Thursday, December 25, 2008

क्या सब को संतुष्ट कर पायेगा

अंतुले के बयान पर गृहमंत्री का स्पष्टीकरण

हेमंत करकरे और मुंबई पुलिस के दूसरे अधिकारीयों की मृत्यु से सम्बंधित हालात पर गृहमंत्री का बयान

१- इन दिनों मुंबई ऐ टी एस चीफ हेमंत करकरे सहित दूसरे पुलिस अधिकारीयों की मृत्यु सम्बंधित हालात पर अनेक प्रशन उठाये गए हैं जो की २६ नवम्बर २००८ को एक ही कार में सवार हो कर कामा हॉस्पिटल के निकट रंग भवन रोड पर जा रहे थे।

२- मैंने महाराष्ट्र सरकार से इस सम्बन्ध में बयूरा प्राप्त किया है।

३-सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूँ की इस घटना के कम से कम तीन चश्मदीद गवाह हैं, जिन में से एक मो अजमल आमिर है, जिसे इस घटना के तुंरत बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया था और अब वह पुलिस हिरासत में है। दूसरे चशम्दीद गवाह हैं पुलिस नायक, श्री अरुण जाधव जो इस घटना के समय पुलिस की इसी क़ुअलिस के भीतर थे और दूसरे हैं सरकारी गाड़ी के चालक, श्रीमती मारुती माधवराव फाड़, जोकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हैल्थ) को उपलब्ध कराइ गई गाड़ी के चालक हैं।

४- इन तीनों चश्मदीद गवाहों और दूसरे गवाहों के द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर मुंबई पुलिस ने इस घटना की एक रूप रेखा तैयार कर ली है जो की संक्षेप में इस प्रकार हैं:

५-श्री करकरे दादर में अपने घर पर २१.४५ पर पहुंचे। उसके कुछ देर बाद ही टेलीफोन पर कंट्रोल रूम के इंस्पेक्टर इंचार्ज, श्री तोंडवलकर की और से सूचना मिलने पर उन्होंने अपने स्टाफ को सी एस टी रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए तैयार होने का आदेश दिया। कुछ ही मिनटों के भीतर वह अपनी टीम (एक पी एस आई और चार कांस्टेबल)के साथ बोलेरो जीप द्वारा सी एस टी की और चल पड़े। सी एस टी पहुँचने से पहले ही उन्होंने देखा की नाकाबंदी के कारण मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया है। इसलिए करकरे और उन की टीम वहां से पैदल ही सी एस टी की और चल पड़ी। वहां जा कर उन्होंने रेलवे के एडिशनल डी जी पी के पी रघुवंशी और दूसरे अधिकारीयों से भेंट की। उन लोगों ने करकरे को बताया की दो आतंकवादी रेलवे स्टेशन के भीतर ज़बरदस्त फायरिंग करने के बाद टाइम्स ऑफ़ इंडिया बिल्डिंग और अंजुमन इस्लाम हाई स्कूल के बीच वाली रोड (जिसे अंजुमन लेन कहते हैं) की ओर भाग गए हैं। श्री करकरे ने तुंरत ही अपनी बुल्लेट प्रूफ़ जैकेट और हेलमेट पहना और अपनी टीम के साथ इस ओर चल पड़े जहाँ आतंकवादी भागे थे। श्री करकरे तथा उनकी टीम कामा हॉस्पिटल के पिछले द्वार पर पहुँची। वहां पर उन्होंने गोलीबारी और ग्रेनेड के फटने की आवाज़ सुनी। उन्होंने पिछले द्वार पर कवर पोजीशन संभाल ली।

६- इस के कुछ देर बाद ही मुंबई के एडिशनल पुलिस कमिश्नर श्री अशोक काम्टे कामा हॉस्पिटल के पिछले द्वार पर पहुंचे। श्री काम्टे लगभग २२.०० बजे अपने निवास स्थान पर पहुंचे और ईस्ट रीजन के कंट्रोल रूम से सूचना मिलने के ५ मिनट के भीतर उन्होंने अपने वायरलेस ओपरेटर और ड्राईवर को तैयार होने का निर्देश दिया और १० मिनट में बाहर आ गए। उन्होंने बोम्बे पोर्ट ट्रस्ट जाने के लिए सड़क का मार्ग अपनाया, जब वह आजाद मैदान पुलिस क्लब पहुंचे तो उनसे कहा गया की वह अपनी कार कामा अस्पताल के गेट तक न ले जाएँ और वह वहीँ पर अपनी कार से उतर गए और ड्राईवर को कार में रहने का निर्देश देते हुए वह अपने वायरलेस ओपेरटर के साथ कामा अस्पताल के गेट पर पहुंचे।

