साध्वी प्रज्ञा सिंघ ठाकुर का मुकदमा लडेंगे बाल ठाकरे
और आतिफ साजिद और मुफ्ती अबुल बशर का मुकदमा?
भारतीय जनता पार्टी अधिकतर हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी है! अभी तक हम इसी भ्रम का शिकार रहे! लेकिन अब हम यह कह सकते हैं की न तो आर एस एस, संघ परिवार और न ही उस से जुड़े संघटन हिन्दुओं के हितों का ध्यान रखने वाले संघटन हैं और न ही भारतीय जनता पार्टी को राजनितिक दृष्टी से हिन्दुओं या देश का हितैषी समझा जा सकता है! बात केवल इतनी ही नहीं है के मालेगाँव बम धमाके में हुए ताज़ा खुलासे में उन लोगों का सम्मिलित होना सामने आ रहा है, जिन का सम्बन्ध संघ परिवार से जुड़े संघटनों के साथ है! बल्कि अफ़सोस की बात यह भी है की भारतीयजनता पार्टी खुल कर आरोपियों का बचाओ करने के लिए खड़ी हो गई है! १० तारिख की रात को जी बिज़नस न्यूज़ चैनल पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राज नाथ सिंघ आरोपियों का पक्ष लेते नज़र आए! इस से पहले भी इन के जो वक्तव्य समाचार पत्रों की Headings बनते रहे थे वो भी इसी तरह के थे! पहले तो वो साध्वी प्रज्ञा सिंघ ठाकुर से दूरी प्रकट करने की कोशिश करते रहे और जब उन्हें लगा की अधिकान्क्ष समाचार पत्रों ने एक छोटे से कमरे में शिवराज सिंघ चोव्हान जो उन के दल के मुख्य मंत्री हैं और उन के साथ साध्वी के चित्र प्रकाशित किए हैं तब उन्हें लगा की भागने का रास्ता अपनाना सम्भव नहीं है! तब वह यह कहते दिखायी दिए की जब तक किसी का अपराध सिद्ध नहीं हो जाता तब तक उसे अपराधी घोषित नहीं किया जा सकता! यह पहला अवसर है जब भारतीय जनता पार्टी, शिव सेना और संघ परिवार से जुड़े संघटन यह कहने लगे हैं की आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता और जब तक किसी का अपराध सिद्ध न हो जाए उसे अपराधी नहीं कह सकते!
ताज़ा रहस्योदघाटन पर बी जे पी के प्रशन
मालेगाँव धमाके के सम्बन्ध में भा ज पा की और से ताज़ा रहस्योदघाटन के पश्चात् जो प्रशन उठाये गए हैं वो इस प्रकार हैं की भाजपा अपने इस स्टैंड पर हमेशा कायम रही है की आतंकवाद के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए और यह की आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता! हम अत्यन्त सम्मान के साथ भारतीय जनता पार्टी और उस की सोच का प्रतिनिधित्व करने वालों की सेवा में निवेदन करना चाहते हैं की यही बात तो हम हमेशा से कहते रहे हैं! मगर अक्सर आपका उत्तर होता था की माना की सारे मुस्लमान आतंकवादी नहीं हैं! मगर आतंकवाद के मामले में जितने लोग पकड़े गए हैं वह सब मुसलमान हैं! दुसरे शब्दों में आप लोग येही कहते रहे की मुसलमान आतंकवादी हैं! इस्लाम आतंकवादी है! अब जबकि ऐ टी एस द्वारा मालेगाँव बम धमाकों के खुलासों में कुछ हिंदू संघटनों और हिन्दुओं का नाम सामने आया तथा मीडिया ने उसे हिंदू आतंकवाद या हिंदू संघटनों के आतंकवाद