Saturday, December 20, 2008


मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादी पाकिस्तानी
मगर क्या उन का कोई सहयोगी भारतीय भी!
२६ नवम्बर २००८ को आतंकवादियों का मुंबई पर हमला, केवल मुंबई ही नहीं बल्कि भारत पर हमला है तथा भारतीयता पर हमला है। जिस का पहला उत्तर तो दिया हमारी पुलिस और सेना ने इस हमले को और अधिक भयानक रूप लेने से रोक कर और सिवाए एक के सभी आतंकवादियों को मौत के घाट उतार कर, उस के बाद दूसरा उचित जवाब दिया भारतीय नागरिकों ने राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन कर के। हाँ! राजनीतिज्ञों से उन की नाराज़गी ज़रूर सामने आई। मगर नाराज़ होने के बजाये यह विचारणीय पल है हमारे राजनीतिज्ञों के लिए की वे आतंकवाद पर काबू पाने में असफल क्यूँ हैं। कमी उन की रणनीति में है या दृढ़ इच्छा शक्ति में। इस आतंकवादी हमले में केवल एकमात्र जीवित पकड़ में आए अजमल आमिर कसाब के इस बयान ने वास्तव में हमारी पुलिस और सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया होगा की अभी १० आतंकवादी और मुंबई में छुपे हुए हैं। मगर यहाँ एक विचारणीय बात यह भी है की इसी आतंकवादी ने पुलिस को दिए गए अपने बयान में पहले सिर्फ़ १० आतंकवादियों के पाकिस्तान से आने का उल्लेख किया था। अब उस के अनुसार उन की संख्या २० हो गई। क्या इसे विश्वसनीय स्वीकार कर लिया जाए या उस के अगले बयान में कुछ और आतंकवादियों की बात भी सामने आ सकती है।
जहाँ तक अजमल आमिर कसाब के बारे में पुलिस सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं का सम्बन्ध है तो अब तक यह सिद्ध हो चुका है की अजमल आमिर कसाब एक पाकिस्तानी आतंकवादी है। उस के बाप ने भी उस की पहचान कर ली है। पाकिस्तान के लोकप्रिय टी वी चॅनल जीओ टी वी ने अपने स्टिंग ओपरेशन के द्वारा यह रहस्योद्घाटन भी कर दिया की अजमल पाँच महीने पहले आतंकवाद का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने घर वालों से मिलने के लिए अपने गाँव आया था। उस ने गाँव के लड़कों को जुडो कराटे के करतब भी दिखाए, इस बात को प्रर्दशित भी किया की अब वह एक प्रशिक्षित नौजवान है जिसे पकड़ना आसन नहीं और जिस के शरीर में अदभुत शक्ति है। उस ने यह भी स्वीकार किया की वह जिहाद के लिए जाने का इरादा रखता है और उस के लिए उस ने अपनी माँ से आशीर्वाद भी लिया। इन सारी बातों पर बहस की कोई गुंजाईश नहीं है। पाकिस्तान को भी अब सच्चाई का सामना करते हुए उस हकीकत को स्वीकार करना चाहिए और धन्यवाद् देना चाहिए जीओ टी वी चैनल को जिस ने आतंकवाद के विरुद्ध जिहाद का अमली सबूत अपने स्टिंग ओपरेशन के द्वारा दिया।
लेकिन अब भारत सरकार और हमारी गुप्तचर एजेंसियों को भी इस बात पर विचार करना होगा की अजमल आमिर कसाब के बयान को सच्चाई की कसौटी पर परखें।
क्या वह सच बोल रहा है की उस ने २६ नवम्बर को ही भारतीय सीमा में प्रवेश किया और मुंबई पहुँचा?
क्या वह सच बोल रहा है की उसके साथ आने वाले आतंकवादियों की संख्या केवल १० ही थी?
क्या वह सच बोल रहा है की केवल १० आतंकवादी ही पाँच टुकडों में विभाजित हो कर अलग अलग स्थान पर आतंकवादी हमले के लिए पहुंचे, कहीं संख्या के मामले में ग़लत बयानी तो नहीं की जा रही है? पाकिस्तान के शहर कराची से मुंबई तक पहुँचने के मामले में यात्रा की जो दास्तान बयान की गई है, क्या वह पूर्ण रूप से विश्वसनीय है? भारत की जिस नाव पर कब्ज़ा करके एक नाविक को रास्ता दिखाने की नियत से साथ लेकर आए फिर नाव के तहखाने में उस की हत्या कर दी, क्या उस की पहचान हो गई है?
