Tuesday, December 2, 2008

5 अलग अलग स्थान पर 60 घंटे तक तबाही

और केवल 10 आतंकवादी, बात कुछ हज़म नहीं हुई


अगर कुछ समय के लिए यह स्वीकार कर लें की हमलावर कराची (पाकिस्तान) से समुद्र के रास्ते आए थे और उनकी संख्या केवल 10 ही थी, जिन्होंने ने 5 टुकडियों में विभाजित हो कर इस आतंकवादी हमलों की कार्रवाई को अंजाम दिया। जैसा की अबतक पुलिस का बयान है। तो फिर कई ऐसे प्रशन पैदा होते हैं जिनका उत्तर पुलिस और गुजरात सरकार दोनों को देना होगा। क्या यह सम्भव है की केवल 10 नौजवान चाहे वह कितने भी प्रशिक्षित क्यों न हों, लगातार 60 घंटों तक फायरिंग जारी रखते हुए एक बड़े व शक्तिशाली देश की सेना के प्रशिक्षित कमान्डोस का मुकाबला कर सकते हैं? क्या यह सम्भव है की कराची से गुजरात होते हुए समुद्री रस्ते के द्वारा आतंकवादी भारत की सीमा में प्रवेश कर जाएँ और हमारी चौकस गुजरात सरकार का सुरक्षा दस्ता इससे बेखबर रहे। जबकि इंटेलिजेंस एजेन्सी ने पहले ही समुंदरी सिक्यूरिटी अधिकारीयों को इस बात से अवगत कर दिया था की कुछ पाकिस्तानी समुद्री जहाज़ द्वारा कराची बंदरा के रस्ते हिंदुस्तान की समुद्री सीमा में प्रवेश कर सकते हैं। इस लिए उन पर कड़ी नज़र रखी जाए। इस से पहले की हिन्दुस्तानी सिक्यूरिटी गार्ड की नज़र एक पाकिस्तानी जहाज़ पर पड़ती, आतंकवादियों ने हिन्दुस्तानी मच्छी मार जहाज़ "एम् वि कूबर" को अपने कब्जे में ले लिया और उस के सारे स्टाफ को मार कर स्वयं उस में सवार हो गए और इस प्रकार बिना किसी संदेह में आए हिंदुस्तान की समुंदरी सीमा में प्रवेश कर लिया, क्या यह हमारे सिक्यूरिटी सिस्टम पर एक प्रशन नहीं है?
पुलिस द्वारा दी गई सूचनाओं के अनुसार आतंकवादियों की टुकडी में ओपेराशन ताज के लिए 4 आतंकवादी निर्धारित किए गए थे, होटल ताज की इमारत लगभग 6 मंजिला है और उस में विविध कांफ्रेंस हाल और रेस्तोरांत इत्यादि के अलावा सेंकडों कमरे हैं। क्या यह सम्भव है की बेसमेंट से लेकर टेरिस तक यानी छत तक सभी कांफ्रेंस हाल सीढियां, लिफ्ट, किचन, जनरेटर रूम, होटल स्टाफ द्वारा प्रयोग होनेवाला व्यक्तिगत रास्ता, इन सब पर केवल और केवल चार आतंकवादियों का कब्जा हो। (उल्लेखनीय है की इन चार आतंकवादियों ने ताज होटल के मालिकान, जिम्मेदारान या देशी विदेशी अतिथियों में से किसी एक या कुछ विशेष लोगों को बंधक बना कर होटल पर कब्जा नहीं किया था और न ही इस हमले का उद्देश्य बताते हुए कुछ मांगें सामने रखी थी) उनके क्रियाकलाप से यह स्पष्ट हुआ, इससे उन का उद्देश्य केवल आतंक पैदा करना और तबाही फैलाना था लेकिन यहाँ भी एक गंभीर प्रशन यह पैदा होता है की अगर वह खून खराबा और तबाही ही मचाना चाहते थे तो बेसमेंट में पाये गए आर दी एक्स के दो कार्टन ही इमारत को उड़ा देने के लिए काफ़ी थे, उन का प्रयोग क्यूँ नहीं किया?