की संघ्या दी तो आपको अपनी गलती का एहसास हुआ की अब तक आप ग़लत कह रहे थे और कुछ लोगों के आतंकवाद में लिप्त होने पर किसी भी धर्म या उसके मानने वालों को आतंकवादी ठहराया नहीं जा सकता! आप ने इस के आलावा जो प्रशन उठाये हैं वह कुछ इस प्रकार हैं की अगर कोई सबूत मौजूद है तो उस के विरुद्ध कदम ज़रूर उठाया जाना चाहिए और कानून को अपना काम करना चाहिए! अब इस बात को कई दिन हो चुके हैं! प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुंबई ऐ टी एस की कस्टडी में है मगर अब तक ऐसा कोई भी पक्का सबूत सामने नहीं आया है की जो यह प्रकट करता हो की २००८ के मालेगाँव बम धमाकों में प्रज्ञा सिंघ ठाकुर शामिल थी! मीडिया ने भी यह रिपोर्ट पूरे विस्तार के साथ पेश की है की पोली ग्राफी टेस्ट, ब्रेन मपिंग टेस्ट और लाइ डिटेक्टर टेस्ट के बाद कोई भी स्पष्ट सबूत उस के विरुद्ध नहीं मिला है! इस लिए २००८ के मालेगाँव बम धमाकों के सम्बन्ध में ऐ टी एस की जांच से कुछ अहम् सवाल खड़े होते हैं!
बी जे पि के प्रशनों के उत्तर
हम संघ परिवार वालों के प्रशनों पर अपनी बहस जारी रखेंगे मगर अभी तक आपने जिन बिन्दुओं की ओर इशारा किया है पहले उनका उत्तर देना ज़रूरी है! मुफ्ती अबुल बशर के विरुद्ध तो इतने प्रमाण भी नहीं मिले जितने की ऐ टी एस अभी तक प्रज्ञा सिंघ ठाकुर के मामले में एकत्र कर चुकी है! प्रज्ञा सिंघ ठाकुर की मोटर साइकिल का बम धमाकों में उपयोग होना क्या उस के विरुद्ध प्रमाण नहीं है? क्या राम जी के साथ टेलीफोन पर हुई उस की बात चीत, जिस में उस ने स्वीकार किया की मोटर साइकिल उस की है और जब उसे कहा गया की कह दो मैंने मोटर साइकिल बेच दी थी या चोरी हो गई है! तब भी उस का येही कहना था क्या कहूं, कैसे कहूं? आगे उस का यह कहना के मोटर साइकिल ऐसे स्थान पर क्यों खड़ी की जहाँ इतनी कम मौतें हुईं! क्या इस बात का प्रमाण नहीं है के वह इन बम धमाकों में लिप्त थी? और इस से भी अधिक खतरनाक धमाकों और मौतों की इच्छुक थी? पूर्व सैनिक अधिकारी मेजर उपाध्याय के साथ उस का सम्बन्ध, लेफ्टनेंट कर्नल प्रोहित जिस ने ऐ टी एस के अनुसार स्वयं अपना अपराध स्वीकार किया है, उस के साथ भोंसला मिलेट्री ट्रेनिंग कॉलेज में बैठकों में उपस्थित और भेद खुल जाने के बाद लेफ्टनेंट कर्नल पुरोहित का एस एम् एस द्वारा यह संदेश देना के वोह लोग ऐ टी एस की रडार पर हैं! प्रज्ञा सिंह ठाकुर पकड़ी गई है और भेद उगल सकती है! क्या राज नाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी को नहीं लगता के काफ़ी प्रमाण हैं? आर्मी के लेफ्टनेंट कर्नल पुरोहित का यह भी स्वीकार करना की आर डी एक्स उस ने उपलब्ध कराया था! क्या यह सब स्पष्ट प्रमाण नहीं हैं! अगर संघ परिवार यह सोचता है के न्यायालय में यह प्रमाण कोई मायिनी नहीं रखते, ऐ टी एस की जांच कोई मायिने नहीं रखती तो फिर हम प्रशन खड़ा करना चाहेंगे की बटला हाउस