहा इस विश्वास के साथ कि इन्शाअल्लाह एक दिन सच सामने आयगा ज़रूर। कुछ लोगों को लगा कि मैं एक विशेष मानसिकता रखता हूं इसलिए यह सब लिख रहा हंूं। लेकिन अल्लाह का करम है कि धीरे-धीरे तस्वीर साफ़ होने लगी, सच सामने आने लगा और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ने तो लगभग यह स्पष्ट कर दिया कि बटला हाउस एन्काउन्टर की हक़ीक़त क्या है। हालांकि रिपोर्ट तो अब आई है, हमने तो उन तस्वीरों को सामने रख कर तथा अनुभवी डाक्टरों से सलाह करके उसी समय जो बात कही थी, आज वही सच साबित हुई है। इसी तरह 26/11/2008 को मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले को गंभीरता से देखने और समझने के बाद हमने जो कुछ लिखा, वह अब भी हक़ीक़त का रूप लेता नज़र आ रहा है।
डेविड कोलमैन हेडली का मामला भी हमारे लिए बटला हाउस के संदिग्ध एन्काउन्टर और मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले की छानबीन जैसा ही है। इसलिए कि हम डेविड कोलमैन हेडली को केवल और केवल 26/11 तक ही सीमित करके नहीं देख रहे हैं। हम फिर कहेंगे कि डेविड कोलमैन हेडली तो बस एक नाम है और 26/11 एक आतंकवादी हमला, बात बस इतनी ही नहीं है। अगर हमने इसके दूरगामी परिणामों पर विचार नहीं किया तो सारी सच्चाई हेडली के नाम के साथ ही समाप्त हो जाएगी। फ़र्ज कीजिए कि डेविड हेडली ने जेल की सलाख़ों के पीछे आत्महत्या कर ली, तो अब क्या करेंगे आप? न अमेरिका पर दबाव डालने का कोई अर्थ, न आतंकवादी हमलों में एफबीआई और सीआईए की भूमिका पर से पर्दा उठने की उम्मीद।
दूसरा एक और अत्यंत महत्वपूर्ण कारण है डेविड कोलमैन हेडली को बचाने का। क्या आपको लगता है कि दुनिया भर में केवल एक ही हेडली है, अर्थात केवल एक ही एफबीआई या सीआईए का एजेंट है या और भी हेडली दुनिया के चप्पे-चप्पे पर फैले हैं? और वह सबके सब आज अमेरिका की ओर नज़रें उठाकर देख रहे हैं कि क्या अमेरिका उस हेडली को बचा पाता है? अगर हां, तो वह सभी हेडली दुनिया के चाहे जिस कोने में हों, और उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी सौंपी गई हो, उस ज़िम्मेदारी को निभाने में जान लड़ा देंगे इसलिए कि डेविड कोलमैन हेडली की सुरक्षा, उसके परिवार को किसी प्रकार की कोई कठिनाई का न होना, इन सबके लिए अत्यंत उत्साहवर्धक होगा ह्न ह्न और अगर डेविड कोलमैन हेडली को किसी भी प्रकार की पीड़ा का सामना करना पड़ता है, कठोर सज़ा मिलती है या भारत के हवाले कर दिया जाता है तो फिर सभी का उत्साह टूट जाएगा, अमेरिका से भरोसा टूट जाएगा और फिर वह हेडली की तरह एफ.बी.आई या सी.आई.ए के एजेंट के रूप में काम करने का साहस नहीं करेंगे। अमेरिका ऐसा कभी नहीं होने देगा। भारत से संबंध समाप्त हो जाने की क़ीमत पर भी नहीं। भारत से दुश्मनी का संबंध स्थापित हो जाने की स्थिति में भी नहीं (हालांकि दोनों ही बातों की संभावना नहीं है), इसलिए कि उसकी नज़र सारी दुनिया पर है और किसी एक देश की दोस्ती के लिए पूरी दुनिया के हवाले से उसे अपनी योजनाओं को नाकामी की ओर ले जाने का फैसला कर लिया जाए यह संभव नहीं है।
अतएव कुछ बातों पर हमें बहुत गंभीरता से विचार करना होगा। ‘चाइना’ तुलनात्मक रूप में भारत और पाकिस्तान के एक शांतिपूर्ण देश हैं, जबकि सीमाएं भारत से भी मिलती हैं और पाकिस्तान से भी। चीन सब कुछ भूल कर केवल प्रगति के रास्ते पर अग्रसर है, उसने अपने ‘मैन पाॅवर’ को ‘मनी पाॅवर’ में बदलने का तरीक़ा सीख लिया है। आज पूरी दुनिया में कहीं भी जाइए घरेलू आवश्यकताओं की लगभग सभी वस्तुएं चीन की बनी होती हैं जो सस्ते दामों में आपको मिल जाएंगी। इसी प्रकार पूरी दुनिया में कहीं भी जाइए घातक हथियार चाहे पुलिस के