क्या उस का शव मिल गया है? जिन दूसरे नाविकों को आतंकवादी पाकिस्तान के जहाज़ अलहुसैनी में बंधक बना कर ले गए थे, क्या उन के बारे में पूरी जानकारी मिल गई है? यह हत्या किस तारीख को की गई, उन नाविकों को किस तारीख को बंधक बनाया गया? क्या कसाब का बयान हिंदुस्तान की गुप्तचर एजेंसियों और सम्बंधित रिश्तेदारों की जानकारियों के अनुसार मेल खता है? जिस प्रकार असलाह होटल ताज और अन्य स्थानों पर बरामद हुआ व इस्तेमाल हुआ, क्या येही दस लोग अपने बैग में रखकर उसी दिन अर्थात २६ नवम्बर को शहर में प्रवेश किए थे या आतंकवादियों की संख्या कहीं अधिक थी और आने के समय व संख्या में ग़लत बयानी से काम लिया जा रहा है? क्या गूगल अर्थ की वेबसाइट पर जाकर नक्शे के द्वारा ही इन सभी स्थानों पर पहुँच कर आतंकवादी कार्यवाई को अंजाम दिया जा सकता है या उन में से कुछ आतंकवादी पहले से ही शहर में प्रवेश कर चुके थे? और सभी स्थानों को चिन्हित कर चुके थे? की कब, किस तरह यह आतंकवादी हमला करना है, उस का खाका बना चुके थे और बहुत सोच समझ कर २६ नवम्बर की तारिख तय की गई थी।
स्पष्ट हो की हमारी सूचना के अनुसार उसी दिन अर्थात २६ नवम्बर को शाम के लगभग ८ बजे लन्दन से इंग्लैंड क्रिकेट टीम को मुंबई पहुंचना था। उन के लिए होटल ताज में कमरे बुक कर लिए गए थे। नवम्बर के दुसरे हफ्ते में भी इंग्लैंड की क्रिकेट टीम होटल ताज की पाँचवीं और छटी मंजिल के कमरों में ठहरी थी। कसाब के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वह भी होटल ताज के कमरा नंबर ६३० में ठहरा था। यह केवल इत्तेफाक है या आतंकवादियों के इरादे अधिक खतरनाक थे। उन्हें यह मालूम था के २६ तारिख को आठ साढ़े आठ बजे मुंबई पहुँचने के बाद १० बजे तक यह क्रिकेट टीम होटल ताज में होगी और उन्हें नुक्सान पहुँचा कर वह इस आतंकवादी हमले को और भी भयानक बनाने में सफल हो जायेंगे। अगर हम तक पहुँची यह सूचना सही है तो अब तक यह ख़बर किसी भी सूत्र के द्वारा सामने क्यूँ नहीं आई? क्या यह भी विचारणीय नहीं है की जिस जहाज़ को लगभग साढ़े आठ बजे मुंबई पहुंचना था वह रात लगभग १२ बजे मुंबई पहुँचा और यह क्रिकेट टीम मुंबई एअरपोर्ट से ही वापस लौट गई। क्या जहाज़ के ज़मीन पर उतरने से पहले ही पाइलट तक यह सूचना पहुँच चुकी थी और एहतियाती तौर पर उस की लैंडिंग में देर करायी गई या फिर यह केवल एक इत्तेफाक था?
हम जानते हैं की सभी घटनाओं की कडियाँ जोड़ने में फूँक फूँक कर कदम रखने की आव्यशकता है मगर आतंकवाद को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए सभी तथ्यों को जानना और समझना भी अति अनिवार्य है। पाकिस्तान पर किया जाने वाला संदेह अपनी जगह, उस के पूर्व कार्यों को देखें तो उसके अविश्वसनीय होने का भी कोई उचित कारण नहीं है। पाकिस्तान और पाकिस्तान की गुप्तचर संघटन आई एस आई या पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादी भारत की अखंडता पर हुए इस हमले में शामिल हो सकते हैं। मगर हमें यह भी सोचना होगा की कहीं उस में हमारी कोई भूल या हमारी धरती पर बसने वाले कुछ ऐसे लोग तो जान बूझ कर या अनजाने तौर पर उन हमलावरों के सहयोगी साबित नहीं हुए वरना मुट्ठी भर आतंकवादी हमारी ज़मीन पर आकर इतना बड़ा आतंकवादी हमला करने में कैसे सफल हुए। सभी घटनाओं की कडियाँ जोड़ने और विश्लेषण करने में समय लगेगा साथ ही उन आतंकवादी हमलों को बीते दिनों की कुछ घटनाओं की रौशनी में देखना होगा। मेरे सामने पिछले दिनों हुए बम धमाकों और ऐ टी एस की जांच के बाद सामने आए कुछ रहस्योद्घाटन हैं। पता