एनकाउंटर में आतिफ और साजिद की जान क्यों ली गई? इन दोनों के विरुद्ध तो इन प्रमाणों की तुलना में कोई ऐसा स्पष्ट प्रमाण नहीं था! न तो बम धमाकों में लिप्त होने के प्रमाण के रूप में घटना स्थल पर उन से सम्बंधित कोई भी प्रमाण मिला! न ही उन्होंने भोंसला मिलट्री ट्रेनिंग कॉलेज जैसी किसी संस्था में कभी कदम रखा! न कोई ऐसा प्रमाण मिला के उन्हें आतंकवाद की सामग्री कब, कहाँ और किस ने उपलब्ध करायी! न उन से जुड़े किसी भी व्यक्ति के पास से कोई भी आपत्ति जनक वस्तु बरामद हुई! न साध्वी प्रज्ञा सिंह की तरह उन के विशैल भाषणों के कैसेट या सी डी मिले, न मेजर जनरल उपाध्याय, लेफ्टनेंट कर्नल प्रोहित, राम जी जैसे लोगों से उन के सम्बन्ध सामने आए! न ही उनका सम्बन्ध किसी ऐसी संस्था से सिद्ध हुआ जो सांप्रदायिक घृणा या आतंकवाद के लिए जानी जाती हो! जहाँ तक सवाल एक काल्पनिकसंघटन इंडियन मुजाहिदीन का है तो अब जिस प्रकार के प्रमाण सामने आ रहे हैं उस से यह लगता है की अगर जांच की जाए तो इंडियन मुजाहिदीन भी किसी ऐसे ही मस्तिष्क की उपज सिद्ध होगी, जैसा की लेफ्टनेंट कर्नल प्रोहित रखता है, जो की अरबी सीख रहा था! स्पष्ट है अरबी सीखने का इस के सिवा और क्या उद्देश्य हो सकता है की वो अपराध स्वयम करे और आरोप किसी मुसलमान या इस्लामिक संघटन पर सिद्ध करने का रास्ता हमवार करे!
भारतीय जनता पार्टी ने 2006 मालेगाँव बम धमाकों के सिलसिले में ऐ टी एस की जांच पर भी प्रशन खड़े किए हैं! 8 सेप्टेम्बर 2006 को मालेगाँव में हमीदिया मस्जिद और बड़े कब्रस्तान के पास बम धमाके हुए थे, जिस में 31 व्यक्ति हताहात तथा 300 से अधिक लोग घायल हुए थे! इन बम धमाकों के बारे में मुंबई ऐ टी एस की जांच रिपोर्ट का विशलेषण विचारनीय है! भारतीय जनता पार्टी का कहना है की यह जानकर निश्चय ही आश्चर्य होता है की ऐ टी एस ने २००६ के मालेगाँव धमाकों के सिलसिले में अपने आरोप पत्र में जिस षडयंत्र, जोश, जज्बा और डिजाईन की बात की थी और जिस में पाकिस्तानी उग्रवादियों के लिप्त होने की बात कही थी, २००८ के मालेगाँव धमाकों के सम्बन्ध में उन्ही बातों को बिल्कुल पलट दिया है! २००६ के धमाकों के सम्बन्ध में तीन मामले दर्ज किए गए थे! आजाद नगर पुलिस स्टेशन में जो मामला दर्ज किया गया था उस का नम्बर था 95&96@2006 जबके मालेगाँव के सिटी पुलिस स्टेशन में जो मामला दर्ज किया गया उस का नम्बर है 23@10@2006&३०८८ के इस आदेशानुसार इन तीनों मामलों की जांच मुंबई ऐ टी एस के हवाले कर दी गई थी और उस की चार्जशीट सी आर पी के सेक्शन 173¼2½ के अंतर्गत 21@12@2006 को जमा की गई थी जिस पर मुंबई ऐ टी एस के असिस्टंट पुलिस कमिश्नर के एन शैनेगल का हस्ताक्षर था! इस Final Report का हवाला देना भा ज् प् को इसलिए आवयशक लगा की वर्तमान जांच के बारे में किए जाने वाले संदेह को उजागर किया जा सके! " उपरोक्त शहर मालेगाँव की सांप्रदायिक संवेदनशीलता का लाभ उठाते हुए प्रतिबंधित "सीमी" के कट्टरपंथी नेताओं तथा सदस्यों ने अपनी कट्टर Ideology के साथ स्थानीय लोगों की सांप्रदायिक भावनाओं से हमेशा खिलवाड़ करने की कोशिश की है और उन पर कथित रूप से होने वाले बर्बरता का बदला लेने के लिए उन्हें उकसाया! (" रिपोर्ट का भाग नम्बर 1")