काम आने वाले हों फौज के काम आने वाले या फिर आतंकवादियों के हाथ में हों इस्राईल और अमेरिका के बने हुए मिलेंगे। अगर चीन के सभी प्रोडक्टों का बाज़ार या ख़पत समाप्त हो जाए तो फिर चीन की आर्थिक स्थिति क्या होगी, आप समझ सकते हैं। इसी प्रकार अगर पूरी दुनिया में शांति स्थापित हो जाय, आतंकवाद से निपटने के लिए सरकारों को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हथियार ख़रीदने की आवश्यकता पेश न आए और न ही आतंकवाद का अस्तित्व बाक़ी रहे तो फिर ऐसी स्थिति में अमेरिका की आर्थिक स्थिति क्या होगी, इसका भी आप भलीभांति अनुमान कर सकते हैं। चीन कभी नहीं चाहेगा कि उसके प्रोडक्ट्स का बाज़ार समाप्त हो, जो कि आपकी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करता है और अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि उसके प्रोडक्ट्स की मार्किट समाप्त हो, इसलिए कि वह उसकी आर्थिक आवश्यकता पूरी करते हैं। पुरी दुनिया पर शासन के सपने को साकार करने की क्षमता रखते हैं। यह थी वह चंद पंक्तियां जिन्हें लिखने के लिए बहुत सोचना पड़ा। अब फिर उल्लेख डेविड कोलमैन हेडली का और उससे जुड़े ताज़ा रहस्योदघाटनों का। जो ख़बर आज हर तरफ़ गर्म है कि उसके क्रेडिट कार्ड का भुगतान किसने किया, पहले यह महत्वपूर्ण जानकारियां मुलाहिज़ा फरमाएं, उसके बाद रूस में आतंकवाद की ताज़ा घटना पर नज़र डालें, और फिर इन दोनों घटनाओं को सामने रख कर मेरी बातचीत का सिलसिला जारी रखें।
पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमेन हेडली के इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान किसने किया, जांच के केंद्र में है जिससे स्पष्ट होता है कि ऐसे ही क्रेडिट कार्डों के माध्यम से संदिग्ध आतंकवादियों ने लगभग 20 से 25 करोड़ रुपए पूरे देश में ख़र्च किए हैं। इस बिल का अमेरिका, कनाडा और नेपाल में भुगतान किया गया जो कड़ियों को जोड़ता है और जिससे उनके मास्टर्स की पहचान ज़ाहिर हो सकती है।
गुप्तचर एजेंसियां जो आर्थिक लेन-देन की जांच कर रही हैं और विभिन्न शहरों में जिहादी नेटवर्क तथा उनके सिलीपर सेल को तलाश कर रही हैं, उन्होंने ने पाया कि संदिग्ध आतंकवादी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, दुबई, नेपाल तथा बंगला देश में जारी इंटरनेशनल क्रेडिट कार्डों का प्रयोग करते रहे हैं और इन देशों में रहने वाले उनके हंैडलर्स ने बिलों को प्राप्त किया। ऐजेंसियां भुगतान के तरीक़े और उनका लाभ प्राप्त करने वालों की पहचान कर रही हैं।
यह न हवाला चैनल है और न ही लाइन आॅफ़ कन्ट्रोल के दोनों ओर के व्यापारी जिन्होंने देश के अंदर सक्रिय आतंकवादी संगठनों की आर्थिक सहायता की है। आतंकवादियों को अब इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड दिए जा रहे हैं जो भारत में अपने आप्रेशन को अंजाम देने के लिए रुपए निकालने तथा ठहरने के दौरान अपने बिलों के भुगतान के लिए प्रयोग कर रहे हैं।
उच्च सूत्रों के अनुसार सुरक्षा तथा गुप्तचर एजेंसियों ने पाया है कि पिछले कुछ समय में संदिग्ध आतंकवादियों ने इसी तरह के कार्डों द्वारा 20 से 25 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं। जांच से पता चला है कि दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर, हैदराबाद और कश्मीर सहित देश के विभिन्न भागों से रुपए निकाले गए जो स्पष्ट करता है कि आतंकवादियों का नेटवर्क कितना व्यापक है और कितनी सरलता से वह सर्विलांस सिस्टम को धोखा देने में सफल हो रहे हैं। इससे आतंकवादियों के मास्टर माइंड्स के व्यापक आधार ज़ाहिर हो सकते है जो अमेरिका, कनाडा और यूरोप के अन्य देशों से चलाते हैं। इन देशों की सरकारों के साथ भारत सम्पर्क में है और संदिग्ध आतंकवादियों की ओर से किन लोगों ने बिल लिया उसका सत्यापन कर रही है।