७- पुलिस इंस्पेक्टर एंटी एक्सटोर्शन सकुएड क्राइम ब्रांच श्री विजय सालसकर भी कामा अस्पताल के गेट के पास पहुंचे। वह इससे पूर्व अपने निवास स्थान पर २१.३० बजे पहुंचे थे। इससे पहले श्री काम्टे अपने घर २१.३० पर पहुंचे थे और अपने चालाक, स्टाफ और कार को छोड़ दिया था परन्तु २१.५० पर जब उन्हें क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर ने मोबाइल फोन पर इस घटना की सूचना दी तो वह अपने घर से अपनी निजी क़ुअलिस स्वयं ही चलाते हुए निकल पड़े। रास्ते में उन के पुलिस नायक श्री अरुण जाधव ने जब उन्हें टेलेफोन द्वारा एलर्ट किया तो उन्होंने अपने साथ पुलिस इंस्पेक्टर नितिन अल्कनूरे को भी ले लिया तथा यह दोनों हाजी अली और नेपियन सी रोड होते हुए कोलाबा पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़े। कोलाबा पुलिस स्टेशन पर पुलिस नायक अरुण जाधव भी उनके साथ चल पड़ा। दूसरी ओर क्राइम ब्रांच के जोइंट पुलिस कमिश्नर श्री राकेश मारिया ने मोबाइल फोन द्वारा श्री सालसकर को मुंबई पुलिस हेड कोअटर जाने का आदेश दिया। पुलिस हेड कोअटर की ओर गाड़ी चला कर जाते हुए श्री सालसकर ने हथियार लिए हुए दो पुलिस वालों को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन के गेट पर एलर्ट पोजीशन में देखा। उन पुलिस वालों ने श्री सालसकर को कामा हॉस्पिटल में चलने वाली गोलीबारी के बारे में अवगत कराया इसलिए श्री सालसकर भी अपनी टीम के साथ कामा हॉस्पिटल के पिछले द्वार की ओर भागे।

८- उपरोक्त वर्णित तथ्यों से पता चलता है की तीनों अधिकारी अर्थात श्री करकरे, श्री काम्टे और श्री सालसकर अलग अलग रास्तों से कामा हॉस्पिटल के पिछले द्वार पर एकत्रित हुए थे। यह तीनों आपस में इस वास्तुस्थिति पर बातचीत कर रहे थे की एडिशनल पुलिस कमिश्नर श्री सुदानंद दाते के साथ जुड़े हुए वायरलेस ओपेरटर श्री तिलेकर घायल अवस्था में कामा हॉस्पिटल से बाहर निकले और उन तीनों को सूचना दी की कामा हॉस्पिटल के भीतर आतंकवादियों के साथ होने वाली गोलीबारी में श्री सुदानंद दाते घायल हो गए हैं। कामा हॉस्पिटल की छत पर से भी फाइरिंग हो रही थी परन्तु कुछ क्षण पश्चात ही खामोशी हो गई। उसके पश्चात् गोली चलने की आवाजें सेन्ट जेवियर्स कोलेज की ओर से आने लगीं। श्री करकरे ने अपनी टीम को इस दिशा में पोजीशन संभालने का आदेश जारी कर दिया तथा श्री काम्टे व श्री सालसकर के साथ पुलिस जीप अर्थात उस क़ुअलिस गाड़ी में सवार हो गए जो पधोनी डिविज़न के ऐ सी पी की थी और सेन्ट जेवियर्स कोलेज की ओर चल पड़े। श्री सालसकर उस गाड़ी को चला रहे थे, श्री काम्टे सामने वाली सीट पर बाएँ ओर बैठे हुए थे, श्री करकरे बीच वाली सीट पर थे और श्री अरुण जाधव सहित ४ अन्य पुलिस वाले पिछली सीट पर बैठे हुए थे।

९- जीवित बच जाने वाले पुलिस कर्मचारी श्री अरुण जाधव ने बताया है की क़ुअलिस जिस समय बदरुद्दीन तय्यब जी मार्ग के अंत में रंग भवन लेन पर स्थित एक बैंक के ऐ टी एम् सेंटर से गुजर रही थी तो रोड की दूसरी ओर पीछे की झाडी से दो आतंकवादियों ने हम पर अंधाधुन्द फायरिंग शुरू कर दी। क़ुअलिस में बैठे हुए हम में से एक ने आतंकवादियों पर गोलियाँ चलाई जिसके कारन एक आतंकवादी के हाथ पर एक गोली लगी (जिसकी पहचान बाद में मो अजमल आमिर के रूप में की गई)। श्री करकरे, श्री काम्टे, श्री सालसकर और दूसरे तीन पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हो गए। दोनों आतंकवादियों ने अगली सीट पर बैठे तीनों घायल अधिकारीयों को उठा कर बाहर फ़ेंक दिया और चारों पुलिस वालों को मृत समझ कर उनके साथ ही क़ुअलिस को लेकर भाग गए। श्री अरुण जाधव, मारे जा चुके अपने तीन सहयोगी पुलिस वालों के शरीर के नीचे छुप गए थे और इस प्रकार बच गए। इस क़ुअलिस को आतंकवादियों ने "फ्री प्रेस जनरल मार्ग" पर छोड़ दिया तथा एक दूसरी स्कोडा कार को अपने कब्जे में ले लिया। इस जगह पर अरुण जाधव गाड़ी से बाहर निकले और क़ुअलिस में लगे हुए वायरलेस सेट की सहायता से कंट्रोल रूम से संपर्क करने में सफल रहे। कंट्रोल रूम ने यह सूचना ००.२५ बजे प्राप्त की अर्थात २६/२७ नवम्बर की आधी रात्री के कुछ ही देर बाद।

