Thursday, October 1, 2009

क्या इनकाउन्टर पोलिस के पास क़त्ल का लाइसेंस?


क्या इनकाउन्टर पोलिस के पास क़त्ल का लाइसेंस?

एंकाउंटर हमारे लिए रिसर्च का एक और महत्वपूर्ण विषय है, वह इसलिए कि कुछ एंकाउंटर तो फर्ज़ी सिद्ध हो ही चुके हैं और कुछ लगता है कि फर्ज़ी हैं, भले ही उन्हें सही सिद्ध करने का प्रयास किया जाता रहा हो। कभी कभी तो लगता है कि एंकाउंटर पुलिस के पास क़त्ल करने का लाइसेंस है। हम कुछ एंकाउंटर को टेस्ट केसेज़ के रूप में सामने रखना चाहते हैं।

आज प्रारंभ कर रहे हैं इशरत जहां एंकाउंटर के मामले से। इशरत जहां एंकाउंटर के संबंध से हमारे पास काफी मेटर है, परन्तु आज की क़िस्त में हम ‘‘इंडियन एक्सप्रैस’’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट को पाठकों की सेवा में प्रस्तुत करने जा रहे हैं

15 जून 2004 गोलियों का शिकार हुए चारों लोगों के बारे में गुजरात पुलिस का कहना था कि यह लोग मुख्यमंत्री मोदी की हत्या करने के षडयंत्र में लिप्त थे।7 सितम्बर 2009 मजिस्ट्रेट जांच में इंकाउंटर फर्ज़ी पाया गया। अदालत में शपथपत्र में केन्द्रीय सरकार ने निम्नलिखित बातें कहीं।

एक अदालत द्वारा इशरत जहां इंकाउंटर को फर्ज़ी घोषित किये जाने के बाद गुजरात सरकार ने केन्द्रीय सरकार के गृहमंत्रालय के शपथपत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि 15 जून 2004 को इंकाउंटर में मारे गये चारों लोग आतंकवादी थे। गृहमंत्रालय ने शपथपत्र दाखिल करने की अवधि पूरी होने का इंतेज़ार किया और आखिरी दिन गुजरात हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गृहमंत्री पि.चिदम्बरम ने कहा कि अगर उन्होंने शपथपत्र देखा होता तो शायद वह अलग ही होता। चिदम्बरम ने पहले भी कहा है कि उस शपथपत्र में संशोधन करके एक नया शपथ पत्र शीघ्र ही अदालत में दाखिल किया जायेगा। उस समय तक केन्द्रीय सरकार का रूख यही था कि शपथ पत्र में चारों की आपराधिक हिस्ट्री का उल्लेख है लेकिन यह किसी को फर्ज़ी इंकाउंटर में मारने का औचित्य पेश नहीं करता है।

इशरत जहां की मां शमीमा की उच्च न्यायालय में याचिका के बाद ही यह शपथपत्र अदालत में दाखिल किया गया था। इशरत की मां ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी बेटी की अन्यायोचित तथा दुर्भावना के कारण हत्या की गई है और सीबीआई द्वारा जांच की मांग की है।

इशरत के अलावा पाकिस्तान के गुजरांवाला का रहने वाला ज़ीशान जौहर उर्फ जांबाज़, पाकिस्तान के सर्गाधा का रहने वाला अमजल अली अकबर अली राणा और जावेद गुलाम शेख उर्फ प्राणेश कुमार पिल्लाई इंकाउंटर में मारे गये थे। मुख्य अंशःभारत सरकार भी इस बात से अवगत थी कि लश्कर-ए-तैयबा कुछ बड़े राष्ट्रीय तथा राज्यस्तर के नेताओं की हत्या की योजना बना रही है और लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में अपने कैडर को नेताओं की गतिविधियों पर नज़र रखने को कहा है।

भारत सरकार और उसकी एजेन्सियां नियमित रूप से सम्बन्धित राज्य सरकारों के साथ सूचनाओं का अदान प्रदान कर रही थी। भारत सरकार को यह भी पता चला है कि गुजरात में विशेष आतंकवादी कार्यवाई के लिए लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकवादियों के अलावा भी कैडर को शामिल किया है...........भारत सरकार की एजेन्सियों को यह पता चला है कि गुजरात में आतंकवादी कार्यवाईयों के सिलसिले में जावेद लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों विशेष रूप से मुज़म्मिल के साथ लगातार सम्पर्क में था......मामला पूरी तरह समझने और विशेष रूप से इशरत जहां तथा जावेद गुलाम मोहम्मद शेख की हत्या........के लिए जरूरी है।