उच्च अधिकारियों के अनुसार आतंकवादियों की ओर से अमेरिका तथा यूरोप की धरती से क्रेडिट कार्डों द्वारा आर्थिक सहायता का तरीक़ा पूर्ण रूप से नया है। उन्होंने आगे बताया कि पाकिस्तान, बंगलादेश तथा संयुक्त अरब इमारात (यू॰ए॰ई) जैसे देशों से आतंकवादियों की आर्थिक सहायता पर रखी जा रही निगरानी को धोखा देने के लिए ऐसा किया गया है।
सरकार ने बैंक तथा आर्थिक संस्थानों को अपने ग्राहकों को जानने के सख़्त आदेश दे रखे हैं ताकि आतंकवादी को वैधानिक सिस्टम से आर्थिक सहायोग न प्राप्त हो सके। यह हवाला चैनल पर सख़्त कार्यवाही के अलावा था जो अतीत में सिलसिलेवार आतंकवादी हमले के बाद किए गए थे और जिनका संबंध ऐसे आर्थिक तरीक़ों से था।
भारतीय गुप्तचर एजेंसियां अमेरिकी बैंकों से सम्पर्क करने की योजना बना रही हैं ताकि उन लोगों की पहचान हो सके जिन्होंने अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के आतंकवादी मिशन के दौरान उसके इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के बिल प्राप्त किए।
हालांकि एफ॰बी॰आई॰ ने एन॰आई॰ए॰ (नेशनल इन्वेस्टिगेशन ऐजेंसी) को हेडली के आरोपी तहव्वुर हुसैन राना की कंपनी वल्र्ड इमिग्रेशन को आर्थिक सहायता देने वाला बताया था और जिसने उसके जिहादी मिशन में कवर ;ब्वअमतद्ध भी उपलब्ध कराया था फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका में किसने उसके इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड का बिल प्राप्त किया।
एक अधिकारी का कहना है कि ‘जैसे ही हम हेडली से सम्पर्क करेंगे उससे पूछताछ में भी हम यह प्रश्न करेंगे।’ आगे कहा गया है कि ‘भारत हेडली से सीधे सम्पर्क के लिए इस सप्ताह के अंत में अमेरिका को एक पत्र भेज रहा है। गृहमंत्रालय द्वारा अमेरिका के डिपार्टमेंट आॅफ जस्टिस को हेडली से सीधे पूछताछ की तिथि से संबंधित भेजे जाने वाला पत्र तय हो गया है।’
अधिकारी ने कहा कि पत्र द्वारा मंत्रालय अमेरिकी अधिकारियों को बतायगा कि भारतीय जांच कर्ताओं की एक टीम तैयार है और अमेरिका से अनुमति मिलने के बाद वह जा सकती है। अमेरिकी क़ानून के अनुसार अमेरिका का डिपार्टमेंट आॅफ जस्टिस भारत को हेडली से सीधे पूछताछ के लिए शिकागो की अदालत से अनुमति लेनी होगी जो हेडली के मामले की सुनवाई कर रही है। अदालत भारतीय जांच कर्ताओं को अनुमति देने से पूर्व आतंकवादी के वकील की भी राय लेगी। अमेरिकी सरकार से हेडली के समझौते के तहत भारत की पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी तक पहुंच, बयान, वीडियों कान्फ्ऱेंसिंग या विशेष पत्र के माध्यम से हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार भारत तीनों माध्यमों का प्रयास करेगा और विशेष रूप से बयान या सीधे तौर पर सम्पर्क की कोशिश करेगा। भारत ने हेडली के बयान दर्ज करने के लिए एक मैजिस्ट्रेट को भेजने का फैसला किया है जो अदालत में स्वीकारीय प्रमाण होगा।
सूत्रों का कहना है कि मैजिस्ट्रेट को तब भेजा जाएगा जब अमेरिका हेडली के बयान दर्ज करने की अनुमति दे देगा। सी॰आर॰पी॰सी॰ की धारा 164 के तहत बयान दर्ज होगा जो भारतीय अदालत में मान्य है। मुम्बई में जब हेडली के विरुद्ध आरोपपत्र दाख़िल किया जायगा तब यह बयान काफी महत्वपूर्ण होगा। पिछले सप्ताह हेडली ने अपने ऊपर लगे 12 आतंकवाद के आरोपों को स्वीकार कर लिया था। जिसमें से 9 मामले 26/11 को मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले से जुड़े है।
Tuesday, March 30, 2010
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