१० -श्री अरुण जाधव ने इस पूरी घटना का विवरण उपलब्ध कराया है, जब वह कोलाबा पुलिस स्टेशन में श्री सालसकर के साथ जा कर मिले थे और जिस समय उन्होंने कंट्रोल रूम को सूचना दी थी। गिरफ्तार किए गए आतंकवादी मो अजमल आमिर ने इस कहानी का शेष अंश बयान किया है की उसने तथा उसके सहयोगी ने क़ुअलिस गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी तथा यह समझते हुए की इस गाड़ी में बैठे हुए सारे लोग मारे गए हैं, उन्होंने गाड़ी को अपने कब्जे में ले लिया था। महाराष्ट्र सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (हैल्थ)को उपलब्ध करायी गई सरकारी गाड़ी के चालक श्री मारुती माधवराव फाड़ ने इस पूरी घटना को अत्यन्त निकट से देखा। वह इस बात के चश्मदीद गवाह हैं की कैसे दो आतंकवादियों ने एक झाडी के पीछे से क़ुअलिस गाड़ी पर छुप कर फायरिंग की, तीन घायल व्यक्तियों को बाहर फेंका और गाड़ी को लेकर फरार हो गए।

११-मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच इस पूर्ण घटना की छानबीन कर रही है, जिस में वह अपराध भी शामिल हैं जिन्हें मो अजमल आमिर और उसके सहयोगी ने अंजाम दिया है, उस की पहचान इस्माइल खान के रूप में हो चुकी है। इस जांच के दौरान उन सभी नंबरों का और उन पुलिस वालों का पता लगाया जा चुका है जो फोन द्वारा विभिन्न स्थानों से एक दूसरे के संपर्क में थे। जांच के दौरान यह भी पता लगा की श्री करकरे ने दादर में स्थित अपने घर से सी एस टी रेलवे स्टेशन तक पहुँचने के लिए सबसे सरल रस्ते का चुनाव किया था और रेलवे स्टेशन पर उपस्थित पुलिस अधिकारीयों से सूचना के बाद कामा हॉस्पिटल का रुख किया था। कामा हॉस्पिटल के पिछले द्वार पर ही यह तीनों अधिकारी, चार दूसरे पुलिस वालों के साथ क़ुअलिस में सवार हुए थे और वहां से रंग भवन लेन पर स्थित ऐ टी एम् सेंटर जहाँ उन पर फायरिंग की गई, वहां तक का चश्मदीद गवाह हूँ, श्री अरुण जाधव और श्री मारुती माधवराव फाड़ द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर बनाया गया है।

१२- जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं की इस संदेह की कोई गुंजाइश मौजूद नहीं है की श्री करकरे या दूसरे अधिकारीयों को मारने के पीछे कोई बड़ा षड़यंत्र था। घटना के दिन श्री करकरे की गतिविधियों से सम्बंधित फैलाई जाने वाली ग़लत रिपोर्टों में भी कोई सच्चाई नहीं है। श्री करकरे ने संकट की स्थिति में अपने सहयोगियों के साथ तुंरत एक्शन लिया था ताकि हालात का मुकाबला किया जा सके। हलाँकि यह दुर्भाग्य की बात है की तीनों बहादुर अधिकारी एक ही क़ुअलिस में सवार थे तथा ऐसे हालत से दो चार हुए, जिसके कारण फायरिंग से मौत के शिकार हो गए।

१३- मृत्यु से पहले भी श्री करकरे द्वारा आतंकवादी मामले में की जाने वाली जांच के बारे में सवाल किए जा रहे थे। उन की मृत्यु के बाद भी उनकी मृत्यु से सम्बंधित परिस्थितियों के बारे में सवाल उठाये जा रहे हैं। मेरे विचार से यह दोनों बातें ग़लत हैं और अत्यन्त दुखदायक हैं।

१४- मिस्टर स्पीकर, मैं अपना बयान यहीं समाप्त करता हूँ और अपने साथी सदस्यों और देश के नागरिकों से यह अपील करता हूँ की यह समय अपने पुलिस अधिकारीयों और उनके दूसरे सहयोगियों को सलामी देने का है। यह समय उनके परिवार को सहायता पहुंचाने का है, विशेष रूप से उनके बच्चों को ताकि वह संकट की इस घड़ी का मुकाबला कर सकें। समूचे देश के लिए यह एकजुट होने का समय है और आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध करने का है।

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