होटल पर किए गए हमले से जुड़े दो महत्त्वपूर्ण प्रशन यह भी हैं की कोई भी व्यक्ति, यहाँ तक की होटल का मालिक भी इतनी बड़ी इमारत के चप्पे चप्पे से अवगत नहीं हो सकता और न ही यह सम्भव है की दो चार लोगों द्वारा इतनी बड़ी इमारत पर कब्जा कर लिया जाए और यह कब्जा ६० घंटों तक जारी रहे, जब तक की बिल्डिंग में कोई ऐसा कंट्रोल रूम न हो जहाँ से प्रत्येक स्थान पर बैठ कर ही हर कमरे पर निगाह रखी जा सके और प्रत्येक कमरे में तबाही फैलाने के लिए बटन इस कंट्रोल रूम में हो। स्पष्ट है की होटल में न ऐसा को कंट्रोल रूम था, न होता है, न हर कमरे की गतिविधियाँ किसी एक स्थान से कंट्रोल की जा सकती हैं। सभी बड़े होटलों में तीन स्टार का सुरक्षा ता है। जब आप मुख्या द्वार से होटल में प्रवेश करने का इरादा करते हैं तो मुख्यद्वार पर इस गाड़ी की चेक्किंग बाहर मौजूद सुरक्षा दल द्वारा की जाती है, जहाँ गाड़ी का बाँट एवं दिग्गी को भी खोल कर देखा जाता है ताकि कोई आपत्तिजनक vastu होटल के अन्दर न ले जाई जा सके होटल में प्रवेश करने वाला व्यक्ति एवं उस का सामान मेटल detectar से गुज़ारा जाता है ताकि इस बात को निश्चित किया जा सके की किसी भी प्रकार का हथ्यार तो होटल के भीतर नहीं ले जाया जा रहा है इस के पश्चात् जगह जगह विशेष रूप से लिफ्ट में प्रवेश करने वालों पर निगाह रखने हेतु गुप्त कैमरे लगे होते हैं जिन के द्वारा किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की किसी भी गतिविधि पर निगाह रखी जा सकती है। इस सब के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में हथ्यार तथा हैण्ड ग्रेनेड लेजाना कैसे सम्भव हुआ? हमारे अपने संज्ञान में तो यह भी है की होटल में ठहेरने वाले किसी भी व्यक्ति को कमरे की चाबी के रूप में जो कार्ड दिया जाता है केवल उसी कार्ड द्वारा लिफ्ट चलाई जा सकती है और इस कार्ड को प्रवेश करने पर लिफ्ट अतिथि को उसी फ़लूर तक पहुंचती है जिस पर उस के नाम अल्लोट किया गया कमरा होता है। ऐसी स्तिथि में वह व्यक्ति लोब्बी के अलावा केवल उसी floor तक जा सकता है जिस पर उस का कमरा है। अगर यह चार आतंकवादी चार अलग अलग फ़लूर पर भी ठहरे थे तब भी उन का कब्जा केवल चार फ़लूर पर ही होसकता है वह भी केवल इस स्तिथि में जब सभी कमरे एक ही राहदारी में हों और आतंकवादी के पास राहदारी के अन्तिम किनारे वाला कमरा हो और इस फ़लूर से बाहर निकलने के लिए यानी लिफ्ट अथवा जीना भी केवल एक ही हो और वह भी उस आतंकवादी के कमरे के साथ जिस पर उस का कब्जा हो, होटल ताज की बनावट के अनुसार ऐसा कुछ नहीं था अत: यह असंभव नज़र आता है. अब prashan यह उठता है वह क्या तरीका था की विदेश से आने वाले आतंकवादी इस होटल के कोने कोने से परिचित हो गए और भारी तादाद में हथ्यार लेजाने में भी इन्हें कामयाबी मिल गई? क्या यह सोचना सरासर ग़लत है, की होटल का स्टाफ एवं उस का मैनेजमेंट उस में सम्मिलित न हो तो यह असंभव लगता है क्योंकि भीतरी और प्रभावशाली व्यक्तियों की सहायता से ही आतंकवादी भूतल से लेकर छत तक सभी स्थान पर कब्जा करने और 60 घंटों तक लगातार गोली चलते रहने में कामयाब हो सकते हैं. आश्चर्य की बात यह भी है की इस दौरान उन्हें न तो सोने की आव्यशकता महसूस हुई और न ही शौच के लिए अपनी स्तिथि छोड़ने की. कहीं ऐसा तो नहीं आतंकवादियों की संख्या चार से बहुत अधिक रही हो और वह बारी बारी से आराम भी करते रहे हों, शौच आदि से भी निमटते रहे