नहीं उन का कोई सम्बन्ध ताज़ा आतंकवादी हमलों से है या नहीं मगर भारत सरकार और जांच करने वाली एजेंसियों की सेवा में इस लिए उन्हें इस लेख में शामिल करना आवयशक महसूस हो रहा है की अगर उचित समझें तो वे इस पहलु पर भी विचार करें ताकि आतंकवाद की पूर्ण रूप से समाप्ति करने में सफलता प्राप्त हो सके इसलिए की आतंकवादी एक आतंकवादी है। वह हमारी ज़मीन का है तो भी आतंकवादी है, पराई ज़मीन का है तो भी आतंकवादी है। वह आतंकवादी चाहे किसी भी धर्म व जाती से सम्बन्ध रखता हो, हमारे नज़दीक उस की पहचान केवल और केवल एक आतंकवादी की है।
इसलिए आपकी सेवा में प्रस्तुत है समाचार पत्रों की कुछ कतरनें जो स्पष्ट करती हैं की पाकिस्तान की खतरनाक गुप्तचर संस्था आई एस आई के तार शायद हमारे देश के कुछ लोगों से जुड़े हुए थे। यदि ऐ टी एस (हेमंत करकरे) की जांच के बाद लिखे गए बयान सच्चे हैं तो।
*इन्द्रेश ने आई एस आई से तीन करोड़ रूपये लिए हैं।
*दयानंद पाण्डेय के लैपटॉप से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन्द्रेश और मोहन भागवत की हत्या का षड़यंत्र रचा गया था। षड़यंत्र में लेफ्टनेंट प्रोहित के अतिरिक्त कुछ दूसरे लोग भी सम्मिलित थे। (हिंदुस्तान दैनिक, २२ नवम्बर)
*मुंबई ऐ टी एस के वकील रोहनी सलेन ने यह दावा करते हुए कहा की पाण्डेय के ज़ब्त किए गए लैपटॉप से प्राप्त ३ ऑडियो और विडियो क्लिपिंग से स्पष्ट होता है की उनकी बड़ा धमाका करने की भी योजना थी। वकील के अनुसार लैपटॉप में पंचमढ़ी में बुलाई गई एक मीटिंग का विवरण है जिस में मालेगाँव धमाके का षड़यंत्र रचने की बातचीत है। इस बातचीत में लम्बी दूरी तक वार करने वाले हथियारों, हैण्ड ग्रेनेड, रासायनिक और आर डी एक्स का उल्लेख है। (हिंदुस्तान, २७.११.२००८)
*मुंबई ऐ टी एस के अनुसार कर्नल प्रोहित के नार्को टेस्ट में बताया गया है की अजमेर धमाके का मास्टर माइंड स्वामी दयानंद पाण्डेय उर्फ़ अमृतानंद थे। (हिंदुस्तान १७.११.२००८)
*मुंबई ऐ टी एस को दयानंद पाण्डेय से सम्बंधित हरी पर्वत मन्दिर के गेस्ट हाउस से पुलिस ने स्वामी का इन्टरनेट डाटा कार्ड और महाराष्ट्र, हरयाणा और उत्तर्पर्देश, गुजरात और दिल्ली के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों का नक्शा प्राप्त किया। (हिंदुस्तान १६.११.२००८)
*ऐ टी एस के वकील अजय मिश्रा को टेलीफोन द्वारा दोपहर २ बज कर ५६ मिनट पर धमकी देने वाले ने कहा, इस मामले से हट जाओ। उस ने हेमंत करकरे और मोहन कुलकर्णी के नाम भी धमकी दी। ६९९१३२ से फ़ोन पर बताया "हम तुम्हारा हेमंत करकरे और मोहन कुलकर्णी का गेम करेंगे" (हिंदुस्तान, १६.११.२००८)
*महाराष्ट्र ऐ टी एस के सूत्रों ने कहा की प्रोहित ने राष्ट्र सेवक संघ के सुधाकर चतुर्वेदी को पुणे के निकट सिन्हा के तोपखाना केन्द्र में जाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ दिए। (जनसत्ता, २१ नवम्बर, पृष्ठ न १)
मैंने १२ दिसम्बर की शाम श्री हेमंत करकरे के घर जाकर उन की पत्नी से भेंट की। यह शाम हेमंत करकरे के जनम दिन की शाम थी। अगर वह जीवित होते तो यह घर रौशनी से जगमगा रहा होता और खुशी प्रत्येक स्थान से प्रतीत होती परन्तु वहां उदासी थी। हम देश पर शहीद और एक कर्तव्यपरायण अधिकारी के परिवार को वे खुशियाँ तो नहीं लौटा सकते जो भारतीय समुदाय की सुरक्षा के मार्ग में कुर्बान हो गई परन्तु आतंकवाद का विनाश करके उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित तो कर ही सकते हैं...........

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