2. इस का उद्देश्य सांप्रदायिक मन मुटाव का माहोल पैदा कर के सांप्रदायिक दंगे करना था क्यों की इस क्षेत्र की अधिकांक्ष आबादी मुस्लिम है (रिपोर्ट का भाग नम्बर २)
3. अपनी वकालत, दलीलों, सलाह व मशवरा और भारतीय हुकूमत की नीतियों के विरुद्ध मुस्लिम या नव युवकों को उकसा कर " सिमी " धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करना चाहती है और अपराधिक षडयंत्र का उद्देश्य पूरे राज्य में सांप्रदायिक दंगों द्वारा सरकार को भैभित करना था! (रिपोर्ट का भाग नम्बर ४)
4. जांच से यह बात घ्यात हुई है की आरोपी मोहम्मद अली आलम शेख (ऐ-६) आतंकवादियों के कैंप से ट्रेनिंग हासिल करने के लिए पाकिस्तान गया था! उस ने इसी प्रकार की ट्रेनिंग प्राप्त करने के लिए शब्बीर अहमद मसिहुल्लाह (ऐ-२) को भी प्रेरित किया था और उसे पाकिस्तान भेजा था! मोहम्मद अली आलम शेख ने "हवाला" द्वारा रियाज़ भटकल से 1.८५ लाख रूपये प्राप्त किए थे, रियाज़ भटकल "सिमी" का एक सदस्य है, इन पैसों में से उसने ३० हज़ार रूपये शब्बीर मसिहुल्लाह (ऐ-२) को पाकिस्तान में ट्रेनिंग हासिल करने में होने वाले खर्च के लिए दिए थे और इस प्रकार इन की अपराधिक षडयंत्र अपना रूप धारण करने लगी थी!
अगर हम ने प्रशन उठाये तो
यह वह सारी दलीलें और प्रशन हैं जिन को लेकर भारतीय जनता पार्टी और बाल ठाकरे आशवस्त हैं की मालेगाँव बम धमाकों के आरोपियों को बचाने के लिए बड़े से बड़ा वकील खड़ा कर के इस आधार पर बचा लेंगे! हाँ यह कोई असंभव बात नहीं है! यह हो सकता है! अक्सर पैसे, ताकत और सत्ता के बल पर बड़े बड़े अपराधी जेल की सलाखों से दूर रहते हैं! जेल की सलाखों के पीछे तो उन्हें रहना पड़ता है जे उन अपराधों की सज़ा पाते हैं जो उन्होंने ने किए ही नहीं और स्वयं को बेगुनाह साबित नहीं कर पाते और दुर्भाग्य से उनका अपराध सिद्ध हुए बिना ज़माना उन्हें अपराधी मान लेता है! पुलिस और मीडिया उन्हें अपराधी साबित करने में लगा रहता है! हम ने जा कर देखा है, सराए मीर (आज़म गढ़) में मुफ्ती अबुल बशर की पारिवारिक पुष्ट भूमि! यह हो सकता है की पुलिस को प्राप्त सूचना के अनुसार उस का सम्बन्ध "सिमी" से रहा हो, मगर जो खुलासे प्रज्ञा सिंह ठाकुर, उपाध्याय और कर्नल प्रोहित तथा उन के साथियों के सम्बन्ध से प्राप्त हुए हैं, उन को सामने रखें तो मुफ्ती अबुल बशर के सिलसिले में ऐसा कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ! फिर भी उस का परिवार एक आतंकवादी परिवार के रूप में देखा जाता है! पढ़ा लिखा तो उस का भाई अबू ज़फर भी है मगर वो