हों, अपने स्वामियों से फोन पर निर्देश भी लेते रहे हों और हमारी सेना का मुकाबला भी करते रहे हों ऐसी स्तिथि में तो हर फ़लूर पर कम से कम १० से १२ आतंकवादियों की मौजूदगी आवयशक थी और वह भी होटल स्टाफ एवं प्रबंधन की सहायता के साथ. इस सम्बन्ध में होटल स्टाफ एवं मैनेजमेंट से अब तक क्या बात की गई, इन के उत्तर क्या थे? भूतल पर आर डी एक्स कैसे पहुँचा? कमरों तक हथ्यार कैसे पहुंचे? गुप्त कैमरों की फूटेज कहाँ हैं? होटल में ठहरे हुए अतिथियों की सूची कहाँ है? गत तीन माह से कौन कौन पाकिस्तानी वहां आकर ठहरे? उनके नाम पते क्या हैं? उन्हें किस ने आमंत्रित किया? वे किस कार्य से आए? किस्से मिले? विवरण क्या है? एक सूचना के अनुसार गोधरा का नेतृत्व करने वाले भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद भी वहां ठहरे हुए थे, कब से कब वहां रहे और रुकने का क्या कारण था? ६० घंटों तक आतंकवादी अपने स्वामियों से फोन पर निर्देश लेते रहे, अगर सेटलाइट फ़ोन के कारन यह पता लगना सम्भव नहीं था की किस से और कहाँ से बात हो रही है, तो भी जामर द्वारा वायु नेटवर्क को अप्रभावित नहीं किया जा सकता था ताकि उन का संपर्क टूट जाए? हम जानते हैं की सभी बड़ी का इंश्योरेंस होता है, उस से जो नुकसान पहुँचता है बड़ी हद तक उस की भरपाई इंश्योरेंस एजेन्सी के द्वारा की जाती है. ९/११ को अम्रीका के शहर न्यूयार्क (मेनहटन) में तबाह होने वाले वर्ल्ड ट्रेड टावर का एक स्वामी जोर्ज दब्लिव बुश का मित्र लार्री सिल्वर स्टेन था क्या व्यक्तिगत रूप से उसे उस का कोई नुकसान पहुँचा अथवा नहीं ताज पर हुए आतंकवादी हमले की जांच भी हर दृष्टिकोण पर की जानी चाहिए हम अपने इस लेख के साथ होटल ताज के कुछ चित्र जिन में होटल का बाहरी दृश्य देखा जा सकता है, की कितने फ़लूर है एवं कम से कम कितने कमरे होंगे (हमारी जानकारी के अनुसार होटल ताज में २५८ कमरे हैं और उस से जुड़े ताज महल टावर में २७७ कमरे हैं) होटल के एक कमरे का भीतरी नज़ारा, रेस्तौरांत का फोटो भी सम्मिलित है हम अपने इस लेख की आगामी किस्तों में इसी प्रकार ओबेरॉय, नरीमन हाउस, अस्पताल कामा सेंटर, से एस टी रेलवे स्टेशन और विशेष रूप से उस पतली सी गली का स्केच भी पथाक्गन की सेवा में प्रस्तुत करेंगे, जहाँ घेर कर शहीद हेमंत करकरे, सलस्कर और कामते को मारा गया तब तक आप सोचें की पाकिस्तान से आने वाले आतंकवादियों का प्रथम बड़ा शिकार आख़िर हेमंत करकरे किस प्रकार बने, वे उन्हें आख़िर किस प्रकार पहचानते थे, किसने उन की पहचान karai और paakistan से उन की दुश्मनी का क्या कारन था? विवरण के लिए प्रतीक्षा करें इसी सिलसिले की आगामी किस्तों का पुलिस के द्वारा दी गई सूचनाओं के अनुसार ५०० बार एक ही फ़ोन की घंटी बजी, जिस पर आतंकवादियों से संपर्क स्थापित करना चाहते थे आज आव्यशकता इस बात की है की उन ६० घंटों में होटल ताज से कुल कितनी बार, किस किस ने, किस किस नम्बर पर संपर्क किया और क्या इन में से कोई ऐसा भी था, जिस का सम्बन्ध भारत से भी हो और उस ने इन आतंकवादियों से भी बात की?

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