जावेद के अतीत तथा उसके सम्बन्धों पर विचार किया जाये.......1992-98 के बीच थाणे जिला में जावेद के विरूद्ध कई केस दर्ज हुए। उस समय जावेद मुम्बरा (थाणे) में रहता था जो उसके आपराधिक रिकार्ड को जाहिर करता है। रीजनल पास्टपोर्ट आफिस (आर.पी.ओ.) मुम्बई द्वारा 28 जून 1994 को जावेद उर्फ प्राणेश ने मोहम्मद जावेद गुलाम शेख पिता गुलाम मोहम्मद शेख के नाम से पास्टपोर्ट नम्बर.514800 प्राप्त किया।

इस पासपोर्ट पर वह दुबई गया और काफी दिनों तक काम किया। जावेद ने आर.पी.ओ. को चीन से एक और पास्टपोर्ट 16 सितम्बर 2003 को प्राणेश कुमार मनाल्दी ठेकू गोपीनाथ पिल्लाई पिता गोपीनाथ पिल्लाई के नाम से प्राप्त किया। जावेद केराला में कभी नहीं रहा।गोपीनाथ पिल्लाई (अर्ज़ी देने वालों में शामिल) ने अपने बेटे के बारे में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को बयान नहीं किया।; द्ध केरला में न रहने के बावजूद और उस पते पर हिन्दु नाम से पास्टपोर्ट हासिल करना और;इद्ध दंगाई स्वभाव के नाते उसके विरूद्ध पुलिस में दर्ज मामले......इत्यादि उसने यह भी छुपाया कि जावेद कई वर्ष मुम्बरा में रहा है.........और जावेद दुबई जा चुका है.........उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका में गोपीनाथ पिल्लई की दलील शमीमा कौसर के दावों के विपरीत है।

याचिका ने बड़े दावे के साथ कहा है कि मृत्यु से पूर्व उसका बेटा पूणे की एक ट्रेवल एजेन्सी में काम कर रहा था और अक्सर पर्यटकों को नीले रंग की इंडिका कार नम्बर डभ्.02श्र।4786 से विभिन्न स्थानों पर ले जाया करता था।शमीमा ने अपनी अर्ज़ी में कहा है कि उसकी दोस्त के बेटे रशीद अंसारी ने जावेद के बारे में बताया कि जावेद अपने खुशबू और ज्वपसमजतल के धंधे के लिए एक योग्य व्यक्ति की खोज में है।

रशीद ने शमीमा के घर पर दोनों की मुलाकात कराई। जावेद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह इशरत के साथ अपनी बेटी की तरह व्यवहार करेंगे लेकिन काम के सिलसिले में कई बार देश के किसी भी भाग में इशरत को जाना होगा। कार नम्बर डभ्.02श्र।4786 कभी टैक्सी के रूप में पंजीकृत नहीं थी..........इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों अर्ज़ियां सच नहीं बोल रही हैं तथा उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय को भ्रमित कर रही हैं।

समाचारों में छपी रिपोर्टा.......और प्रस्तुत तथ्यों तथा (शपथपत्र) में बयान किये गये तथ्यों के मद्देनज़र...........यह स्पष्ट है कि जावेद तथा इशरत लश्कर-ए- तैयबा से जुड़े आतंकवादी थे। जावेद और इशरत की मृत्यु से कुछ दिनों पूर्व तक की उन की गतिविधियों, व्यवसाय के सम्बन्ध में विरोघाभास है। याचिका में शमीमा कौसर कहती है कि नौकरी से जुड़ने के बाद इशरत दो बार जावेद के साथ शहर से बाहर गई और समय पर वापस आ गई।

जब कभी वह टूर पर जाती थी वह फोन पर अपनी मां को अपना पता ठिकाना देती रहती थी। आखिरी बार जब वह बाहर गई अर्थात 11 जून 2004 की सुबह तो उसने अपनी मां को फोन करके बताया कि वह नासिक में है।..............गोपीनाथ पिल्लई का दावा है कि जावेद अपनी गाड़ी से पूणे वापस आया और अपने परिवार को अपनी साली के घर पर छोड़कर पर्यटकों के साथ लम्बे टूर पर निकल गया।

इशरत के रोज़गार सहित जावेद के साथ सम्बन्ध का कोई उल्लेख नहीं है। याचिका ने स्वर्गीया इशरत के जावेद के साथ नौकरी से पूर्व के बारे में विस्तार से उल्लेख किया है, लेकिन जावेद की दुकान/बिजनेस के पते के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया है..........इशरत के काम के समय के बारे में कोई उल्लेख नहीं है और न ही जावेद द्वारा बेची जाने वाली वस्तु और कहां तथा कैसे उसे प्राप्त हुए, के बारे में..........याचिका में यह भी स्पष्ट नहीं है कि जावेद के साथ नौकरी के बाद क्या इशरत ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी........यह भी स्पष्ट नहीं है........इशरत की नौकरी रोज़ाना दुकान पर जाने की थी या केवल टूर पर साथ जाने की थी।

याचिका ने जावेद के साथ इशरत की यात्रा के स्थान तथा उद्देश्य के बारे में नहीं बताया है। उपरोक्त पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि इसमें विवरण की कमी है और जो लगता है कि जानबूझकर की गई है ताकि जावेद और इशरत के वास्तविक स्वभाव तथा गतिविधि को छुपाया जा सके। विरोधाभास ज़ाहिर करते हैं कि न तो जावेद के पिता गोपीनाथ पिल्लई और न ही इशरत की मां शमीमा कौसर ने सही तथ्यों का खुलासा किया है.....