प्रज्ञा सिंह ठाकुर की छोटी बहन की तरह उच्चय सोसाइटी से सम्बन्ध रखने वाला नहीं है! नरेन्द्र मोदी, शिव राज सिंह चोव्हान और राज नाथ सिंह जैसे शक्तिशाली राज नेताओं से उस का सम्बन्ध नहीं है! बाल ठाकरे जैसे लोग जो उस के बचाव में बड़े से बड़ा वकील कर सकें, उस के साथी नहीं हैं! इस लिए न तो अंग्रेज़ी के बड़े दैनिकों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बहन की तरह मुफ्ती अबुल बशर के भाई का चित्र प्रकाशित हुआ और न स्पष्टीकरण! इसी प्रकार आतिफ और साजिद के परिवारों का हाल पूछने वाला कौन है? एक रात लग भाग १ बजे साजिद के भाई का एस एम् एस मिला! उस ने लिखा की हमारे अखबार में एक बार फिर साजिद का चित्र देख कर उसे रोना आगया और नींद नहीं आ रही है! मैंने एक सहानुभूति पूर्वक उत्तर उस के एस एम् एस के जवाब में दिया! मगर क्या साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की तरह आतिफ और साजिद के बचाव में भी कुछ राजनीतिज्ञ आ सकते हैं? अपराध तो उन का भी सिद्ध नहीं हुआ था और उन के बारे में तो ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं मिला था जैसा की मालेगाँव बम धमाके के मामले में आरोपियों के बारे में मिल चुका है! यह सच है की आतिफ और साजिद वापस नहीं आ सकते, मगर उन के दामन पर लगे दाग को तो मिटाया जा सकता है! अगर वो बेगुनाह हैं और उन की बेगुनाही सिद्ध की जासकती है तो मुफ्ती अबुल बशर अभी जेल में है,क्या पुलिस, सी बी आई और ऐ टी एस को उस के बारे में ऐसे प्रमाण मिल सकते हैं, जिस के द्वारा उस को आतंकवादी साबित किया जा सके? अगर हाँ तो वो प्रमाण कहाँ हैं? उन्हें भी इसी प्रकार सामने लाया जाए, जिस तरह से मालेगाँव बम धमाके के आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, उपाध्याय और प्रोहित के बारे में मिले हैं! हमारे पास इस सिलसिले में कहने के लिए अभी और भी बहुत कुछ है! भारतीय जनता पार्टी तो ऐ टी एस की ८ सेप्टेम्बर २००६ को मालेगाँव में हमीदिया मस्जिद और बड़े कब्रस्तान बम धमाकों में दाखिल की गई चार्जशीट का हवाला देकर ही बात कर रही है! मगर जब हम अपनी बात सामने रखेंगे तो अप्रैल २००६ में नांदेड में बम बनाने की कोशिश करते हुए दो भारतीय जनता पार्टी तथा शिव सेना के कार्यकर्ताओं से ले कर कानपूर की ऐसी ही घटना और केरल में १० नवम्बर २००८ यानी कल हुए बम धमाके में मारे गए दो हिंदू सांप्रदायिक संघटन के सदस्यों का भी उल्लेख करेंगे जो बम बनाने की कोशिश कर रहे थे! हम रीवा में गुलाब सिंह के घर से ज़ब्त किए गए ३२५ किलो Amonium Nitrate का भी प्रशन उठाएंगे और राजस्थान के एक छोटे से गाँव में पटाखों के बारूद से लगने वाली आग से मारे गए २८ व्यक्तियों का प्रशन भी! इस लिए यह लेख जारी रहेगा, और हर प्रशन का उत्तर सामने रखा जाएगा!
Wednesday, November 19, 2008
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