वास्तविकता यह है कि इशरत और जावेद ऐसी गतिविधियों में लिप्त थे जिसका खुलासा चारों के विरूद्ध पुलिस की कार्यवाई से हो सकता है।...........18 मई 2007 को उच्चतम न्यायालय ने इसी मामले पर गोपीनाथ पिल्लई की याचिका से कुछ दिनों पूर्व 2 मई 2007 को जमाअतुद्दावा (लशकर-ए-तैयबा का एक और मुखपत्र) ‘इशरत जहां के परिवार से माफी’ के शीर्षक से एक समाचार प्रकाशित किया है।..........

यह ज़ाहिर करता है कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा के साथ सक्रियता से जुड़ी थी और लश्कर-ए-तैयबा के मुखपत्र द्वारा माफी केवल भारतीय सेक्योरिटी एजेन्सियों, पुलिस को बदनाम करने के उपाय और अदालत को गुमराह करने के उद्देश्य से है।...........पूणे पुलिस की जांच बताती है कि अमजद उर्फ बाबर नीले रंग की इंडिका कार नम्बर डभ्.02श्र।4786 को खरीदते समय जावेद के साथ था।

गुजरात पुलिस की जांच भी संकेत करती है कि इशरत और जावेद लखनऊ में एक होटल और इब्राहीमपुर (जिला फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश) में एक निजी मकान में एक साथ ठहरे थे। दोनों याचिकाएं जावेद और इशरत के दो पाकिस्तानी नागरिकों से सम्बन्ध बताने मे नाकाम रही हैं। अमजद अली लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी आतंकवादी था और इशरत तथा जावेद का उसके साथ होना सिद्ध करता है कि यह लोग लश्कर-ए-तैयबा के मिशन पर थे।

2004 मे भारत सरकार को विशेष सूचनाएं मिलीं जो ज़ाहिर करती हैं कि लश्कर-ए-तैयबा गुजरात सहित देश के विभिन्न भागों में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की योजना बना रहा है।..........इंकाउंटर में मारा गया अमजद अली पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। 25-28 जून को जम्मू व कमश्ीर पुलिस ने सेंट्रल कश्मीर के चीफ आप्रेशनल कमांडर शाहिद महमूद और उसके पाकिस्तानी साथी ज़ाहिद अहमद के साथ 18 लोगों के एक ग्रुप को गिरफ्तार किया।

उन लोगों ने खुलासा किया कि गुजरात तथा महाराष्ट्र में आतंकवाद के नेटवर्क को बनाने के लिए अमजद अली भारत में प्रवेश कर गया है। जम्मू व कश्मीर पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में अमजद अली घायल हुआ था और मई 2004 के शुरू में उसका इलाज दिल्ली में हुआ था। वह जावेद के साथ बराबर सम्पर्क में था। अन्य मारे गये व्यक्ति का नाम ज़ीशान था और वह पाकिस्तानी नागरिक तथा लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था जिसके बारे में कहा जाता है कि ‘‘पाक अधिकृत कश्मीर’’ से भारत में दाखिल हुआ था।.........

पूणे पुलिस जावेद के घर से आम तौर पर बरामद कैमिकल से विस्फोटक सामग्री तैयार करने का तरीका बताने वाले दस्तावेज़ बरामद किये थे।.......जावेद लश्कर-ए-तैयबा और विशेष रूप से मुज़म्मिल के सम्पर्क में था। जावेद का न तो खुशबू और ज्वपसमजतल का कारोबार था और न ही वह टैक्सी चलाता था। .......जावेद द्वारा इशरत की नियुक्ति लश्कर-ए-तैयबा के षडयंत्र का हिस्सा लगती है ताकि आतंकवादी मिशन को प्राप्त करने के लिए देश के कई भागों में यात्रा के दौरान स्वयं को मिया-बीवी के रूप में प्रस्तुत कर बच सकें।........

इस मामले में सीबीआई जांच का कोई प्रस्ताव केन्द्रीय सरकार के विचाराधीन नहीं है और न ही सरकार इस मामले को सीबीआई जांच के लिए उचित पाती है।

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